इंडियन ग्रांप्रि फार्मूला वन के 10 साल बाद बुद्ध इंटरनेशनल रेसिंग ट्रैक हुआ गुलजार, MotoGP रेस का लगा महाकुंभ
मोटोजीपी को लेकर स्थानीय लोगों में बहुत उत्साह नजर आ रहा है। ये चैंपियनशिप भारत में पहली बार हो रही है इसलिए बहुतायत लोग इसके नियमों और स्कोरिंग सिस्टम से अनभिज्ञ हैं लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि रोज नई ऊंचाइयां छू रहा भारत मोटरस्पोर्ट्स के नक्शे में फिर से विराजमान हो गया है। मोटोजीपी के बारे में पढ़ें एक रिपोर्ट।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। 2011 से 2013 तक भारत में फार्मूला वन रेस हुई जिसे रेसिंग की दुनिया में इंडियन ग्रांप्रि के नाम से पुकारा जाता था। उसके बाद से ग्रेटर नोएडा के बुद्ध अंतरराष्ट्रीय सर्किट में उस स्तर की कोई भी स्पर्धा नहीं हुई। इस सर्किट के निर्माताओं के कई तरह के कानूनी पचड़ों में फंसने के बाद ऐसा लगा कि अब देश का एकमात्र फार्मूला वन ट्रैक वीरान ही रहेगा, लेकिन भारत को यह मंजूर नहीं था।
जिस ट्रैक पर कभी दुनिया की सबसे बेहतरीन कार रेस इंडियन ग्रांप्रि हुई थी, अब शुक्रवार से रविवार तक वहीं पर विश्व की सबसे चर्चित बाइक रेस मोटोजीपी भारत होगी। इस साल हैदराबाद में फार्मूला-ई के सफल आयोजन के बाद अब भारत देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रहा है। शुरुआती दो दिनों तक अभ्यास सत्र और क्वालीफाइंग रेस होगी और रविवार को फाइनल रेस का आयोजन होगा।
मोटोजीपी को लेकर स्थानीय लोगों में बहुत उत्साह नजर आ रहा है। ये चैंपियनशिप भारत में पहली बार हो रही है, इसलिए बहुतायत लोग इसके नियमों और स्कोरिंग सिस्टम से अनभिज्ञ हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि रोज नई ऊंचाइयां छू रहा भारत मोटरस्पोर्ट्स के नक्शे में फिर से विराजमान हो गया है।
टूर्नामेंट का संक्षिप्त इतिहास
मोटोजीपी का पहला संस्करण 1949 में आयोजित किया गया था। उस समय, दौड़ पांच श्रेणियों - 125सीसी, 250सीसी, 350सीसी, 500सीसी और साइडकार में आयोजित की गई थी। जबकि पहले दो दशकों तक अधिकतर वर्गों में चार-स्ट्रोक इंजन प्रमुख थे। 1960 के दशक के उत्तरार्ध से दो-स्ट्रोक इंजन अहम बन गए।
मोटोजीपी के नायक रहे हैं ये राइडर्स
मोटोजीपी ने समय-समय पर कई चैंपियनों को विश्वभर के सर्किटों पर हावी होते देखा है, लेकिन कुछ नायक दूसरों की तुलना में अधिक खास रहे हैं। उदाहरण के लिए जियाकोमो एगोस्टिनी को लें। इस इटालियन ने 1977 में सेवानिवृत्त होने तक, 1960 और 1970 के दशक में 17 वर्षों के करियर में 15 विश्व चैंपियनशिप खिताब और 122 ग्रांप्रि जीत प्राप्त की थी। फिर वैलेंटिनो रासी के रूप में एक और इतालवी हैं जिनके नाम नौ विश्व खिताब हैं, जिनमें से सात प्रमुख वर्ग में हैं।
उन्होंने 89 रेस जीतीं और 199 अवसरों पर पोडियम पर पहुंचे। खेल के कई दिग्गजों में से एक स्पेन के मार्क मार्केज हैं जो भारत में आगामी दौड़ में भी प्रतिस्पर्धा करेंगे। मार्केज होंडा के लिए राइड करते हैं और उनके नाम आठ विश्व चैंपियनशिप खिताब हैं, जिनमें से छह मोटोजीपी खिताब हैं।
मोटोजीपी भारत में इन रेसर्स पर रहेंगी नजरें
मोटोजीपी भारत में कुल 11 टीमें भाग ले रही हैं, और इनमें 22 राइडर्स शामिल हैं। अधिकतर राइडर्स स्पेन और इटली से हैं और इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और जापान से भी कुछ राइडर्स शामिल हो रहे हैं। इन राइडर्स में जार्ज मार्टिन, मोटोजीपी दिग्गज वैलेंटिनो रासी के सौतेले भाई लुका मारिनी, मार्को बेजेची, जोहान जारको और मार्क मार्केज जैसे कुछ बड़े नाम सम्मिलित हैं।
वर्तमान सत्र में अपना सबसे अच्छा समय नहीं होने के बावजूद मार्केज पर साफ तौर पर सबकी नजरें बनी हुई हैं। शीर्ष स्थान के लिए फ्रांसेस्को बगनिया और मार्टिन के बीच एक तीव्र लड़ाई चल रही है। मार्टिन ने इटली में आयोजित पिछली रेस जीती थी और चीजें उनके पक्ष में बनी रहने की संभावना है। इटली में दूसरे स्थान पर रहने के बाद बेजेची को भी अपने अवसर की आशा होगी।
फार्मूला-वन के बाद मोटोजीपी की मेजबानी मोटोजीपी भारत ग्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में होगी। यह वही स्थान है जिसने पहले फार्मूला-वन रेस की भी मेजबानी की थी। मुख्य मोटोजीपी रेस में 24 लैप्स होंगे यानी कुल राइड दूरी 118.97 किलोमीटर होगी। सर्किट पर एक लैप 4.96 किमी लंबा है और इसमें आठ दाएं कोने और पांच बाएं कोने हैं। ट्रैक की चौड़ाई 12 मीटर है जबकि सबसे लंबी सीधी रेखा 1,006 मीटर है।
ऐसे देख सकते हैं ये रेस
मोटोजीपी भारत के टिकट बुकमायशो के जरिए खरीदे जा सकते हैं। इसकी कीमतें 800 रुपये से लेकर 1.80 लाख रुपये के बीच हैं। हालांकि, कम कीमत वाले कुछ टिकट पहले ही बिक चुके हैं। जो लोग अपने घरों में आराम से रेस देखना चाहते हैं, उनके लिए स्पोर्ट्स-18 के पास प्रसारण अधिकार हैं, जबकि जियो सिनेमा के पास रेस के लाइवस्ट्रीमिंग अधिकार हैं।