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Paris Paralympics 2024: भारत के खाते में आया 8वां मेडल, Yogesh Kathuniya ने डिस्कस थ्रो में जीती चांदी

पेरिस पैरालंपिक 2024 के 5वें दिन दोपहर होते-होते भारत के लिए अच्‍छी खबर सामने आई। योगेश कथूनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्‍वर मेडल जीता। पेरिस पैरालंपिक 2024 में यह भारत का 8वां और आज का पहला मेडल है। पेरिस के स्टैड डी फ्रांस में पैरालंपिक में पुरुषों के डिस्कस थ्रो F56 में योगेश कथूनिया ने 42.22 मीटर के सीजन का बेस्‍ट प्रयास किया।

By Rajat Gupta Edited By: Rajat Gupta Updated: Mon, 02 Sep 2024 03:46 PM (IST)
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योगेश कथूनिया ने जीता सिल्‍वर मेडल। इमेज- सोशल मीडिया

 स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। पेरिस पैरालंपिक 2024 के 5वें दिन दोपहर होते-होते भारत के लिए अच्‍छी खबर सामने आई। योगेश कथूनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्‍वर मेडल जीता। पेरिस पैरालंपिक 2024 में यह भारत का 8वां और आज का पहला मेडल है। पेरिस के स्टैड डी फ्रांस में पैरालंपिक में पुरुषों के डिस्कस थ्रो F56 में योगेश कथूनिया ने 42.22 मीटर के सा‍थ सीजन का बेस्‍ट प्रयास किया।

कॉन्स्टेंटिनो ने जीता ब्रॉन्‍ज मेडल

भारत के योगेश कथूनिया ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता से पीछे रहे। उन्‍होंने 46.86 मीटर का नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया और ग्रीस के कॉन्स्टेंटिनो त्ज़ौनिस से आगे रहे। कॉन्स्टेंटिनो ने 41.32 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ ब्रॉन्‍ज मेडल जीता। टोक्यो पैरालंपिक में कथुनिया ने 44.38 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक जीता था। इस साल की शुरुआत में विश्व पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में उन्‍होंने अपनी स्पर्धा में रजत पदक पर कब्‍जा जमाया था।

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Yogesh Kathuniya wins silver 🥈 in the Men's Discus Throw - F56 event with a season's best throw of 42.22m.#Cheer4Bharat | #ParalympicGamesParis2024 pic.twitter.com/iZZgpg0OZw— All India Radio News (@airnewsalerts) September 2, 2024

मां-बाप का मिला भरपूर साथ 

  • योगेश कथूनिया जब 9 साल के थे तब उन्‍हें गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का पता चला।
  • यह एक ऑटोइम्यून कंडीशन है जो शरीर की नसों को प्रभावित करती है।
  • इसकी वजह से उन्हें दो साल तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा।
  • उन्‍होंने कभी चलने के बारे में भी नहीं सोचा था।
  • ऐसे में देश के लिए मेडल जीतना तो उनके लिए दूर की बात थी।
  • योगेश कथूनिया की मां मीना देवी एक हाउस वाइफ हैं।
  • साथ ही उनके पिता ज्ञानचंद कथूनिया सेना से रिटायर हैं।
  • दोनों ने योगेश कथूनिया का भरपूर साथ दिया।
  • मां मीना ने अपने बेटे को ठीक करने लिए फिजियोथेरेपी सीखी।
  • कुछ सालों बाद योगेश अपने पैरों पर खड़े होने लगे थे।

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