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Dhiraj Bommadevara: मां ने मंगलसूत्र गिरवी रखा, पिता ने सबकुछ लुटाया; धीरज की कहानी सुनकर भर आएंगी आंखें

Olympics 2024 धीरज बुम्मदेवरा (Dhiraj Bommadevara) ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में पुरुष तीरंदाजी रैंकिंग राउंड में शानदार प्रदर्शन किया। 22 साल की उम्र में भारतीय तीरंदाज ने इस प्रतिस्पर्धा में चौथे स्थान पर आकर अपने कौशल और मेहनत का लोहा मनवाया। इस रैंकिंग राउंड में खिलाड़ियों को अपनी तीरंदाजी की क्षमताओं को साबित करने का मौका मिला और भारतीय पुरुष टीम ने क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की कर ली।

By Priyanka Joshi Edited By: Priyanka Joshi Updated: Fri, 26 Jul 2024 12:16 PM (IST)
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Dhiraj Bommadevara की संघर्ष भरी कहानी सुनकर भर आएंगी आंखें !
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Dhiraj Bommadevara: हर खिलाड़ी का एक सपना होता है कि वह ओलंपिक खेल में हिस्सा ले सके। बहुत ही कम ऐसे एथलीट होते है जिनका ये सपना पूरा होता है और वह ना सिर्फ अपना और अपने परिवार का, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन करके भी दिखाते है। बता दें कि आज से पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत हो रही है, जिसमें 10 हजार से ज्यादा एथलीट हिस्सा ले रहे है।

पेरिस ओलंपिक्स 2024 (Olympics 2024) से पहले भारत की पुरुषों की तीरंदाजी रैंकिंग राउंड में चौथे स्थान पर पहुंची। भारत की तीरंदाजी में धीरज बोम्मदेवरा का शानदार प्रयास रहा। उन्होंंने रैंकिंग में देर से उछाल मारी और भारत को टीम इवेंट के क्वार्टरफाइनल में पहुंचाया। धीरज ने कुल 681 अंक हासिल किए, जबकि उनके साथी तरुणदीप राय और प्रवीण जाधव ने क्रमश: 674 और 658 स्कोर हासिल किए और उन्होंने 14वें और 39वां स्थान पर समाप्त किया।

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आने वाले धीरज के इस प्रदर्शन के बाद उनकी चर्चा और तेज हो गई। ऐसे में आज आपको बताते हैं धीरज के संघर्षों की कहानी।

Dhiraj Bommadevara की संघर्ष भरी कहानी सुनकर भर आएंगी आंखें !

दरअसल, धीरज बोम्मादेवरा एक भारतीय तीरंदाज एथलीट हैं, जिनका जन्म 3 सितंबर 2001 को आंध्र प्रदेश में हुआ। बेहद ही कम समय में उन्होंने तीरंदाजी में जो नाम कमाया उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। ओजीक्यू के सपोर्ट से वह अपनी प्रतिभा को निखारने में लगे हैं। धीरज ने रिकर्व पुरुण व्यक्तिगत और टीम स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व रैंकिंग में 15वां स्थान हासिल किया हैं। 

उनकी मेहनत ने ही उन्हें 2024 ओलंपिक के लिए जगह दिलाई। जून 2024 में उन्होंने अंताल्या में विश्व कप 2024 में कांस्य पदक जीतकर अपना शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन यहां तक पहुंचना उनके लिए जरा-सा भी आसान नहीं था।

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स्कूल नहीं जाने के लिए पेट दर्द का बहाना बनाते थे धीरज

धीरज को बचपन से ही मैदान जाकर प्रैक्टिस करने का ही शौक है। उन्होंने एक बार अपने बचपन की कहानी का खुद जिक्र करते हुए बताया था कि बचपन में उनका स्कूल जाने का मन नहीं होता था। वह अक्सर स्कूल जाने के लिए पेट दर्द का बहाना करते थे और जब 8:30 बज जाते थे तो वह अपने पिता से कहते थे कि उन्हें ग्राउंड जाना है मैं ठीक हो गया हूं अब मैं प्रैक्टिस करना चाहता हूं।

इसके अलवा उन्होंने बताया था कि उनके जीवन का सबसे मुश्किल साल 2014 का रहा, जब उनके यूथ विश्व चैंपियनशिप का ट्रायल चल रहा था। इस दौरान उनके पिता ने कहा था कि एक आखिरी बार कोशिश करते है।

मां ने मंगलसूत्र बैंक में रखा गिरवी

धीरज के पिता  ने फिर अपनी पत्नी का मंगलसूत्र बैंक में गिरवी रखा और उनके लिए नए आर्चरी की पूरी किट खरीदी और उनकी विश्व आर्चर यूथ चैंपियनशिप में चौथी रैंक आई थी, लेकिन सिर्फ तीन ही लोग इसमें सेलेक्ट होते है। इसके बाद उन्होंने सोचा कि मेरा सेलेक्शन नहीं हुआ और मेरा करियर अब खत्म है, लेकिन उनका सही करियर उस दिन से ही शुरु हुआ। वो कहते है ना कि हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं। ऐसा ही कुछ धीरज के साथ हुआ।

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साल 2023 एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए धीरज को चुना गया था, जहां  उन्होंने अतनु दास और तुषार शेल्के के साथ भारतीय पुरुष रिकर्व टीम में हिस्सा लिया और रजत पदक जीता। फाइनल में उन्हें कोरिया गणराज्य से हार मिली। 2023 में उन्होंने बर्लिन, जर्मनी में विश्व चैंपियनशिप में मिश्रित टीम स्पर्था के अलावा पुरुष टीम में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 

2017 में धीरज ने इंटरनेशनल लेवल पर डेब्यू किया था, लेकिन उन्हें काफी साल का इंतजार करना पड़ा और साल 2021 विश्व आर्चर यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।