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Global Pravasi Women's kabaddi league 2024 के लिए भारत तैयार, लेकिन सफलता के बाद ही मिलता समर्थन; HIPSA अध्यक्ष का बयान

एचआईपीएसए अध्यक्ष कांथी डी सुरेश ने कहा कि निश्चित तौर पर सरकार ने महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि यह समर्थन उन्हें तभी प्राप्त होता है जब उन्हें सफलता मिलती है। एक अहम सवाल ये भी है कि संभावना दिखने के बावजूद भी ऐसे कितने लोग हैं जो निवेश का जोखिम लेने को तैयार हैं।

By Jagran News Edited By: Priyanka Joshi Updated: Mon, 09 Sep 2024 01:36 PM (IST)
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Global Pravasi Women's kabaddi league 2024 के लिए भारत तैयार

दिल्ली, 7 सितंबर: चाहे ओलंपिक हो, पैरालिंपिक हो, हॉकी हो या क्रिकेट, पिछले कुछ दशकों में भारत में महिलाओं ने सभी खेलों में उल्लेखनीय प्रगति की है, बाधाओं को तोड़ा है और मानदंडों को परिभाषित किया है। भारत सरकार नारी शक्ति वंदन अधिनियम और विभिन्न अन्य नीतियों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है।

भारत के विकास की यात्रा महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ गहराई से जुड़ी हुई है, जिसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने नारी शक्ति को अपने एजेंडे में सबसे आगे रखा है, और महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर ध्यान केंद्रित किया है।

हालाँकि अब भी पुरुषों के खेलों की तुलना में विशेष महिला संचालित खेलों के बीच परस्पर समानता लाने के लिए कुछ और सफर तय करना बाकी है। होलिस्टिक इंटरनेशनल प्रवासी स्पोर्ट्स एसोसिएशन (HIPSA) अध्यक्ष कांथी डी सुरेश के अनुसार, महिला खेलों पर सरकार के फोकस के बावजूद, इसे अभी भी पूरी तरह से इको-सिस्टम में शामिल नहीं किया जा सका है।

सफलता के बाद ही मिलता समर्थन; HIPSA अध्यक्ष का बयान

एचआईपीएसए अध्यक्ष कांथी डी सुरेश ने कहा कि निश्चित तौर पर सरकार ने महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि यह समर्थन उन्हें तभी प्राप्त होता है, जब उन्हें सफलता मिलती है। एक अहम सवाल ये भी है कि संभावना दिखने के बावजूद भी ऐसे कितने लोग हैं, जो निवेश का जोखिम लेने को तैयार हैं। जब भी विशेष महिला खेलों में निवेश की बात आती है, तो वर्तमान में कारपोरेट जगत के कुछ लोगों को छोड़कर ज्यादातर दरवाजे बंद ही नजर आते हैं, जबकि पुरुष प्रधान खेलों में मामला बिल्कुल इसके इतर है।

आईपीएल के 15 साल बाद शुरू हुए डब्ल्यूपीएल के अलावा बीसीसीआई के तमाम प्रयासों के बाद भी भारत में कोई ऐसी स्पोर्ट्स लीग नहीं है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए समर्पित हो। अधिकांश घरेलू लीगों में महिला टीमों को पुरुष टीमों के साथ पैकेज के रूप में रखा गया है, जिसमें भी 70% से अधिक मैच पुरुषों के लिए ही हैं। ऐसे में भारत में होने वाली आगामी ग्लोबल प्रवासी महिला कबड्डी लीग (जीपीकेएल) गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसके पहले सीजन में 15 से अधिक देशों की महिला कबड्डी खिलाड़ियों को एक साथ लाया जाएगा।

इसके लिए HIPSA पहले ही कबड्डी में महिलाओं के विश्वस्तरीय प्रशिक्षण के लिए हरियाणा सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है। विश्व स्तर पर भी महिलाओं के बीच इस खेल के प्रति ज्यादा रुचि तब देखी गई, जब HIPSA और वर्ल्ड कबड्डी ने मिलकर इस साल मार्च में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जीपीकेएल के उद्घाटन सत्र में छह टीमें भाग लेंगी जी पूरी तरह से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का मिश्रण होगा।

जीपीकेएल की शुरुआत शीघ्र ही हरियाणा के गुरुग्राम से की जाएगी। हमारे स्वदेशी खेल का दुनिया भर की महिला खिलाड़ियों द्वारा एक मंच पर खेला जाना निश्चित तौर पर इसकी प्रसिद्धि के मार्ग को प्रशस्त करेगा। हालांकि एशियाई महिलाओं का इस खेल में भाग लेना कोई अनोखी बात नहीं है, लेकिन अफ्रीका, यूरोपीय देश और अमेरिका का इससे जुड़ना एक ऐसा दृश्य होगा, जिसे ज्यादातर लोग देखना और सराहना चाहेंगे।

 ग्लोबल प्रवासी महिला कबड्डी लीग के पहले सीजन में 15 से अधिक देशों की महिला खिलाड़ी भाग लेंगी। इंग्लैंड, पोलैंड, अर्जेंटीना, कनाडा और इटली जैसे देशों सहित विविध पृष्ठभूमि के एथलीटों ने भी इस लीग में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की है।

फिलहाल आयोजक यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि लीग की 6 टीमों के साथ लीग में सभी महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व हो सके और हर टीम में कम से कम 3 ऐसे खिलाड़ी हों जो अलग अलग महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हों। आने वाले 10 सालों में कम से कम 40 देशों को कवर करने की जीपीकेएल की यह योजना निश्चित तौर पर विशेष महिला खेलों के लिए मजबूत आधारशिला होगी।