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Asian Games के लिए पूरी तरह तैयार केएम चंदा, 2024 पेरिस ओलंपिक क्वॉलीफाई पर भारतीय एथलीट ने दिया बड़ा बयान

भारतीय महिला धावक केएम चंदा 800 मीटर दौड़ स्पर्धा में एशियन गेम्स में देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं। सुकांत सौरभ ने केएम चंदा से एशियन गेम्स को लेकर विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा कि एशियन गेम्स में क्वालीफाई करने के पीछे सबसे बड़ा योगदान मेरे कोच कुलबीर सिंह का है। उन्होंने मुझे नियम से लेकर कब कैसे कहां प्रशिक्षण लेना है सबका ध्यान रखा।

By Jagran NewsEdited By: Geetika SharmaUpdated: Fri, 01 Sep 2023 06:10 AM (IST)
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एशियन गेम्स के लिए पूरी तरह तैयार केएम चंदा। फोटो- एक्स से साभार

नई दिल्ली, प्रिंट। भारतीय महिला धावक केएम चंदा 800 मीटर दौड़ स्पर्धा में एशियन गेम्स में देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं। एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में रजत पदक जीतकर एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई करने वाली यूपी के मिर्जापुर के किसान की इस बेटी का पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई करना अगला लक्ष्य है।

सुकांत सौरभ ने केएम चंदा से एशियन गेम्स को लेकर विशेष बातचीत की, पेश हैं मुख्य अंश-

एशियन गेम्स में देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने का अवसर पाकर कैसा लग रहा है? इसके लिए आपकी तैयारी कैसी है? -

यह बहुत विशेष अनुभव है। मैं बेहद खुश हूं कि मुझे यह अवसर मिला। अब मेरा अगला लक्ष्य 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करूं और उसमें भी देश का नाम रोशन करूं। एशियन गेम्स की मेरी तैयारी बहुत अच्छी चल रही है। इसमें मैं अपने सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करूंगी।

इस प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने के पीछे सबसे बड़ा योगदान मेरे कोच कुलबीर सिंह का है। उन्होंने मुझे नियम से लेकर कब, कैसे, कहां प्रशिक्षण लेना है सबका ध्यान रखा। उनके सान्निध्य में ही मैं इस योग्य बन पाई। साथ ही ड्रीम फाउंडेशन का भी इसमें बड़ा योगदान है। इनके कारण ही मैं आर्थिक रूप से अब निश्चत हो सकी हूं।

एशियन गेम्स में आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है? -

मेरे लिए इस प्रतियोगिता में सबसे बड़ी चुनौती मेरी फिटनेस है। मानसिक रूप से मेरे ऊपर इंजरी का बहुत दबाव है। बड़ी प्रतियोगिताओं की तैयारी के दौरान विशेष रूप से एक ट्रैक एथलीट के लिए इंजरी रहित रहना बहुत बड़ी चुनौती है। शारीरिक रूप से मैं थोड़ी कमजोर हूं, मुझे जल्दी इंजरी हो जाती है। इसलिए मेरे लिए अभी इससे दूरी बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है। -

एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप के अपने अनुभव के बारे में बताइए?

इस प्रतियोगिता में भाग लेने से पूर्व मुझे इंजरी हो गई थी। मेरे पैर में चोट लग गई थी। वहां पहुंचने तक मैं आशंकित थी कि मैं पूरी तरह से फिट हो पाऊंगी या नहीं। परंतु, हीट भागने के बाद मुझे काफी बेहतर महसूस हुआ। फाइनल में मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और पदक जीतने में सफल रही।

पिता की बीमारी और परिवार की जिम्मेदारियों के बावजूद, संघर्ष को दूर करने के लिए प्रतिरोध कैसे करती हैं?

मेरे पिता विगत नौ वर्षों से बीमार हैं। परंतु, आज अगर मैं यहां तक पहुंच सकी इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ मेरी मां का है। उन्होंने पिताजी का ध्यान रखने के साथ ही हमारी छोटी-छोटी आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा। उन्होंने उधार लेकर भी हमारे परिवार का भरण-पोषण किया।

धान, गेंहू, मटर जो भी हो सके उन्होंने खेती की और उसे बेच कर पैसे कमाए। गाय का दूध बेचकर पैसे इकट्ठा किए। मैं जबसे दौड़ में भाग लेने लगी, मुझे बाहर रहना पड़ा। नई दिल्ली में मेरे रहने, प्रशिक्षण और सभी आवश्यकताओं का उन्होंने ध्यान रखा। साथ ही हमेशा यही प्रेरित किया कि मैं अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करूं, वह परिवार के लिए उपलब्ध हैं।

आप युवा एथलीटों को जो खेलों में अपनी पहचान बनाने की इच्छा रखते हैं, उन्हें क्या सुझाव देंगी?

मैं युवाओं को यही सुझाव देना चाहती हूं कि जीवन में सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अनुशासन। व्यायाम और डाइट को अनुशासित होकर पालन करना बहुत आवश्यक है। एक एथलीट के लिए विश्राम करना भी बहुत महत्वपूर्ण है, शरीर को पुन: ऊर्जावान होने के लिए यह बेहद जरूरी है।