WFI Election 2023: रियो ओलिंपिक में पदक जीतने वाली Sakshi Malik ने छोड़ी कुश्ती, 12 साल की उम्र में शुरू की थी पहलवानी
रियो ओलिंपिक 2016 में कांस्य पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान साक्षी मलिक ने सबसे पहले अपने डर पर काबू पाना सीखा था। क्योंकि शुरुआत में कुश्ती सीखने में चोट लगने का डर सताता था लेकिन कड़े अभ्यास और मेहनत के दम पर इस कमजोरी को दूर किया। इसी डर से पार पाने के बाद न केवल ओलिंपिक तक का सफर निश्चित किया बल्कि देश को पदक दिलाया।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। रियो ओलिंपिक 2016 में कांस्य पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान साक्षी मलिक ने सबसे पहले अपने डर पर काबू पाना सीखा था। क्योंकि शुरुआत में कुश्ती सीखने में चोट लगने का डर सताता था, लेकिन कड़े अभ्यास और मेहनत के दम पर इस कमजोरी को दूर किया। इसी डर से पार पाने के बाद न केवल ओलिंपिक तक का सफर निश्चित किया बल्कि देश को पदक भी दिलाया।
साक्षी मैट पर अटेकिंग होकर खेलती थी। ओलिंपिक में पदक दिलाने का काम अभी तक दूसरी दूसरी महिला पहलवान नहीं कर पाई है। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बूजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। धरना दिया। वीरवार को भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के गुट का कब्जा होने से आहत हो साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने की घोषणा की।
वहीं, पिता सुखबीर मलिक ने बताया कि दो दिन पहले बहादुरगढ़ में साक्षी मलिक से मुलाकात हुई थी, काफी हताश थी। कुश्ती छोड़ने को लेकर भी जिक्र किया था। डर को हरा रचा था इतिहास रिओ ओलंपिक में कुश्ती विनेश फोगाट से देश को उम्मीदें थीं। वह चोटिल हुईं। थोड़ी ही देर बार साक्षी की कुश्ती थी। विनेश दर्द से कराह रहीं थीं।
मनोबल टूटे नहीं, इसलिए सीनियर कोच कुलदीप मलिक उसके पास पहुंचे और कहा कि लंबी गहरी सांस लो और डर को दूर करके कुश्ती लड़ना। डर को पीछे छोड़ साक्षी ने इतिहास रचते हुए देश को कांस्य पदक दिलाया। साक्षी की मां आंगनवाड़ी सुपरवाइजर के पद पर हैं तो पिता सुखबीर मलिक दिल्ली डीटीसी से सेवानिवृत्त हैं।
कुश्ती के लिए परिवार ने छोड़ना पड़ा था गांव
साक्षी मलिक (Sakshi Malik) का जन्म जिले के मोखरा गांव में तीन सितंबर 1992 को हुआ। उनके दादा सुबीर मलिक पहलवान थे, जिनसे प्रेरित होकर साक्षी ने बचपन से ही कुश्ती में करियर बनाने की ठान ली। कुश्ती की ट्रेनिंग लेने के लिए साक्षी मलिक के परिवार ने गांव छोड़कर रोहतक में रहने का निर्णय लिया।मात्र 12 वर्ष की उम्र में साक्षी ने ईश्वर दहिया से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। साक्षी मलिक ने कम समय में ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। साक्षी मलिक ने कुश्ती मैट पर आने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक उपलब्धियां अपने नाम करती रहीं। साक्षी मलिक ने ओलिंपिक में पदक जीतने के बाद दो अप्रैल 2017 में अर्जुन अवार्डी पहलवान सत्यव्रत कादयान से शादी की।
देश का सर्वोच्च खेल रत्न से सम्मानित हैं साक्षी
रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद भारत सरकार ने साक्षी मलिक को खेल रत्न, पदकश्री और हरियाणा सरकार ने भीम अवार्ड से सम्मानित किया। इसके अलावा भी साक्षी मलिक को ढेरों पुरस्कार मिल चुके हैं। साक्षी मलिक रेलवे में नौकरी करती हैं। साक्षी मलिक ने अर्जुन अवार्ड नहीं देने पर सरकार के प्रति नाराजगी भी प्रकट की थी। उनका कहना था कि अर्जुन अवार्ड नाम से साथ जुड़ने से गर्व महसूस होता है।साक्षी मलिक की उपलब्धियां
- 2007 में सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- 2009 के एशियाई जूनियर विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक
- 2010 विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता
- 2013 के कामनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य पदक
- 2014 कामनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता
- 2016 रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता
- 2018 कामनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता
- 2022 कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता