सुहाना सैनी के तनाव को छू मंतर कर देते हैं श्रीराम-हनुमान के भजन, कभी पीढे पर चढ़कर सीखा टेबल टेनिस
अक्सर खुशमिजाज रहने वाली सुहाना कभी कभी तनाव में आ जाती हैं लेकिन श्रीराम और हनुमान के भजन इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के तनाव को छू मंतर कर देते हैं। दैनिक जागरण संवाददाता रतन चंदेल से साक्षात्कार के दौरान रोहतक के ग्रीन रोड निवासी 17 वर्षीय सुहाना सैनी ने अपनी अब तक की यात्रा को सांझा किया है। उनका लक्ष्य 2028 में ओलिंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।
By Jagran NewsEdited By: Umesh KumarUpdated: Thu, 14 Sep 2023 04:42 PM (IST)
रोहतक, रतन चंदेल। टेबल टेनिस के अंडर-19 डबल्स में कर्नाटक की यशस्विनी घोरपड़े के साथ लगातार दूसरी बार दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनी हरियाणा के रोहतक की बेटी सुहाना सैनी 2015 से विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। पांच वर्ष की आयु में पीढ़े पर चढ़कर मां भावना सैनी और पिता विकास सैनी के साथ टेबल टेनिस की शुरुआत घर से करने वाली सुहाना अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 51 जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 56 मेडल जीत चुकी हैं।
अक्सर खुशमिजाज रहने वाली सुहाना कभी कभी तनाव में आ जाती हैं लेकिन श्रीराम और हनुमान के भजन इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के तनाव को छू मंतर कर देते हैं। दैनिक जागरण संवाददाता रतन चंदेल से साक्षात्कार के दौरान रोहतक के ग्रीन रोड निवासी 17 वर्षीय सुहाना सैनी ने अपनी अब तक की यात्रा को सांझा किया और कहा कि उनका लक्ष्य 2028 में ओलिंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।
तनाव दूर करने व ध्यान केंद्रित के लिए आप क्या करती हैं ?
-खेल में कभी कभी तनाव हो जाता है। लेकिन श्रीराम और हनुमान के भजन सुनने पर मेरा तनाव छूं मंतर हो जाता है। मैं ये मानती हूं की श्रीराम नाम का स्मरण करने से ही तनाव दूर होने लगता है। कभी कभी टेलीविजन पर सीरियल व खबरें भी देखती हूं। ध्यान केंद्रित करने के लिए मेडिटेशन भी करने लगी हूं।
आपने टेबल टेनिस खेलना कब शुरू किया ?
-जब मैं पांच साल की थी तब घर पर ही पीढ़े पर चढ़कर टेबल टेनिस खेलना शुरू किया था। दरअसल, मेरी मां भावना सैनी और पिता विकास सैनी भी टेबल टेनिस के नेशनल खिलाड़ी रहे हैं। उन्हीं की देखरेख में 2011 में घर में ही टेबल टेनिस की अकादमी में खेलने की शुरुआत की।पहली बार भारत के लिए खेलने का अवसर कब मिला ?
-2011 में शुरुआत के बाद चार साल लगातार खूब मेहनत की और प्रदेश व नेशनल स्तर पर मेडल जीते। लेकिन देश के लिए पहली बार खेलने का अवसर 2015 में थाईलैंड में हुए अंडर-13 अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस जूनियर सर्किट टूर्नामेंट में मिला। जहां भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता।