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'प्रोडुनोवा क्वीन' भारतीय जिम्नास्ट दीपा ने लिया संन्यास, रियो ओलंपिक में जिम्नास्टिक के वाल्ट स्पर्धा में केवल 0.15 अंक से चूक गई थीं कांसा

भारत की दिग्गज जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने सोमवार को खेल से संन्यास लेने की घोषणा की। वह 2016 रियो ओलंपिक में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गई थीं। दीपा ने सोशल मीडिया पर कहा बहुत सोच-विचार और चिंतन के बाद मैंने प्रतिस्पर्धी जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का निर्णय लिया है। यह आसान निर्णय नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि यह सही समय है।

By Jagran News Edited By: Rajat Gupta Updated: Mon, 07 Oct 2024 11:49 PM (IST)
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दीपा ने अपने फैसले से फैंस को कर दिया निराश। इमेज- दीपा एक्‍स
 पीटीआई, नई दिल्ली : प्रोडुनोवा क्वीन के नाम से लोकप्रिय भारत की दिग्गज जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने सोमवार को खेल से संन्यास लेने की घोषणा की। दीपा 2016 रियो ओलंपिक में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गई थीं।

दीपा विश्व में प्रोडुनोवा वाल्ट सफलतापूर्वक करने वाली अब तक केवल पांच जिम्नास्टों में से एक हैं। ओलंपिक में शिरकत करने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्ट बनीं 31 वर्ष की दीपा रियो ओलंपिक की वाल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रही थीं और केवल 0.15 अंक से कांस्य पदक जीतने से चूक गई थीं।

दीपा ने कहा, 'बहुत सोच-विचार और चिंतन के बाद मैंने प्रतिस्पर्धी जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का निर्णय लिया है। यह आसान निर्णय नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि यह सही समय है।' उन्होंने कहा, 'जब से मुझे याद है तब से जिम्नास्टिक मेरे जीवन का केंद्र रहा है और मैं उतार-चढ़ाव और बीच के हर लम्हे के लिए आभारी हूं।'

दीपा ने कहा कि वह आगे चल कर कोच के रूप में अन्य एथलीटों की मदद करना चाहेंगी। उन्होंने कहा, आगे चलकर मैं अगली पीढ़ी की जिम्नास्टों के सपने पूरे करने में मदद करूंगी।

आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स में सबसे मुश्किल है प्रोडुनोवा

प्रोडुनोवा वाल्ट आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक का ही एक हिस्सा है। इसमें फ्रंट हैंडस्पि्रंग के जरिये महिला जिम्नास्ट डबल समरसाल्ट लगाती है। अर्थात्, एक जिम्नास्ट दौड़ लगाते हुए पहले हैंडस्पि्रंग के जरिये ऊंची छलांग लगाती है, फिर पैरों पर लैंड होने से पहले दो बार समरसाल्ट लगाती है।

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विश्वभर में इसे जिम्नास्टिक का सबसे कठिन वाल्ट में से एक माना जाता है, इसलिए इसे मौत का वाल्ट भी कहा जाता है। अब तक विश्व में केवल पांच महिला जिम्नास्टों ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया है। इनमें सर्वप्रथम एलेना प्रोडुनोवा हैं, जिनके नाम पर यह वाल्ट रखा गया। उनके बाद डोमिनिक गणराज्य की यमिलेट पी, उज्बेकिस्तान की ओक्साना चुसोविटिना, मिस्त्र की फादवा महमूद और भारत की दीपा कर्माकर हैं।

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