अब अपनी मर्जी से अनुबंध नहीं कर सकेंगे पहलवान, भारतीय कुश्ती संघ ने कसा शिंकजा
भारतीय कुश्ती संघ ने पहलवानों पर अपनी मर्जी से अनुबंध करने पर प्रतिबंध लगाने का कड़ा फैसला लिया है। अब कोई भी पहलवान फेडरेशन की मंजूरी के बिना अनुबंध नहीं कर सकेंगे। अगर किसी भी पहलवान ने ऐसा किया तो फेडरेशन अनुशासनहीनता मानते हुए संबंधित पहलवान पर कार्रवाई करेगा।
By Sanjay SavernEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 07:09 PM (IST)
ओपी वशिष्ठ, रोहतक। ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप व कामनवेल्थ गेम्स में चयनित तथा पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के साथ कंपनियां अनुबंध कर लेती है। इसके बाद संबंधित खिलाड़ी की गतिविधियां व कार्यक्रमों को कंपनी अपनी मर्जी से संचालित करती है। ऐसे में फेडरेशन को भी कई बार दरकिनार कर दिया जाता है। भारतीय कुश्ती संघ ने पहलवानों पर अपनी मर्जी से अनुबंध करने पर प्रतिबंध लगाने का कड़ा फैसला लिया है। अब कोई भी पहलवान फेडरेशन की मंजूरी के बिना अनुबंध नहीं कर सकेंगे। अगर किसी भी पहलवान ने ऐसा किया तो फेडरेशन अनुशासनहीनता मानते हुए संबंधित पहलवान पर कार्रवाई करेगा। पहलवान किसी भी कंपनी के लिए विज्ञापन कर सकते हैं, इसमें किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
फेडरेशन खिलाड़ियों को ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप और कामनवेल्थ में भेजने के लिए पहलवानों की तैयारियों पर लाखों रुपये खर्च करता है। नेशनल कैंप, नकद पुरस्कार व अन्य सुविधाएं पहलवानों को फेडरेशन की ओर से दी जाती है। लेकिन पहलवान अपनी मर्जी से कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते है। कंपनियां फिर पहलवान को अपने तरीके से चलाती है, जिससे कई बार उनके खेल पर भी असर पड़ता है। अनुबंध के बाद पहलवान का खेल नीचे गिरा है, ऐसे कई मामले सामने आए है क्योंकि पहलवान खेल पर ध्यान नहीं दे पाता और कंपनी की दखलंदाजी ज्यादा रहती है। इसलिए फेडरेशन ने अब पहलवानों पर मर्जी से अनुबंध करने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। अगर किसी पहलवान ने अनुबंध करना है तो फेडरेशन से मंजूरी लेनी होगी।
- -कुश्ती संघ का पहलवानों पर शिकंजा
- - भारतीय कुश्ती संघ से पहले लेनी होगी मंजूरी, अन्यथा होगी कार्रवाई
- - पहलवान किसी भी कंपनी के विज्ञापन कर सकते हैं, लेकिन अनुबंध नहीं
- - भारतीय कुश्ती संघ की वार्षिक जनरल बाडी की बैठक में लिया निर्णय
- - भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष एवं सांसद बृजभूषण शरण ने की अध्यक्षता
भारतीय कुश्ती संघ पहलवानों पर खर्च करने के लिए स्पांसरशिप लेता है, जो फेडरेशन को लाखों-करोड़ों रुपये की राशि देते हैं। लेकिन जब फेडरेशन के पहलवान देश के लिए पदक जीतते हैं, तो फेडरेशन के स्पांसर की अनेदखी करते हुए अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते हैं। ऐसे में स्पांसर धीरे-धीरे फेडरेशन से हाथ पीछे खींचना शुरू कर देते हैं। फेडरेशन के स्पांसर के साथ ही पहलवानों का अनुबंध हो सकेगा।
भारतीय कुश्ती संघ के सहायक सचिव विनोद तोमर ने कहा कि देश में कई ऐसे स्पांसर हैं, जो फेडरेशन को आर्थिक मदद करते हैं। फेडरेशन इन्हीं स्पांसर के कारण पहलवानों की ट्रेनिंग, नकद पुरस्कार व अन्य सुविधाओं पर खर्च करती है। लेकिन पहलवान ओलिंपिक व कामनवेल्थ में पदक जीतने के बाद अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते हैं, जिससे उनका खेल भी प्रभावित होता है और फेडरेशन को मदद करने वाले स्पांसर भी नाराज होते हैं। इन सब कारणों को देखते हुए यह निर्णय लिया है।