शायद यही कारण है कि मौजूदा समय में लखनऊ खिलाड़ियों की जन्मस्थली नहीं, बल्कि कर्मस्थली बन गया है।पिछले एक साल में लखनऊ के दर्जनभर खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा के दम पर अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। इनमें शारदानंद तिवारी, आमिर अली, विष्णुकांत, मुमताज खान, दिव्यांश श्रीवास्तव और तनीषा सिंह का नाम विशेष रूप से शामिल हैं।
खेल के नए केंद्र के रूप में लखनऊ के विकास की रिपोर्ट
उत्तर भारत का सबसे बड़ा खेल सेंटर लखनऊ को अपने राजधानी होने का दायित्वबोध है। उसने खेल को भी ऐसे सितारे दिए हैं, जिन्होंने देश-विदेश में तिरंगे का मान बढ़ाया है।शानदार आउटफील्ड और अपनी सुविधाओं के लिए दुनियाभर में चर्चित अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम बनने से शहर में खेल की तस्वीर ही बदल गई।
लखनऊ ने पहली बार की IPL की मेजबानी
लखनऊ ने पहली बार
इंडियन प्रीमियर लीग की मेजबानी की। इकाना में सात मैचों का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश की खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की सफल मेजबानी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहा।सितंबर में डेविस कप और अक्टूबर में
विश्व कप के तहत पांच मैचों की मेजबानी मिलना यह दर्शाता है कि लखनऊ अब उत्तर भारत का सबसे बड़ा खेल सेंटर बन चुका है।
इन सितारों ने बढ़ाया तिरंगे का मान
सब्जी विक्रेता हाफिज खान और कैसर जहां की छह बेटियों में से चौथी मुमताज की कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसकी पृष्ठभूमि सादगी से भरी है।मुमताज ने अपने मजबूत इरादे और कड़ी मेहनत के दम पर तमाम सामाजिक बंदिशों पर जीत हासिल करते हुए आज उस ऊंचाई पर पहुंच गई हैं जहां पहुंचना सभी खिलाड़ियों का सपना होता है।
शानदार प्रदर्शन की बदौलत बेहद कम समय में ही वह भारत की स्टार बन गई हैं। भारतीय टीम को जूनियर एशिया कप का खिताब दिलाने में मुमताज की अहम भूमिका रही।
मुमताज ने कई बड़े टूर्नामेंट में अपने खेल का मनवाया लोहा
इसके अलावा मुमताज जूनियर
हॉकी विश्व कप समेत कई बड़े टूर्नामेंट में अपने खेल का लोहा मनवा चुकी हैं। उन्हें पिछले साल अंतरराष्ट्रीय हाकी संघ (एफआइएच) की उभरती महिला वार्षिक स्टार खिलाड़ी का खिताब मिला। लखनऊ की इस बेटी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी सम्मान मिल चुका है।
रंग लाया हिना का जुनून
परिवार की विषम परिस्थिति ने रास्ता रोकने की कोशिश तो की, लेकिन कड़ी मेहनत और हॉकी के जुनून ने हिना खान को उनकी मंजिल तक पहुंचा दिया।पिता की मौत के बाद हिना की जिम्मेदारी उनके नाना के कंधों पर थी। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बाद भी नाना ने बेटी को कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी।हिना को वर्ष 2017 में साई सेंटर में प्रवेश मिला और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। रेसकोर्स में घोड़ों को चारा देने वाले कमरे में लंबे समय तक गुजर-बसर करने वाली हिना ने आखिरकार सारी मुसीबतों को शूटआउट करते हुए अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी का तमगा हासिल कर लिया।
पिछले साल आयरलैंड में हुए अंडर-23 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिना ने शानदार प्रदर्शन किया और रजत पदक जीतकर घर लौटीं।
कुछ कर गुजरने की ललक से मिली मंजिल
अगर मन में कुछ कर गुजरने की ललक हो, तो मंजिल मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही काम हॉकी स्टार आमिर अली ने कर दिखाया। आमिर अली के पिता मोटर मैकेनिक हैं। आमिर का परिवार अभी भी शाहनजफ इमामबाड़ा परिसर में बने एक कमरे में रहता है।
घर का खर्च आमिर के पिता तसव्वुर अली के फुटपाथ पर दो पहिया वाहन बनाने से मिले पैसों से चलता है, लेकिन इतनी कठिन परिस्थितियां भी इस खिलाड़ी के हौसले को डिगा नहीं सकीं। आमिर इस साल जूनियर हाकी एशिया कप जीतने वाली टीम इंडिया के सदस्य रहे।
शून्य से शिखर तक
जूनियर विश्व कप हो या जूनियर एशिया कप ऐसे कई बड़े टूर्नामेंट में धमाकेदार प्रदर्शन करने वाले शहर के शारदानंद तिवारी की शून्य से शिखर तक की यात्रा कितनी कठिन रही है, इसकी अनुभूति उनके छोटे आवास पर जाकर की जा सकती है।
डीएम सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाले शारदानंद का अभी तक का सफर रील लाइफ की तरह जरूर लगता है, लेकिन असल जिंदगी की कहानी संघर्षों से भरी रही है।शारदानंद के करियर की राह में कई चुनौतियां आईं, जिन पर उन्होंने कड़ी मेहनत, अनुशासन और घरवालों के समर्पण से विजय पाई। पिता गंगा प्रसाद तिवारी जिलाधिकारी के स्कार्ट की गाड़ी चलाते हैं और वहीं परिसर में पीछे कर्मचारी आवास में परिवार सहित रहते भी हैं।
अस्थमा और आर्थिक तंगी पर पाई विजय
करीब दस साल पहले की बात है। अस्थमा से पीड़ित लखनऊ के दिव्यांश श्रीवास्तव को एक डाक्टर ने सिर्फ इनडोर गेम खेलने की सलाह दी। खराब आर्थिक स्थिति के साथ दिव्यांश की बीमारी ने उनके माता-पिता की मुश्किलें और बढ़ा दीं।हालांकि, इसी बीच इस छोटे बच्चे ने टेबल टेनिस में अपनी किस्मत बनाने की ठानी, लेकिन घर की माली हालत ठीक न होने से हौसला टूटने लगा। किसी ने दिव्यांश के परिवार को टेबल टेनिस के कोच योगेंद्र अग्रवाल के पास जाने के लिए कहा। फिर क्या था, योगेंद्र के मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत से दिव्यांश ने न सिर्फ टेबल टेनिस सीखा बल्कि, इस खेल में सफलता की इबारत लिख दी।
शहर का यह उभरता टेबल टेनिस खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी चमक बिखेर चुका है और मौजूदा समय में यूपी का सर्वश्रेष्ठ टेटे खिलाड़ी है।
समर्पण और गुरु के मार्गदर्शन से मिली सफलता
लखनऊ की उभरती युवा शटलर तनीषा सिंह ने बेहद कम समय में बड़ी कामयाबी हासिल की है। तनीषा ने लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में साल 2011 से 2014 तक बैडमिंटन कोच देवेंद्र कौशल के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग की और फिर 2014 से लेकर 2020 तक बीबीडी यूपी बैडमिंटन अकादमी में जमकर पसीना बहाया।एकल और युगल में सब जूनियर और जूनियर वर्ग की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तनीषा छह बार की कांस्य पदक विजेता हैं। तनीषा इस साल जुलाई में इंडोनेशिया में हुई बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप में भारतीय टीम का हिस्सा थीं।
खेल सुविधाएं इकाना स्पोर्ट्स सिटी
अब वह दिन दूर नहीं जब अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम केवल क्रिकेट के लिए ही नहीं, बल्कि फुटबाल, बास्केटबाल, वालीबाल, हैंडबाल, बैडमिंटन, स्क्वैश, टेनिस और टेबल टेनिस जैसे खेलों की हाईटेक ट्रेनिंग के लिए भी जाना जाएगा। यहां बाकायदा एक खेल शहर विकसित हो रहा है।यानी प्रदेश के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिए दिल्ली-मुंबई जाकर धक्के खाने की जरूरत नहीं है। इकाना स्पोर्ट्स सिटी परिसर में बालक और बालिकाओं के हास्टल, सभी खेलों की अकादमी, फैकल्टी बिल्डिंग और गेस्ट हाउस भी बनकर तैयार हैं। अगले सत्र से दाखिले शुरू होंगे।केडी सिंह बाबू और चौक स्टेडियम खेल विभाग का मुख्यालय होने के कारण लखनऊ में सबसे ज्यादा चार मल्टीपरपज स्टेडियम (केडी सिंह बाबू, चौक, विजयंत और विनय खंड) है।इन चार सेंटरों में करीब एक हजार खिलाड़ी सुबह और शाम के सत्र में 20 से ज्यादा खेलों का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें केडी सिंह बाबू स्टेडियम में सबसे ज्यादा 15 खेलों की ट्रेनिंग दी जाती है। यह शहर का सबसे पुराना स्टेडियम है। वहीं, चौक स्टेडियम में एक इनडोर हाल तैयार है, जिसमें बाक्सिंग, फुटबाल, हैंडबाल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, जूडो और कराटे की ट्रेनिंग दी जा जाती है।विजयंत खंड स्टेडियम खेल विभाग के विजयंत खंड मिनी स्टेडियम में पद्मश्री मुहम्मद शाहिद अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोटर्फ हाकी स्टेडियम है, जहां जूनियर हॉकी विश्व कप के अलावा और भी बड़े टूर्नामेंट हो चुके हैं।हॉकी की महिला प्रशिक्षु एस्ट्रोटर्फ पर ट्रेनिंग करती हैं। प्रशिक्षुओं की ट्रेनिंग के लिए यहां एक बैडमिंटन हाल भी है। डेविस कप मुकाबलों के आयोजन विजयंत खंड स्टेडियम में होंगे। इसके लिए यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का टेनिस कोर्ट तैयार किया जा रहा है।साई सेंटर ओलिंपिक और पैरालिंपिक के लिए खेल मंत्रालय द्वारा बनाए साई सेंटर में महिला कुश्ती खिलाड़ी ट्रेनिंग करती हैं। भारतीय महिला पहलवानों का कैंप साई सेंटर लखनऊ में ही लगता है। दो साल पहले पैरा शटलरों ने भी लंबे समय तक सेंटर में रहकर तैयारी की थी। सेंटर को नेशनल सेंटर आफ एक्सीलेंस (एनसीओई) से भी जोड़ा गया है, जिसके तहत पांच खेलों के चुनिंदा 150 खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया जाता है।सेंटर का हॉकी एस्ट्रोटर्फ, एथलेटिक्स सिंथेटिक ट्रैक और रेसलिंग हाल विश्वस्तरीय है। यहां नियमित तौर पर नेशनल कैंप लगाए जाते रहे हैं।बीबीडी बैडमिंटन अकादमी यूपी बैडमिंटन अकादमी में नियमित तौर पर सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप का आयोजन होता है। यहां साइना, पीवी सिंधू, इंग्लैंड की दिग्गज शटलर कैरोलीना मारीन, तौफीक हिदायत, लिन डेन जैसे दिग्गज अपना जलवा बिखेर चुके हैं।यहां बैडमिंटन की विश्वस्तरीय ट्रेनिंग दी जाती है। बेहतरीन सुविधाओं की वजह से ही देश के कई बड़े खिलाड़ी यूपी बैडमिंटन अकादमी में ट्रेनिंग कर चुके हैं। मौजूदा समय में अकादमी के कई प्रशिक्षु देश-विदेश में लखनऊ का नाम रोशन कर रहे हैं।