Move to Jagran APP

जेवलिन से पहले कई खेलों में आजमाया हाथ, चोटों ने भी किया परेशान फिर भी नदीम ने नहीं मानी हार, जीता ओलंपिक गोल्ड

पाकिस्तान के जेवलिन थ्रोअर अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक-2024 में पाकिस्तान को गोल्ड मेडल दिलाया। ये पाकिस्तान का इन खेलों में पहला गोल्ड था और इसी के साथ अरशद ने 32 साल से चले आ रहे ओलंपिक मेडल के सूखे को भी खत्म कर दिया। अरशद अब जेवलिन की दुनिया के नए किंग हैं लेकिन यहां तक आने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया है।

By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Fri, 09 Aug 2024 05:58 PM (IST)
Hero Image
अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में जीता गोल्ड
 स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारत को पेरिस ओलंपिक-2024 में एक गोल्ड मेडल की उम्मीद थी। ये उम्मीद नीरज चोपड़ा से थी। नीरज ने पूरी कोशिश की लेकिन उनसे बेहतर खेल पाकिस्तान की अरशद नदीम ने दिखाया। नदीम ने 92.97 मीटर का थ्रो फेंकते हुए पाकिस्तान की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया। लेकिन नदीम का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है। वह बेहद संघर्ष करते हुए यहां तक पहुंचे हैं।

नदीम ने पेरिस ओलंपिक में पाकिस्तान को पहला गोल्ड मेडल दिलाया। इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान का ओलंपिक खेलों में 32 साल का मेडल का सूखा खत्म कर दिया। इससे पहले पाकिस्तान ने 1992 में ओलंपिक मेडल जीता था।

यह भी पढ़ें- Vinesh Phogat Medal Decision: खत्म नहीं हुई विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल की आस, सीएएस ने बताया कब आएगा फैसला

नदीम के पास नहीं थे पैसे

ये नदीम का दूसरा ओलंपिक था। इससे पहले उन्होंने टोक्यो ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। उस समय हालांकि पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें सपोर्ट नहीं किया था और ट्रेवल के लिए पैसे नहीं दिए थे। पेरिस खेलों से पहले उन्होंने अधिकारियों से अपील की थी कि उनका जेवलिन पुराना हो गया है और इसलिए उन्हें नया जेवलिन दिया जाए। उनके पास जेवलिन खरीदने के पैसे नहीं थे और इसलिए उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मदद मांगी। नीरज चोपड़ा तक भी उनकी बात पहुंची। तब जाकर उनको नया जेवलिन मिला।

कई खेलों में आजमाए हाथ

नदीम ने जेवलिन में अपना करियर बनाने से पहले कई खेलों में अपना हाथ आजमाए। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नदीम ने जेवलिन थ्रो से पहले क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और कबड्डी में तक हाथ आजमाए लेकिन अंत में उनके मन को जेवलिन भा गया। अपने घर के बैकयार्ड में ही वह इसकी प्रैक्टिस करते थे। नदीम का परिवार अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी संघर्ष करता था। ऐसे में नदीम का खर्चा उठाना और खेलना काफी मुश्किल था। कई बार तो नदीम के खेल के लिए उनके परिवार ने आस-पड़ोस और रिश्तेदारों से भी मदद मांगी जो उन्हें मिली।

चोटों ने किया परेशान

नदीम चोटों से भी काफी परेशान रहे। उनको घुटने और कंधों में चोटे थीं। कई बार उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। इसी साल फरवरी में उन्होंने सर्जरी कराई। इसके बाद काफी शंका थी कि वह ओलंपिक में खेल पाएंगे या नहीं। हालांकि, उन्होंने वापसी की और फिर ओलंपिक गोल्ड पर कब्जा किया।

यह भी पढ़ें- Hockey Olympics: 18 साल, 335 मैच 2 ओलंपिक मेडल, भारतीय हॉकी टीम की 'दीवार' श्रीजेश ने लिया संन्यास; उपलब्धियों पर एक नजर