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Paris Olympics 2024: बस 19 किलोमीटर की दूरी से देश को पेरिस में मिल गया तीसरा ब्रॉन्‍ज मेडल, पढ़ें पूरी डिटेल्‍स

अमन सहरावत और मनु भाकर का सुखद संयोग देखिए कि अपने-अपने स्पर्धा में देश को पहला पदक दिलाने वाले दोनों खिलाड़‍ियों के पैतृक गांवों की दूरी करीब 19 किलोमीटर है। अमन सहरावत ने कुश्‍ती में ब्रॉन्‍ज मेडल जीतकर इतिहास रचा जबकि मनु भाकर ने देश को निशानेबाजी में दो ब्रॉन्‍ज मेडल दिलाए। भारत ने पेरिस ओलंपिक्‍स 2024 में अब तक कुल 6 मेडल जीते हैं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Nigam Updated: Sat, 10 Aug 2024 01:09 PM (IST)
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अमन सहरावत और मनु भाकर के गांव के बीच 19 किमी की दूरी है
अमित पोपली, जागरण, झज्जर। गांव बिरोहड़ की ढाणी में रहने वाले पहलवान अमन सहरावत ने कुश्ती में देश को पहला पदक दिलाते हुए खास तौर पर झज्जर का नाम विश्व भर में रोशन कर दिया है। कारण बिरोहड़ से 19 किलोमीटर दूर गांव गोरिया से संबंध रखने वाली निशानेबाज मनु भाकर ने अपने 10 मीटर के स्पर्धा में कांस्य पदक अर्जित करते हुए पेरिस ओलंपिक में देश को पहला पदक दिलाने का काम किया था।

इसे सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि अपने-अपने स्पर्धा में देश को पहला पदक दिलाने वाले दोनों खिलाड़‍ियों के पैतृक गांवों की दूरी करीब 19 किलोमीटर है। ओलंपिक में जिला झज्जर से देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्फ के मैदान में दम दिखा रही दीक्षा डागर भी करीब 20 किलोमीटर दूर छप्पार से है।

दरअसल, गुरुवार को एकतरफा दो मैच जीतने के बाद पूरे देश को यह आशा जगी थी, अमन फाइनल तक का सफर तय करेंगे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अमन की शुक्रवार की जीत ने भारत के कुश्ती में पदक के सूखे को भी समाप्त करने का काम किया है।

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अमन सहरावत की जीत पर दादा मांगेराम ने कहा, ''यह आज पूरे परिवार की उस मेहनत की जीत है, जिन्होंने छत्रसाल स्टेडियम में छोड़ने के बाद से उसकी हर तरीके से बेहतर परवरिश की। लाडले ने जी तोड़ मेहनत की है। परिवार ने भी कभी उसे यह अहसास नहीं होने दिया कि उसके माता-पिता नहीं है।''

बता दें कि अमन के माता-पिता का निधन 11 वर्ष पहले हो चुका है। जब से अमन पेरिस में गया है, बुजुर्ग दादी अंछी देवी खुद सुबह-शाम ढाणी के मंदिर की साफ-सफाई करके आती है। ताऊ सुधीर का कहना रहा कि सेमीफाइनल में हार से निराशा जरूर हुई, पर अमन ने हिम्मत कभी नहीं हारी।

क्योंकि, जब भी वह देश से बाहर गया है तो पदक जरूर लाया है। आज पुन: अपने शानदार प्रदर्शन से उसने तिरंगे की शान को बढ़ाया। जब वह गांव में आएगा तो बड़ा कार्यक्रम करते हुए उसका सभी स्वागत करेंगे।

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