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भारत को खेल महाशक्ति बनाने के लिए नीरज चोपड़ा ने बताया मास्टर प्लान, कहा- टैलेंट खोजना बहुत जरूरी

नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक-2024 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। इसी के साथ वह दो ओलंपिक मेडल जीतने वाले भारत के चौथे खिलाड़ी बन गए। नीरज ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि भारत के पास काफी टैलेंट है और खेल महाशक्ति बनने के लिए उस टैलेंट को बाहर लाना बेहद जरूरी है तभी चीन अमेरिका की बराबरी हो पाएगी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Sat, 17 Aug 2024 10:55 PM (IST)
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नीरज चोपड़ा ने टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में जीते मेडल

सुकांत सौरभ, जेएनएन, नई दिल्ली। भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतने के साथ ही देश के सबसे सफल एथलीट बन गए हैं। बड़े मंच पर देश का नाम रोशन करने की यह उनकी भूख ही है कि ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट के बाद उन्होंने विश्राम के स्थान पर आगामी डायमंड लीग चरणों की तैयारी शुरू कर दी है।

जेएसडब्ल्यू एथलीट नीरज से यह पूछने पर कि देश खेल महाशक्ति कैसे बन सकता है, उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रतिभाओं की बेहतर ढंग से खोज आवश्यक है। सुकांत सौरभ ने नीरज चोपड़ा से विशेष बातचीत की।

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पेश हैं मुख्य अंश-

सवाल: नीरज पहले तो आपको बहुत-बहुत बधाई। क्या अभी भी आप जर्मनी में हो? हमने सुना था कि ओलंपिक के बाद आप वहां परामर्श लेने गए हो?

नीरज: बहुत-बहुत धन्यवाद जी। नहीं, मैं डायमंड लीग से पहले प्रशिक्षण के लिए स्विट्जरलैंड आ गया हूं। मैं पिछली ओलंपिक की तरह सत्र की समाप्ति से पहले नहीं हटना चाहता था। सौभाग्य से पेरिस में प्रतियोगिता के दौरान मेरी चोट नहीं बढ़ी क्योंकि मैंने इसका अतिरिक्त ख्याल रखा। मैं फिलहाल विदेशी एथलीटों की तरह अपना सत्र जारी रखने के बारे में सोच रहा हूं। सत्र समाप्त होने में एक महीना शेष है। मैं इस बीच डाक्टरों से मिलने की कोशिश करूंगा।

सवाल: पेरिस ओलंपिक फाइनल में जब अरशद ने 92.97 के थ्रो के साथ रिकॉर्ड बनाया तब आपके दिमाग में क्या चल रहा था? क्या आपको आशा थी कि आप उन्हें पछाड़ सकते हैं?-

नीरज: देखिए, मैं सच बोलूं तो मुझे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगा था कि मैं उन्हें नहीं पछाड़ सकता। यहां तक कि उनके सर्वश्रेष्ठ थ्रो के बाद ही मैंने 89.45 मीटर का थ्रो फेंका था। मुझे लग रहा था कि भले ही आज तक मैंने 90 मीटर का मार्क क्रास नहीं किया, लेकिन शायद आज कर लूंगा। मुझे अपनी तकनीक में भी थोड़ा परिवर्तन करना होगा क्योंकि जब मैं भाले के साथ दौड़ता हूं तो क्रॉस स्टेप लेने पर कमर पर काफी दबाव पड़ता है, लेकिन अभी मैं अपनी तकनीक में बदलाव नहीं कर पा रहा हूं।

इसके अलावा पेरिस में मेरी भाले की लाइन भी सही नहीं थी। पेरिस में आर्क स्पीड अच्छी थी, लेकिन लाइन सही नहीं हो पा रही थी, अगर यह सीधी होती तो मैं इससे दो तीन मीटर दूर निकल सकता था। मैंने एक बार भी नहीं सोचा था कि अरशद के थ्रो से बेहतर नहीं किया जा सकता। मेरा दिमाग तैयार था, लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा था।

सवाल: नीरज अब आगामी टूर्नामेंट में 90 मीटर के लक्ष्य को लेकर आपकी क्या रणनीति है?

नीरज: अब लगता है कि इस तरह के लक्ष्य को 'ऊपरवाले' पर छोड़ना होगा। मैं बस अच्छी तरह से तैयारी करना चाहता हूं और देखना चाहता हूं कि भाला कहां जाता है। 90 मीटर के बारे में पहले ही बात हो चुकी है, अब मुझे लगता है कि इसे रहने दो। पेरिस में मुझे लगा था कि यह होगा और यह हो सकता था। अब मैं अगले दो या तीन प्रतियोगिताओं में अपना 100 प्रतिशत दूंगा और देखूंगा कि क्या होता है। इस दौरान मैं अपनी खामियों को सुधारने पर काम करूंगा।

सवाल: इस बार अगर आप भारतीय दल के प्रदर्शन की बात करें तो हम पिछली बार के बराबर भी नहीं पहुंच सके। आप भारतीय दल के प्रदर्शन से कितना संतुष्ट हैं?

नीरज: मैं अगर व्यक्तिगत रूप से बात करूं तो मुझे सभी का प्रदर्शन बहुत अच्छा लगा। विश्व के सर्वश्रेष्ठ एथलीट को वह कड़ा मुकाबला दे रहे थे। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर हमें ऐसे मंच पर प्रदर्शन करना है तो हमें मानसिक रूप से सुदृढ रहना होगा। जो हमारे जूनियर एथलीट हैं, जैसे लक्ष्य से मैं मिला, निशांत से मिला और भी जो एथलीट थे वे बिल्कुल भी घबराए हुए नहीं थे। उन्हें पता था कि हम यहां जीतने के लिए आए हैं।

वो चीज मुझे बहुत अच्छी लगी। इससे मुझे लगा कि हमारा भविष्य अच्छे हाथों में है। हम भले ही पदक पिछली बार से कम जीते पर अगर विनेश का ऐसा नहीं होता तो हम पिछली बार के बराबर पहुंच जाते और इस बार हमारे छह एथलीट चौथे स्थान पर रहे। इसे खराब प्रदर्शन नहीं कह सकते। आने वाले समय में एथलीट और अच्छी तैयारी करेंगे और अभी जो कांस्य और रजत हैं वह स्वर्ण में बदलेंगे और जो चौथे स्थान थे वह पदक बनेंगे।

सवाल: नीरज आपके अनुसार देश को खेल महाशक्ति बनाने के लिए क्या करना होगा? हम 2036 ओलंपिक की मेजबानी करना चाहते हैं, ऐसे में हमें किन खेलों में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है?

नीरज: विदेशों में प्रतिभाओं की खोज करने वाले अधिक लोग हैं। उदाहरण के लिए, मैंने भाला फेंकना सीखा, मुझे नहीं पता कि कैसे, मुझे यह पसंद आया इसलिए मैंने इसे अपनाया। लेकिन अगर हमारे पास प्रतिभा पहचान करने वाले हों तो हम और अच्छा कर सकते हैं। इसके अलावा, हम केवल एक खेल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते। हमें सभी खेलों में अच्छा होने की आवश्यकता है।

मुझे लगता है कि पदक तालिका में जो देश शीर्ष (चीन, अमेरिका, जापान) पर हैं, वे सभी विभिन्न क्षेत्रों में शक्तिशाली देश हैं। आशा है कि हम अगले ओ¨लपिक में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमें फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने की दिशा में काम करना होगा। क्रिकेट में हम पहले से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, पर हमें और अधिक कोच की भी आवश्यकता है।

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