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Hockey Olympics 2024:गोलकीपिंग से लेकर सेलिब्रेशन तक, श्रीजेश ने पेरिस को बना दिया टोक्यो

भारत ने पेरिस ओलंपिक-2024 में स्पेन को 2-1 से हरा ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया है। इसी के साथ भारतीय टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने हॉकी को अलविदा कह दिया है। ओलंपिक से पहले ही उन्होंने बता दिया था कि ये उनका आखिरी ओलंपिक होगा। अपने आखिरी मैच के बाद श्रीजेश ने पेरिस में वो किया जो तीन साल पहले टोक्यो में किया था।

By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Thu, 08 Aug 2024 08:47 PM (IST)
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पीआर श्रीजेश ने हॉकी को कहा अलविदा
 स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। तारीख पांच अगस्त 2021, ये वो तारीख है जब भारतीय हॉकी टीम ने एक अंगड़ाई ली थी। ये अंगड़ाई इतिहास को दोहराने वाली थी तो भविष्य की उम्मीद जगाने वाली। भारतीय हॉकी टीम ने चार दशक से चले आ रहे ओलंपिक मेडल के सूखे को खत्म किया था और टोक्यो में जर्मनी को मात देकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।

तारीख आठ अगस्त 2024, पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के सामने थी स्पेन की टीम। मुकाबला ब्रॉन्ज मेडल के लिए था। भारत ने स्पेन को कड़े मुकाबले में 2-1 से मात दे लगातार दूसरा ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल जीता। इन दोनों जीतों में एक बात कॉमन थी। श्रीजेश की मैच बचाने वाली गोलकीपिंग और जीत के बाद उनका जश्न।

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आखिरी पलों में किए बचाव

पहले बात गोलकीपिंग की करते हैं। स्पेन की टीम 1-2 से पीछे थी। ओलंपिक मेडल से वो भी चूकना नहीं चाहती थी। इसलिए लगातार अटैक कर रही थी। बॉल पजेशन में उसने टीम इंडिया को बैकफुट पर रखा था लेकिन श्रीजेश फ्रांटफुट पर खेल रहे थे। 59वें मिनट में स्पेन को पेनल्टी कॉर्नर मिला और श्रीजेश ने अपनी शानदार कीपिंग से इसे बचा लिया। इससे पहले भी श्रीजेश ने स्पेन के कुछ फील्ड गोल को रोक कर स्पेन को बराबरी करने से रोक दिया था। स्पेन को नौ पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन एक भी गोल में तब्दील नहीं हो सका।

अब टोक्यो चलते हैं। जर्मनी की टीम 4-5 से पीछे थी। मैच खत्म होने में तकरीबन छह सेकेंड का गेम बचा था और जर्मनी को पेनल्टी कॉर्नर मिला था। अब जरा सोचिए कि श्रीजेश पर कितना दबाव रहा होगा। लेकिन श्रीजेश को दीवार ऐसे ही नहीं कहा जाता है। श्रीजेश ने शांत रहते हुए इस गोल को बचा लिया और भारत का 41 साल बाद ओलंपिक खेलों में मेडल का सपना भी साकार कर दिया।

गोलपोस्ट पर बैठकर मनाया जश्न

ये जीत ऐतिहासिक थी क्योंकि चार दशक तक ओलंपिक मेडल न आना बहुत बड़ी बात थी। हर भारतीय की आंखों में आंसू था। टीम इंडिया के खिलाड़ी भी रो रहे थे। पूरी टीम भावुक थी और श्रीजेश की आंखें भी नम थी। पूरे मैदान पर भारतीय खिलाड़ी लेट गए थे। इतने में टीवी पर श्रीजेश दिखाई दिए। गोलपोस्ट पर बैठे हुए। हाथ फैलाए हुए।

तीन साल बाद। श्रीजेश जब अपना आखिरी मैच खेलने उतरे तो उन्होंने टोक्यो वाले जश्न को पेरिस में भी दोहरा दिया। स्पेन के खिलाफ मैच में जब फाइनल हूटर बजा तो तय हो गया कि भारत ने ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा कर लिया है। और फिर एक बार श्रीजेश गोलपोस्ट पर चढ़ गए। इस बार आंसू से ज्यादा चेहरे पर हंसी थी।

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