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Paris Paralympics 2024: पैरालंपिक में भारत ने अब तक जीते 31 मेडल, टोक्‍यो में रचा था इतिहास; यहां देखें पूरी लिस्‍ट

पेरिस ओलंपिक 2024 के बाद अब 28 अगस्‍त से पेरिस पैरालंपिक 2024 का श्री गणेश होने जा रहा है। 8 सितंबर तक चलने वाले इन खेलों के लिए शुक्रवार को 84 एथलीट का भारतीय पैरालंपिक दल रवाना हुआ। पैरालंपिक खेलों की शुरुआत 1960 में हुई थी। भारत ने अब तक इसके 11 संस्करणों में हिस्‍सा लिया है। इस दौरान देश को कुल 31 मेडल मिल हैं।

By Rajat Gupta Edited By: Rajat Gupta Updated: Sat, 17 Aug 2024 02:01 PM (IST)
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टोक्‍यो पैरालंपिक में भारत ने जीते थे 19 मेडल।

 स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। पेरिस ओलंपिक 2024 के बाद अब 28 अगस्‍त से पेरिस पैरालंपिक 2024 का श्री गणेश होने जा रहा है। 8 सितंबर तक चलने वाले इन खेलों के लिए शुक्रवार को 84 एथलीट का भारतीय पैरालंपिक दल रवाना हुआ। इस बार भारतीय एथलीट 12 खेलों में हिस्‍सा ले रहे हैं।

पैरालंपिक में यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल है। भाग्यश्री जाधव और सुमित अंतिल भारत के ध्‍वजवाहक होंगे। इससे पहले टोक्‍यो पैरालंपिक 2020 में 54 एथलीट ने हिस्‍सा लिया था और सबसे ज्‍यादा 19 मेडल जीते थे।

1960 में हुई थी शुरुआत

  • पैरालंपिक खेलों की शुरुआत 1960 में हुई थी।
  • भारत ने अब तक इसके 11 संस्करणों में हिस्‍सा लिया है।
  • इस दौरान देश को कुल 31 मेडल मिल हैं।
  • इनमें 9 गोल्‍ड, 12 सिल्‍वर और 10 कांस्य हैं।

मुरलीकांत पेटकर ने जीता पहला मेडल

1965 के भारत-पाक युद्ध के हीरो मुरलीकांत पेटकर भारत के पहले पैरालंपिक मेडल विनर हैं। मुरलीकांत पेटकर ने 1972 के हीडलबर्ग गेम्‍स में तैराकी में मेंस 50 मीटर फ्रीस्टाइल 3 स्पर्धा में गोल्‍ड मेडल जीता था।

भारतीय सेना में इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर (EME) के एक जवान मुरलीकांत पेटकर एक मुक्केबाज थे। 1965 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में गोली लगने से वह पैरालाइज्‍ड हो गए। इसके बाद उन्‍होंने तैराकी शुरू की। साल 2018 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

जोगिंदर सिंह बेदी ने 3 पदक पर जमाया कब्‍जा

  • 1984 पैरालंपिक में भीमराव केसरकर ने मेंस भाला फेंक L6 में 34.55 मीटर के साथ सिल्‍वर मेडल जीता था।
  • जोगिंदर सिंह बेदी ने मेंस शॉटपुट एल6 में सिल्‍वर, पुरुषों की भाला फेंक एल6 स्पर्धा में ब्रॉन्‍ज और मेंस डिस्कस थ्रो L6 में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।
  • भारत ने 1984 के बाद से हर पैरालंपिक खेलों में हिस्‍सा लिया, लेकिन मेडल एथेंस में 2004 पैरालंपिक में मिला।
  • देवेन्द्र झाझरिया ने मेंस भाला फेंक F44/46 स्पर्धा में गोल्‍ड मेडल जीता।

एथेंस 2004 में प्रदर्शन

एथेंस 2004 में भारतीय पावरलिफ्टर राजिंदर सिंह रहेलू ने मेंस 56 किग्रा भार वर्ग में 157.5 किग्रा वजन उठाकर कांस्य पदक अपने नाम किया था। हाई जम्पर गिरीश एन गौड़ा ने 2012 लंदन पैरालंपिक में भारत के लिए सिल्‍वर मेडल जीता था। गिरीश एन गौड़ा को 2013 में पद्म श्री और अगले ही साल अर्जुन पुरस्कार मिला।

ऊंची कूद में जीता सोना

  • तमिलनाडु के मरियप्पन थंगावेलु ने रियो 2016 पैरालंपिक में मेंस ऊंची कूद F42 स्पर्धा में गोल्‍ड मेडल जीता था।
  • उन्होंने 1.89 मीटर की छलांग लगाई थी। मरियप्पन को पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार और भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्‍यानचंद खेल रत्न से नवाजा गया है।
  • वरुण सिंह भाटी ने 2016 रियो पैरा गेम्स में ऊंची कूद प्रतियोगिता में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।
  • वरुण सिंह भाटी को 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया था।

देवेन्द्र झाझरिया अब राजनीति में

देवेन्द्र झाझरिया ने 2016 रियो पैरालंपिक में अपना दूसरा गोल्‍ड मेडल जीता था। इस बार उन्होंने 63.97 मीटर थ्रो किया था। उन्‍हें साल 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्‍कार दिया गया। इन दिनों वह राजनीति में सक्रिय हैं।

दीपा मलिक पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने 2016 के रियो खेलों में महिलाओं की शॉट पुट F53 स्पर्धा में 4.61 मीटर की थ्रो के साथ सिल्‍वर मेडल जीता था। दीपा को 2012 में अर्जुन पुरस्कार, 2017 में पद्म श्री और 2019 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार दिया गया।

टोक्‍यो पैरालंपिक में भारत को 19 मेडल मिले

भावना पटेल पैरा गेम्स में पदक जीतने वाली पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। अपने पहले पैरालंपिक में भावना ने फाइनल में पहुंचने के मौजूदा चैंपियन सर्बिया की बोरिसलावा पेरिक को मात दी थी। हालांकि, फाइनल में वह चीन की झोउ यिंग से हार गई थीं और उन्‍हें सिल्‍वर मेडल से संतोष करना पड़ा था।

अवनि लेखरा ने रचा इतिहास

  • निशाद कुमार ने मेंस ऊंची कूद टी47 में 2.06 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ अपने ही एशियाई रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए सिल्‍वर मेडल जीता था।
  • अवनि लेखरा ने अपने पहले पैरालंपिक में गोल्‍ड मेडल जीता था।
  • उन्होंने टोक्यो में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग एसएच1 फाइनल में 249.6 का नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया।
  • इसके साथ ही अवनि लेखरा पैरालंपिक गोल्‍ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी।

सुमित अंतिल ने जीता गोल्‍ड

देवेन्द्र झाझरिया ने टोक्यो में मेंस भाला फेंक F46 वर्ग में सिल्‍वर मेडल पर कब्‍जा जमाया था। यह उनका तीसरा पैरालंपिक पदक था। सुंदर सिंह गुर्जर ने मेंस भाला फेंक F46 श्रेणी में कांस्य पदक जीता था। योगेश कथुनिया ने मेंस डिस्कस थ्रो F56 क्लास फाइनल में 44.58 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सिल्‍वर मेडल अपने नाम किया था। सुमित अंतिल ने मेंस भाला फेंक F64 श्रेणी में गोल्‍ड मेडल पर कब्‍जा जमाया।

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मरियप्पन ने जीता दूसरा मेडल

टोक्‍यो पैरालंपिक में सिंहराज अधाना ने मेंस 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 क्लास में कांस्य पदक पर निशाना साधा था। मरियप्पन थंगावेलु ने मेस ऊंची कूद टी42 वर्ग में रजत पदक जीता था। पैरालंपिक में यह उनका दूसरा मेडल था। शरद कुमार थे मेंस ऊंची कूद टी42 में कांस्य पदक अपने नाम किया था। प्रवीण कुमार ने टोक्यो पैरालिंपिक में मेस ऊंची कूद टी64 में 2.07 मीटर की छलांग के साथ सिल्‍वर मेडल जीता।

अवनि लेखारा ने दूसरे मेडल पर लगाया निशाना

  • निशानेबाज अवनि लेखारा ने टोक्यो पैरालंपिक में महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन एसएच1 श्रेणी में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।
  • इसके साथ ही वह पैरालंपिक में 2 मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं।
  • हरविंदर सिंह ने टोक्यो पैरालंपिक 2020 मेंस व्यक्तिगत रिकर्व-ओपन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।
  • पैरालंपिक में तीरंदाजी में यह भारत का पहला मेडल था।

टोक्‍यो पैरालंपिक के अन्‍य मेडल

मनीष नरवाल ने टोक्यो पैरालंपिक में मेंस 50 मीटर पिस्टल एसएच1 शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता। सिंहराज अधाना ने मेंस 50 मीटर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में रजत पदक पर कब्‍जा जमाया। प्रमोद भगत ने मेंस एकल बैडमिंटन SL3 श्रेणी में गोल्‍ड पर कब्‍जा जमाया। साथ ही मनोज सरकार ने मेंस सिंगल बैडमिंटन एसएल3 वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया।

IAS अधिकारी ने जीती चांदी

भारतीय शटलर और IAS अधिकारी सुहास यतिराज में मेंस सिंगल SL4 में सिल्‍वर मेडल जीता। कृष्णा नागर ने मेंस सिंगल बैडमिंटन एसएच6 वर्ग में गोल्‍ड मेडल अपने नाम किया।।हांगकांग के चू मान काई के खिलाफ फाइनल में उन्‍होंने 21-17, 16-21, 21-17 से जीत दर्ज की।

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