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Special Olympics: जब रास्ते हुए मुश्किल तब जीते 2 मेडल, दर्द भरी है साइकिल चैंपियन Neel Yadav की कहानी

बर्लिन में बुधवार को स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में रोड रेस 5 किमी का लूप ट्रैक था। यह वहीं खत्म हुआ जहां से शुरू हुआ था। अंतिम 1 किमी एक सीधी सड़क थी। बहुत कम या कोई कम्यूनिकेशन डिवाइस नहीं होने के कारण अधिकांश कोच फिनिश लाइन पर इंतजार कर रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि उनके बच्चे अंतिम मोड पर सुरक्षित आएंगे।

By Jagran NewsEdited By: Umesh KumarUpdated: Sat, 24 Jun 2023 07:31 PM (IST)
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नील यादव बर्लिन गेम्स में जीता दो मेडल।
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। रेस शुरू होने की सीटी बजी, लेकिन नील यादव के लिए शुरुआत अच्छी नहीं रही। नील यादव की साइकिलिंग रोड रेस करियर की अब तक की सबसे सबसे खराब शुरुआत थी। जैसे ही हरी झंडी दिखाई गई, सभी प्रतिस्पर्धियों के बीच पहले स्थान पर आने की होड़ मच गई। हालांकि, नील यादव ने वापसी करते हुए भारत के लिए मेडल जीते।

बुधवार को बर्लिन में स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में रोड रेस 5 किमी का लूप ट्रैक था। यह वहीं खत्म हुआ, जहां से शुरू हुआ था। अंतिम 1 किमी एक सीधी सड़क थी। बहुत कम या कोई कम्यूनिकेशन डिवाइस नहीं होने के कारण, अधिकांश कोच फिनिश लाइन पर इंतजार कर रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि उनके बच्चे अंतिम मोड पर सुरक्षित आएंगे।

मुस्कुराते हुए कहा- "मेडल पिता के लिए"

नील ने अंततः रोड रेस में कांस्य पदक जीता। और इतना ही नहीं। शाम के सेशन में, नील ने टाइम ट्रायल में स्वर्ण पदक के साथ अपना अभियान समाप्त किया। नील ने शर्माते हुए, लेकिन खुलकर मुस्कुराते हुए कहा, "मेरे पिता ने मुझे साइकिल से परिचित कराया। ये पदक उनके लिए हैं।"

नील को जानने वाले सभी लोग उनकी कठिन शुरुआत के आदी हैं। 18 वर्षीय नील का समय से पहले जन्म हुआ था और वह अपने जन्म के बाद लंबे समय तक आईसीयू में थे। डॉक्टरों ने उनके माता-पिता को चेतावनी दी थी कि उनके बचने की संभावना कम है। उनके माता-पिता ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। जैसे-जैसे वह बड़े हुए, उनके माता-पिता ने भी देखा कि उनके विकास में देरी हो रही है, और उनकी स्थिति को समझने के लिए अलग-अलग डाक्टरों से परामर्श किया।

पिता ने साइकिल चलाने के लिए किया प्रेरित

जब वह पांच वर्ष के थे, तब उन्हें सीखने की अक्षमता का पता चला। उनके पिता, जो साइकिल चलाने के शौकीन थे, किसी तरह अपने बेटे में इस खेल के प्रति अपना प्यार जगाने में कामयाब रहे। फिर क्या था उनका यह बेटा साइकिल चलाने के लिए घंटों घर से गायब रहता था। गुड़गांव के रहने वाले नील को 2017 में एसओ भारत हरियाणा एरिया डायरेक्टर वीरेंद्र कुमार के साथ एक मुलाकात के बाद एसओ भारत प्रोग्राम में शामिल किया गया था।

उनके माता-पिता ने इसे न केवल साइकिल चलाने के प्रति उनके जुनून को विकसित करने बल्कि, इसमें बेहतर होने का मौका देने के अवसर के रूप में देखा। झारखंड में साइकिल चालकों के कैंप में कुछ ट्रेनिंग सेशन के बाद, वह अपने खेल के शिखर तक पहुंचने की राह पर थे। नील दिल्ली में इंडोर साइकिलिंग वेलोड्रोम में नियमित रूप से अभ्यास करते हैं।