सुहाना सैनी के तनाव को छू मंतर कर देते हैं श्रीराम-हनुमान के भजन, कभी पीढे पर चढ़कर सीखा टेबल टेनिस
अक्सर खुशमिजाज रहने वाली सुहाना कभी कभी तनाव में आ जाती हैं लेकिन श्रीराम और हनुमान के भजन इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के तनाव को छू मंतर कर देते हैं। दैनिक जागरण संवाददाता रतन चंदेल से साक्षात्कार के दौरान रोहतक के ग्रीन रोड निवासी 17 वर्षीय सुहाना सैनी ने अपनी अब तक की यात्रा को सांझा किया है। उनका लक्ष्य 2028 में ओलिंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।
रोहतक, रतन चंदेल। टेबल टेनिस के अंडर-19 डबल्स में कर्नाटक की यशस्विनी घोरपड़े के साथ लगातार दूसरी बार दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनी हरियाणा के रोहतक की बेटी सुहाना सैनी 2015 से विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। पांच वर्ष की आयु में पीढ़े पर चढ़कर मां भावना सैनी और पिता विकास सैनी के साथ टेबल टेनिस की शुरुआत घर से करने वाली सुहाना अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 51 जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 56 मेडल जीत चुकी हैं।
अक्सर खुशमिजाज रहने वाली सुहाना कभी कभी तनाव में आ जाती हैं लेकिन श्रीराम और हनुमान के भजन इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के तनाव को छू मंतर कर देते हैं। दैनिक जागरण संवाददाता रतन चंदेल से साक्षात्कार के दौरान रोहतक के ग्रीन रोड निवासी 17 वर्षीय सुहाना सैनी ने अपनी अब तक की यात्रा को सांझा किया और कहा कि उनका लक्ष्य 2028 में ओलिंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।
तनाव दूर करने व ध्यान केंद्रित के लिए आप क्या करती हैं ?
-खेल में कभी कभी तनाव हो जाता है। लेकिन श्रीराम और हनुमान के भजन सुनने पर मेरा तनाव छूं मंतर हो जाता है। मैं ये मानती हूं की श्रीराम नाम का स्मरण करने से ही तनाव दूर होने लगता है। कभी कभी टेलीविजन पर सीरियल व खबरें भी देखती हूं। ध्यान केंद्रित करने के लिए मेडिटेशन भी करने लगी हूं।
आपने टेबल टेनिस खेलना कब शुरू किया ?
-जब मैं पांच साल की थी तब घर पर ही पीढ़े पर चढ़कर टेबल टेनिस खेलना शुरू किया था। दरअसल, मेरी मां भावना सैनी और पिता विकास सैनी भी टेबल टेनिस के नेशनल खिलाड़ी रहे हैं। उन्हीं की देखरेख में 2011 में घर में ही टेबल टेनिस की अकादमी में खेलने की शुरुआत की।
पहली बार भारत के लिए खेलने का अवसर कब मिला ?
-2011 में शुरुआत के बाद चार साल लगातार खूब मेहनत की और प्रदेश व नेशनल स्तर पर मेडल जीते। लेकिन देश के लिए पहली बार खेलने का अवसर 2015 में थाईलैंड में हुए अंडर-13 अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस जूनियर सर्किट टूर्नामेंट में मिला। जहां भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता।
आपके लिए आदर्श खिलाड़ी कौन हैं ?
-राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार एवं अर्जुन अवार्ड विजेता शरथ कमल मेरे लिए आदर्श खिलाड़ी हैं। वे 10 बार टेबल टेनिस नेशनल चैंपियन हैं। बिना थके और धैर्य पूर्वक लंबे समय तक उनके खेलने की क्षमता से मैं बहुत प्रभावित हूं। वे तनाव रहित रहकर खेलते हैं।
यहां तक पहुंचने में आपके लिए सबसे कठिन कार्य क्या रहा है ?
-मेरा परिवार मुझे प्रेरित करता है। लेकिन सात साल से ज्यादातर समय घर से दूर रह रही हूं। अकसर परिवार व रिश्तेदारों के कार्यक्रमों या शादी समारोह में भी शामिल नहीं हो पाती हूं। मुझे लगता है स्वजनों से दूर रहना मेरे लिए सबसे कठिन कार्य रहा है।
आप रोजाना कितने घंटे टेबल टेनिस की प्रैक्टिस करती हैं ?
-उचित मार्गदर्शन और अनुशासन में रहकर सही दिशा में किया जाने वाले परिश्रम एक ऐसी चाबी है जो आपके लिए सफलता के दरवाजे खोल देती है। मैं इसी वाक्य को ध्यान में रखते हुए रोजाना पांच से छह घंटे प्रैक्टिस करती हूं। कोच आर राजेश के पास मैं करीब सात साल से चेन्नई में प्रैक्टिस करती हूं।
आपका लक्ष्य क्या है ?
-मेरा लक्ष्य 2028 ओलिंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। उसी ध्येय के लिए मैं अभी से कड़ी मेहनत कर रही हूं।