Move to Jagran APP

Special Olympics: बर्लिन में इतिहास रचने को तैयार किसान पिता की बेटी इरम्मा, टेनिस में मेडल की प्रबल दावेदार

Special Olympics Eramma जर्मनी की राजधानी बर्लिन में खेले जा रहे स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में देश को इरम्मा से खास प्रदर्शन की आस है। इरम्मा टेबल टेनिस के एकल महिला युगल और साथ ही मिश्रित युगल में हिस्सा लेंगी।

By Jagran NewsEdited By: Shubham MishraUpdated: Mon, 19 Jun 2023 02:50 PM (IST)
Hero Image
Special Olympics World Games Eramma: स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में देश को इरम्मा से खास प्रदर्शन की आस है
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में खेले जा रहे स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में देश को इरम्मा से खास प्रदर्शन की आस है। इरम्मा टेबल टेनिस के एकल, महिला युगल और साथ ही मिश्रित युगल में हिस्सा लेंगी। अपने खेल के दम पर विश्व स्तर पर छा जाने को तैयार इरम्मा के लिए यहां तक पहुंचने की राह बिल्कुल भी आसान नहीं रही।

सुनने और बोलने में असमर्थ हैं इरम्मा

इरम्मा बचपन से ही सुन नहीं सकती थीं। इसके साथ ही जब वह बड़ी हुई, तो उन्होंने बोलने की अपनी क्षमता भी गंवा दी। इरम्मा का चीजों को समझने की समझ भी धीरे-धीरे कम हो गई। हालांकि, कर्नाटक के बेल्लारी जिले के तारानगर के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली इरम्मा ने कभी हार नहीं मानी। इरम्मा के माता-पिता किसान हैं और वह दिन-रात मेहनत करके परिवार का पेट पालते हैं।

कैसे शुरू हुआ सफर

सुनने और बोलने में असमर्थ होने के बावजूद इरम्मा के लिए कम्यूनिकेशन कभी भी समस्या नहीं रही। वह अपने भाइयों के साथ अपना बहुत सारा समय बाहर बिताती थीं और धूप में दौड़ती थी। जब इरम्मा लगभग 14 साल की थीं, तो उनके चाचा ने निम्न सामाजिक-आर्थिक क्षमता वाले परिवारों के बच्चों के लिए तोरणागल्लू में स्थापित तमन्ना स्कूल में उनका एडमिशन करा दिया। स्कूल में बहुत जल्द ही इरम्मा ने वहां उपलब्ध अधिकांश स्पोर्ट्स फैसिलिटी का लाभ उठाना शुरू कर दिया। और खुद को मल्टी टैलेंटेड एथलीट के रूप में स्थापित कर लिया।

कोच ने बदली इरम्मा की जिंदगी

स्पेशल ओलंपिक में भारतीय दल के टेनिस कोच की जिम्मेदारी संभाल रहे राजेश व्हान्ने ने बताया कि इरम्मा ने एक धावक के रूप में शुरुआत की थी और फिर दो साल बाद जब वह 16 साल की हुईं,तो उन्होंने टेबल टेनिस खेलना शुरू किया। उन्होंने बताया कि जब इरम्मा ने टेनिस खेलने शुरू किया, तो उनके सामने यह शर्त रखी गई कि वह इस खेल में अपनी रुचि दिखाएंगी। उनके सामने चुनौती रखी गई कि वह ना केवल अपने हाथ-आंख के समन्वय का उपयोग करेंगी, बल्कि अपनी शारीरिक क्षमताओं का भी अधिकतम इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगी। इरम्मा काफी जल्दी ही टेनिस के खेल में माहिर हो गईं।

राजेश ने बताया कि शुरुआत में इरम्मा को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ा। इरम्मा को नहीं पता था कि किस तरह से सर्विस की जाती है या फिर डबल हैंड बैकहैंड कैसे लगाना होता है। इरम्मा इस वजह से काफी निराश भी हो जाती थीं। हालांकि, धीरे-धीरे कोच राजेश के साथ मिलकर प्रैक्टिस करते-करते इरम्मा इस खेल में उस्ताद हो गईं।

इरम्मा से मेडल की आस

इरम्मा से स्पेशल ओलंपिक समर गेम्स में देश को मेडल की पूरी उम्मीद है। वह टेबल टेनिस के एकल, महिला युगल और मिश्रित युगल में हिस्सा लेंगी। इरम्मा के खेल और कड़ी मेहनत को देखते हुए उनके पास विश्व स्तर पर छा जाने का यह सुनहरा मौका होगा।