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'बचपन में गंवाया हाथ, मां ने नहीं टूटने दिया हौसला', परिस्थितियों से लड़कर Nishad Kumar ने पेरिस पैरालंपिक में जीता सिल्वर

Nishad Kumar हिमाचल प्रदेश के स्टार पैरा एथलीट निषाद कुमार के रजत के साथ ही भारत के अब पेरिस पैरालंपिक में सात पदक हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के अंब उपमंडल के गांव बदाऊं में किसान परिवार में पैदा हुए निषाद को आठ वर्ष की आयु में ही एक हादसे के कारण अपना दायां हाथ गंवाना पड़ा।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 02 Sep 2024 02:58 AM (IST)
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Nishad Kumar: निषाद ने पैरालंपिक इतिहास में ऊंची कूद श्रेणी में सिल्वर मेडल जीता।(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)
जागरण संवाददाता, ऊना। पैरालंपिक में पदक जीतने वालों के संघर्ष की अपनी ही कहानियां हैं। निषाद कुमार भी किसी से अलग नहीं और उनके रजत पदक के पीछे संघर्ष और कड़ी मेहनत की लंबी कहानी है। वह शुरू से ही पदक के दावेदारों में से एक थे और इसका कारण कुछ सालों में उनका प्रदर्शन है जिसमें उन्होंने लगातार अपने रिकार्ड को सुधारा और नई ऊंचाइयां छूते रहे।

कैसे कट गया था निषाद का हाथ?

इस दौरान उन्होंने विश्वभर की अलग-अलग चैंपियनशिप में पदक अपने नाम किए। निषाद पेरिस पैरालंपिक में रजत जीतने से पहले टोक्यो पैरालंपिक-2020 में भी देश के लिए रजत जीत चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के अंब उपमंडल के गांव बदाऊं में किसान परिवार में पैदा हुए निषाद को आठ वर्ष की आयु में ही एक हादसे के कारण अपना दायां हाथ गंवाना पड़ा।

घर में ही रखी चारा काटने वाली मशीन से उनका हाथ कट गया, जिसके कारण वह अपने साथ के अन्य बच्चों से अलग श्रेणी में आ गए, लेकिन उनकी क्षमता और दृढ़ इच्छाशक्ति का कोई सानी नहीं था।

चट्टान की तरह खड़ी रहीं मां

विद्यार्थी जीवन में वॉलीबाल व शॉटपुट की बेहतरीन राज्यस्तरीय खिलाड़ी रह चुकीं माता पुष्पा देवी बेटे निषाद के पीछे हमेशा चट्टान की तरह खड़ी रहीं।

मां ने ही उन्हें हौसला दिया था। निषाद कहते हैं कि मां-बाप ने उन्हें कभी महसूस नहीं होने दिया की वह दिव्यांग हो गए हैं। उनके इसी व्यवहार ने उन्हें मजबूत बनाया, वह स्कूल व कॉलेज स्तर के मुकाबलों में सामान्य खिलाडि़यों के साथ खेलते रहे।