पैरा एथलीट निषाद कुमार और प्रीति पाल ने रविवार को पेरिस पैरालंपिक में अपने-अपने स्पर्धाओं में क्रमश सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। महिलाओं की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में प्रीति पाल ने अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 30.01 सेकेंड का समय निकालकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। पेरिस में यह उनका दूसरा कांस्य है। भारत के अब पेरिस पैरालंपिक में सात पदक हो गए हैं।
जेएनएन, नई दिल्ली। भारतीय स्टार पैरा एथलीट निषाद कुमार (Nishad Kumar) और प्रीति पाल (Priti Pal) ने रविवार को पेरिस पैरालंपिक में अपने-अपने स्पर्धाओं में क्रमश: सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। टोक्यो में सिल्वर मेडल जीतने वाले निषाद कुमार ने पेरिस में अपने प्रदर्शन को दोहराते हुए पुरुषों की टी47 ऊंची कूद स्पर्धा में 2.04 मीटर की कूद के साथ सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। टी47 वर्गीकरण उन एथलीटों के लिए है, जिनकी कोहनी या कलाई के नीचे का अंग विच्छेदित या क्षतिग्रस्त है।
प्रीति पाल ने जीता ब्रॉन्ज मेडल
वहीं, महिलाओं की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में प्रीति पाल ने अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 30.01 सेकेंड का समय निकालकर कांस्य पदक अपने नाम किया। पेरिस में यह उनका दूसरा ब्रॉन्ज है। इससे पहले उन्होंने शुक्रवार को महिलाओं की 100 मीटर टी35 स्पर्धा में भी 14.21 सेकेंड के समय के साथ कांस्य पदक जीता था। टी35 वर्गीकरण उन खिलाडि़यों के लिए है, जिनमें समन्वय संबंधी विकार होते हैं।
पहली बार प्रीति ने ट्रैक स्पर्धा में देश को मेडल दिलाया
मेरठ की रहने वाली 23 वर्ष की प्रीति का ब्रॉन्ज मेडल पेरिस में पैरा एथलेटिक्स में भारत का दूसरा पदक है। 1984 से 2020 तक भारत ने पैरा एथलेटिक्स के सभी पदक फील्ड स्पर्धाओं में जीते थे। पहली बार प्रीति ने ट्रैक स्पर्धा में देश को मेडल दिलाया है।
निषाद ने जीता सिल्वर मेडल
हिमाचल प्रदेश के स्टार पैरा एथलीट निषाद कुमार के रजत के साथ ही भारत के अब पेरिस पैरालंपिक में सात पदक हो गए हैं। इनमें एक स्वर्ण, दो रजत जबकि चार कांस्य शामिल हैं। इसके साथ ही रविवार को भारत के पैराशटलरों ने भी तीन पदक सुनिश्चित कर दिए हैं। पेरिस ओलंपिक में देश के एथलीटों ने कुल छह पदक ही जीते थे, जबकि पैराएथलीट अभी ही उनसे आगे निकल चुके हैं।
मैंने पहले ही सोचा था कि मुझे अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। 100 मीटर के बाद मुझे कई तरह की टिप्पणी सुनने को मिली थी। लोगों ने कहा था सभी को कर्मों का फल मिलता है। शायद यही मेरे कर्मों का परिणाम है। मैं दोनों पदकों का श्रेय अपने कोच गज्जू भैया (गजेंद्र ¨सह) को देती हूं। उनके बिना यह संभव नहीं हो पाता।- प्रीति पाल, पदक विजेता
प्रीति पाल की यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने महिलाओं की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में कांस्य के साथ पैरालंपिक 2024 में अपना दूसरा पदक जीता। वह भारत के लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं। उनका समर्पण सचमुच उल्लेखनीय है।- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
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