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Paris Olympics 2024: युद्ध के कारण 16 की उम्र में छोड़ा देश, जान बचाने के लिए पार किए 4 मुल्‍क; रुला देगी युसरा मार्दिनी की कहानी

खेल सिर्फ खेल नहीं होते बल्कि कई लोगों का जीवन कई लोगों की प्ररेणा और जीवन बदलने वाले होते है। कुछ खिलाड़ियों के लिए खेल समाज में एक पॉजिटिव मैसेज देने का जरिया भी होते हैं। पेरिस ओलंपिक में रिफ्यूजी टीम का हिस्सा युसरा मर्दिनी की कहानी कुछ ऐसी ही है। जंग के कारण युसरा को अपना देश सीरिया छोड़ना पड़ा था जिसमें उनके माता-पिता की जान चली गई थी।

By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Fri, 26 Jul 2024 02:18 PM (IST)
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युसरा मर्दिनी ने 2015 में छोड़ दिया था अपना देश (PC- Yusra Mardini Insta)

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। हर चार साल में होने वाले ओलंपिक खेलों में दुनिया भर के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। लगभग हर देश के खिलाड़ी इन खेलों में आते हैं। लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो रिफ्यूजी के तौर पर इन खेलों में खेलने के अपने सपने को पूरा करते हैं। ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं युसरा मार्दिनी।

सीरिया की युसरा ने युद्ध के कारण अपना देश छोड़ दिया था, लेकिन फिर भी अपना सपना जिया। उन्होंने 2016 और 2020 में ओलंपिक खेलों में स्वीमिंग में हिस्सा लिया। इस बार पेरिस में भी युसरा ओलंपिक खेलों में दिखाई देंगी।

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16 साल की उम्र में छोड़ा देश

युसरा ने साल 2015 में सिविल वॉर से परेशान होकर जब अपना देश छोड़ा था तब वह महज 16 साल की थीं। अपनी बहनों के साथ उन्होंने संघर्ष का ये सफर शुरू किया। वह सीनियर से लेबनान गईं इसके बाद तुर्की। तुर्की से एक नाव में वह ग्रीस पहुंची। ये 10 किलोमीटर का सफर था जिसे पूरा होने में सिर्फ 45 मिनट लगे थे। लेकिन 20 यात्रियों से भरी ये नाव 20 मिनट बाद ही खराब हो गई। युसरा, उनकी बहनें और दो अन्य लोगों को इस नाव से उतरना पड़ा और इसे धक्का देकर किनारे लेकर आना पड़ा। तीन घंटे की मशक्कत के बाद ये सभी सफल हुए।

हालांकि युसरा का संघर्ष यहां भी खत्म नहीं हुआ था। उन्हें जर्मनी आना था और यहां तक की यात्रा भी उनके लिए आसान नहीं थी। वह कभी चलकर, कभी बस में और स्मगलर्स की मदद से जर्मनी पहुंची। एक साल बाद युसरा रियो ओलंपिक-2016 में रिफ्यूजी ओलंपिक टीम का हिस्सा थीं। रियो युसरा ने 100 मीटर बटरफ्लाई और 100 मीटर फ्री स्टाइल में हिस्सा लिया।

मिला सम्मान

युसरा ने अपने खेल से तो नाम कमाया ही साथ ही स्वीमिंग पूल के बाहर भी उनकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंची। उन्होंने रिफ्यूजियों के आधिकार की वकालत की और संयुक्त राष्ट्र में उन्हें मानव अधिकारों का गुडविल एम्बैस्डर बनाया। वह खिताब हासिल करने वाली सबसे युवा शख्स थीं।

बनी है फिल्म

हाल ही में युसरा के जीवन पर एक बायोपिक बनी है जिसका नाम है द स्विमर्स। टाइम मैग्जीन ने उन्हें 2023 में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली शख्सियत की लिस्ट में शामिल किया था। रियो में जब युसरा ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था तब रिफ्यूजी टीम में सिर्फ 10 सदस्य थे लेकिन पेरिस ओलंपिक खेलों मं इस टीम में कुल 37 सदस्य थे।

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