इंडियन ग्रांप्रि फार्मूला वन के 10 साल बाद बुद्ध इंटरनेशनल रेसिंग ट्रैक हुआ गुलजार, MotoGP रेस का लगा महाकुंभ
मोटोजीपी को लेकर स्थानीय लोगों में बहुत उत्साह नजर आ रहा है। ये चैंपियनशिप भारत में पहली बार हो रही है इसलिए बहुतायत लोग इसके नियमों और स्कोरिंग सिस्टम से अनभिज्ञ हैं लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि रोज नई ऊंचाइयां छू रहा भारत मोटरस्पोर्ट्स के नक्शे में फिर से विराजमान हो गया है। मोटोजीपी के बारे में पढ़ें एक रिपोर्ट।
By Jagran NewsEdited By: Umesh KumarUpdated: Fri, 22 Sep 2023 01:45 AM (IST)
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। 2011 से 2013 तक भारत में फार्मूला वन रेस हुई जिसे रेसिंग की दुनिया में इंडियन ग्रांप्रि के नाम से पुकारा जाता था। उसके बाद से ग्रेटर नोएडा के बुद्ध अंतरराष्ट्रीय सर्किट में उस स्तर की कोई भी स्पर्धा नहीं हुई। इस सर्किट के निर्माताओं के कई तरह के कानूनी पचड़ों में फंसने के बाद ऐसा लगा कि अब देश का एकमात्र फार्मूला वन ट्रैक वीरान ही रहेगा, लेकिन भारत को यह मंजूर नहीं था।
जिस ट्रैक पर कभी दुनिया की सबसे बेहतरीन कार रेस इंडियन ग्रांप्रि हुई थी, अब शुक्रवार से रविवार तक वहीं पर विश्व की सबसे चर्चित बाइक रेस मोटोजीपी भारत होगी। इस साल हैदराबाद में फार्मूला-ई के सफल आयोजन के बाद अब भारत देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रहा है। शुरुआती दो दिनों तक अभ्यास सत्र और क्वालीफाइंग रेस होगी और रविवार को फाइनल रेस का आयोजन होगा।
मोटोजीपी को लेकर स्थानीय लोगों में बहुत उत्साह नजर आ रहा है। ये चैंपियनशिप भारत में पहली बार हो रही है, इसलिए बहुतायत लोग इसके नियमों और स्कोरिंग सिस्टम से अनभिज्ञ हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि रोज नई ऊंचाइयां छू रहा भारत मोटरस्पोर्ट्स के नक्शे में फिर से विराजमान हो गया है।
टूर्नामेंट का संक्षिप्त इतिहास
मोटोजीपी का पहला संस्करण 1949 में आयोजित किया गया था। उस समय, दौड़ पांच श्रेणियों - 125सीसी, 250सीसी, 350सीसी, 500सीसी और साइडकार में आयोजित की गई थी। जबकि पहले दो दशकों तक अधिकतर वर्गों में चार-स्ट्रोक इंजन प्रमुख थे। 1960 के दशक के उत्तरार्ध से दो-स्ट्रोक इंजन अहम बन गए।मोटोजीपी के नायक रहे हैं ये राइडर्स
मोटोजीपी ने समय-समय पर कई चैंपियनों को विश्वभर के सर्किटों पर हावी होते देखा है, लेकिन कुछ नायक दूसरों की तुलना में अधिक खास रहे हैं। उदाहरण के लिए जियाकोमो एगोस्टिनी को लें। इस इटालियन ने 1977 में सेवानिवृत्त होने तक, 1960 और 1970 के दशक में 17 वर्षों के करियर में 15 विश्व चैंपियनशिप खिताब और 122 ग्रांप्रि जीत प्राप्त की थी। फिर वैलेंटिनो रासी के रूप में एक और इतालवी हैं जिनके नाम नौ विश्व खिताब हैं, जिनमें से सात प्रमुख वर्ग में हैं।
उन्होंने 89 रेस जीतीं और 199 अवसरों पर पोडियम पर पहुंचे। खेल के कई दिग्गजों में से एक स्पेन के मार्क मार्केज हैं जो भारत में आगामी दौड़ में भी प्रतिस्पर्धा करेंगे। मार्केज होंडा के लिए राइड करते हैं और उनके नाम आठ विश्व चैंपियनशिप खिताब हैं, जिनमें से छह मोटोजीपी खिताब हैं।