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निशानेबाजों के आपसी मतभेद दूर करने के लिए एनआरएआई को बढ़ानी होगी सक्रियता: देव

भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कलिकेश नारायण सिंह देव का कहना है कि इस बार निशानेबाजी पदक प्राप्त करने वाले शीर्ष खेलों में शामिल होगा। रनिंदर ने अपने 12 वर्ष के कार्यकाल में जमीनी स्तर पर काफी अच्छे काम किए हैं। हमारा हाई परफार्मेंस सेटअप बना हुआ है। एशियाई खेलों और ओलंपिक में फिर बड़ा दल भेजेने की तैयारी।

By Jagran NewsEdited By: Geetika SharmaUpdated: Fri, 14 Jul 2023 03:47 PM (IST)
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jagran Exclusive interview with Former BJD MP Dev. Image Twitter

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी पिछले दो ओलंपिक में निशानेबाजी में कोई पदक नहीं जीतने के बावजूद भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरआई) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कलिकेश नारायण सिंह देव का कहना है कि इस बार निशानेबाजी पदक प्राप्त करने वाले शीर्ष खेलों में शामिल होगा।

अध्यक्ष रनिंदर सिंह के हटने के बाद संघ का काम देख रहे बीजेडी के पूर्व सांसद कलिकेश नारायण सिंह देव से जागरण संवाददाता अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। रिनंदर के हटने के बाद आपने अप्रैल में एनआरआई की जिम्मेदारी संभाली है। इस वर्ष एशियाई खेल और अगले वर्ष ओलंपिक होने हैं।

ऐसे में आपके लिए ये कितना चुनौतीपूर्ण था?

निशानेबाजी हर बार भारत के लिए महत्वपूर्ण स्पर्धा रही है। पिछली बार भी ओलंपिक के लिए सबसे बड़ा दल निशानेबाजों का ही था। ये अलग बात है कि हम पदक नहीं जीत पाए, लेकिन हर बार हमारे एथलीट अच्छा प्रदर्शन करते हैं और हम शीर्ष टीमों में रहते हैं। रनिंदर ने अपने 12 वर्ष के कार्यकाल में जमीनी स्तर पर काफी अच्छे काम किए हैं। हमारा हाई परफार्मेंस सेटअप बना हुआ है।

इस बार हम एशियाई खेलों और ओलंपिक में फिर बड़ा दल भेजेंगे और पदक प्राप्त करने में निशानेबाजी शीर्ष खेलों में होगा। हम प्रत्येक खिलाड़ी के लिए व्यक्तिगत ट्रेनिंग और रेस्ट रिकवरी योजना बना रहे हैं। हाई परफार्मेंस टीम काफी बड़ी है। हमारी एक टीम अभी पेरिस जा रही है। जहां अगले साल ओ¨लपिक स्पर्धा होनी है, उसी रेंज पर वे अभ्यास करेंगे।

एशियाई खेलों से पहले भारतीय निशानेबाजों को बाकू में अगस्त में विश्व चैंपियनशिप में खेलना है। ये पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग इवेंट भी होगा। ओलंपिक कोटा भी है और एशियाई खेल भी हैं, कैसे इसमें सामंज्य बना रहे हैं? 

अगले तीन महीने हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। विश्व चैंपियनशिप में ओलिपिक का अधिकतर कोटा तय हो जाएगा। बाकी कोटा हमें एशियाई चैंपियनशिप में मिलेगा। इसके बाद एशियाई खेल होंगे। ये काफी अहम समय है। निशानेबाजों के कैंप लगे हुए हैं। विदेशी और भारतीय कोच उनके साथ काम कर रहे हैं। प्रत्येक की चोट व प्रदर्शन पर नजर रखी जा रही है।

रियो और टोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजी में हम कोई पदक नहीं जीत सके थे। आपके अनुसार क्या कारण रहा और इस बार इसे दूर करने के लिए क्या किया गया है?

हमारे निशानेबाजों की प्रतिभा बहुत ही अद्भुत है और मैं समझता हूं कि विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहां विशेष तौर पर निशानेबाजी में नैसर्गिक प्रतिभा उभरती है। पिछले दो ओलंपिक में हमें जो विफलता मिली है, उसका बड़ा कारण एथलीटों को सही समय पर मानसिक और भावनात्मक सहयोग नहीं मिलना था।

इस बार हमने स्पो‌र्ट्स साइंस और डेटा साइंस टीम का काफी सहयोग लिया है। देश-विदेश के लोग इस टीम में है। हमारा फोकस यही है कि हमारे एथलीट देश के साथ साथ विदेश में भी अच्छा करें। विशेषकर फाइनल में पदक कैसे जीतें, इस पर हमने काफी ध्यान दिया है।

टोक्यो ओलंपिक से पहले कोच जसपाल राणा ने मनु भाकर का साथ छोड़ दिया था। अब ये दोनों एक बार फिर साथ आ रहे हैं। उन्हें साथ लाने में राइफल संघ की कोई भूमिका रही है? -

मनु और जसपाल के बीच गुरु और शिष्या का पुराना रिश्ता है। बीच में जो अनबन हुई थी, वो सब जानते हैं। आज के समय में मनु और जसपाल फिर साथ काम करना चाहते हैं। संघ की ओर से उन्हें पूरा समर्थन मिलेगा। निशानेबाजी व्यक्तिगत खेल के साथ-साथ टीम खेल भी है। जिससे भी एथलीट को मानिसक समर्थन मिलेगा, हम वो करने को तैयार हैं। आज के दिन में दो लोग काम करना चाहते हैं एक साथ, तो हमारा उन्हें पूरा समर्थन है। - इस बार भोपाल में हुए विश्व कप में भी हम एक स्वर्ण ही जीत सके और चीन ने आठ पदक जीते थे।

ऐसे में पेरिस के लिए हमारे खिलाड़ी कितने तैयार हैं?

देखिए, भोपाल में भारत का प्रदर्शन खराब नहीं था, चीन का प्रदर्शन काफी अच्छा था। हमने जो भी पदक हारे थे वह भी .1 और .01 के मामूली अंतर से हारे थे। लेकिन हमको मानना पड़ेगा कि ओ¨लपिक में अगर स्वर्ण पदक जीतना है तो चीन को हराना पड़ेगा। भोपाल में हमारे एथलीटों ने दो रिकार्ड तोड़े थे, लेकिन ओ¨लपिक के लिए हमें काफी काम करने की जरूरत है।

पेरिस ओलंपिक के लिए आप लोग अभी से रेकी कर रहे हैं?

2024 ओलंपिक में जो निशानेबाजी के स्थल हैं, वह पेरिस से तीन चार घंटे की दूरी पर हैं। तो हमें ये जानना जरूरी है कि वहां रहने की सुविधा कैसी होगी, खाने की सुविधा कैसी होगी। हम अतिरिक्त सपोर्ट स्टाफ ले जाएंगे, उनका इंतजाम करना होगा। उसमें फिजियोथेरेपिस्ट, डाक्टर, न्यूट्रीशियन, साइकोलोजिस्ट के लिए हमें प्रबंध करने होंगे। ऐसा माहौल बनाना होगा, चाहे वो ओलंपिक विलेज में हो या उससे बाहर, एथलीटों को मानसिक, भावनात्मक, तकनीकी और फिजिकली पूरा सहयोग मिल सके।

निशानेबाजों के खाने के लिए कुछ विशेष प्रबंध होंगे?

हमारे ज्यादातर निशानेबाज गांव से आते हैं, ये हमारा फर्ज बनता है कि हम उन्हें ऐसा खाना उपलब्ध कराएं, जिससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो। ये निशानेबाजी में काफी अहम है। हम सोच रहे हैं या तो हम भारत से कुक ले जाएंगे या पेरिस में ही भारतीय खाना बनाने वाले का इंतजाम करेंगे ताकि हमारे निशानेबाजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।

पिछले ओलंपिक में खराब प्रदर्शन के बाद तत्कालीन अध्यक्ष रनिंदर ने बदलाव को लेकर कई वादे किए थे। आपको लगता है कि क्या सबकुछ ठीक हो गया है?

मेरा ये मानना है कि निशानेबाजी में नवीनतम तकनीक लाने की जरूरत है। कुछ हद तक र¨नदर ने अपने समय में ये काम शुरू किया था और मुझे इस काम को बढ़ाना है। निशानेबाजी में मानसिक और भावनात्मक समर्थन की जरूरत होती है, विशेषतौर पर फाइनल में स्वर्ण प्राप्त करने के लिए है।

हमारा एक स्पो‌र्ट्स साइंस प्रोग्राम बना हुआ है। मेरी इच्छा है कि उसको बढ़ाने के लिए हमारे निशानेबाजों के साथ मिलकर स्पो‌र्ट्स साइंस का ढांचा सुधारें ताकि निशानेबाजों के लिए इको सिस्टम बन सके। रनिंदर निशानेबाजी के लिए बहुत जुनूनी हैं। मैंने उनसे काफी सीखा है। मुझे जो कमी लगेगी, मैं उसे सुधारने की पूरी कोशिश करूंगा।

इको सिस्टम, स्पो‌र्ट्स साइंस तो ठीक है लेकिन कोच-खिलाड़ी और निशानेबाजों के आपस के मतभेदों से कैसे निपटेंगे?

मेरे खयाल से एनआइएआइ को खुद निगरानी सिस्टम में ज्यादा सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है। अगर आप एनआरएआइ की कार्यकारी समिति देखेंगे तो 80 से 90 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रह चुके हैं। खेल में रुचि और जुनून सबको है।

इसके अलावा कई पुराने निशानेबाज जो हमसे जुड़े हैं, उनकी राय लेकर हमें बारीकी से नजर रखनी होगी। हमारी कोशिश होगी कि टोक्यो ओलंपिक के समय जो मतभेद थे, वो इस बार नजर न आएं। अगर नजर आते हैं तो हमें बैठकर सुलझाने की कोशिश करेंगे। अगर हम लापरवाही बरतेंगे तो ये खेल के लिए काफी मुश्किल हो जाएगा।