Paris Olympics 2024: सरबजोत बचपन में हर खिलौना तोड़ देता, सिर्फ बंदूक रखता था संभालकर
ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के मिक्स्ड टीम स्पर्धा में मनु भाकर के साथ कांस्य पदक जीतने वाले सरबजोत सिंह की मां की खुशी का ठिकाना नहीं है। मां हरदीप कौर ने बताया कि बचपन में सरबजोत हर खिलौना तोड़ देता था लेकिन बंदूक को संभालकर रखता था। बचपन का जो शौक था वह उसे आज आसमान की बुलंदियों तक ले गया।
जागरण संवाददाता, अंबाला: ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के मिक्स्ड टीम स्पर्धा में मनु भाकर के साथ कांस्य पदक जीतने वाले सरबजोत सिंह की मां की खुशी का ठिकाना नहीं है। मां हरदीप कौर ने बताया कि बचपन में सरबजोत हर खिलौना तोड़ देता था, लेकिन बंदूक को संभालकर रखता था। बचपन का जो शौक था, वह उसे आज आसमान की बुलंदियों तक ले गया।
सरबजोत सिंह की मां हरदीप कौर व दादी लाभ कौर ने बताया कि बचपन में खिलौना का शौक हर किसी को होता है और उन्होंने भी भाइयों सरबजोत सिंह व किरणजोत सिंह को खिलौने लाकर दिए थे। किरणजोत तो हर खिलौने के साथ खेलता था, लेकिन सरबजोत कुछ समय बाद या फिर अगले दिन उसे तोड़ देता था। जब उससे खिलौना तोड़ने की बात करते तो बस बंदूक उनकी ओर कर फायर कर भाग जाता। मां ने कहा कि उनको क्या पता था कि जिस तरह से वह बंदूक संभालकर रखता है, वह आगे चलकर देश का नाम रोशन करेगा और ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतेगा।
आठ साल की कड़ी मेहनत रंग लाई
सरबजोत सिंह ने वर्ष 2016 में कोच अभिषेक राणा का हाथ थाम लिया। आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद आज ओलंपिक में सरबजोत ने कांस्य पदक जीत लिया। मां ने कहा कि सरबजोत स्कूल से घर लौटते ही अभ्यास के लिए चला जाता और फिर रात को आता। पिता जितेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्ष 2012 में पहली बार स्कूल की वालीबाल टीम में खेलने के लिए भेजा था।ये भी पढ़ें: Paris Olympics 2024: सात्विक-चिराग ने रचा इतिहास, क्वार्टरफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय मेंस जोड़ी बनी
स्कूल में चल रही निशानेबाजी प्रतियोगिता में किसी ने भाग नहीं लिया। मुख्य अध्यापक ने सरबजोत सिंह को निशानेबाजी में भाग दिला दिया। वहीं सरबजोत गोल्डन ब्वाय बन गया। साल वर्ष 2016 में मामा ने उसकी मुलाकात शूटिंग कोच अभिषेक राणा से कराई और अंबाला कैंट में अभिषेक राणा की शूटिंग अकादमी ज्वाइन की।