MotoGP रेस से पहले सद्गुरु ने BIC में एक रोमांचक लैप का लिया आनंद, कहा- 'भारत मोटरसाइकिलों का देश'
मोटरसाइकिलों के प्रति सद्गुरु का जुनून आज भी उतना ही है जितना उनके कॉलेज के वर्षों के दौरान था और उन्होंने याद किया कि रेस ट्रैक पर चक्कर लगाते समय उनकी मोटरसाइकिल अक्सर एक वाहन से कहीं अधिक काम करती थी। ग्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में शुक्रवार से विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय मोटोजीपी रेस का शुभारंभ हो गया।
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। ग्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में शुक्रवार से विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय मोटोजीपी रेस का शुभारंभ हो गया। रेस के इस महाकुंभ का आयोजन रविवार तक किया जाएगा। रेस शुरू होने से पहले प्रसिद्ध भारतीय योगी, रहस्यवादी और दूरदर्शी सद्गुरु ने रेस ट्रैक पर एक रोमांचक उद्घाटन लैप का आनंद लिया।
मोटरसाइकिलों के प्रति सद्गुरु का जुनून आज भी उतना ही है, जितना उनके कॉलेज के वर्षों के दौरान था और उन्होंने याद किया कि रेस ट्रैक पर चक्कर लगाते समय उनकी मोटरसाइकिल अक्सर एक वाहन से कहीं अधिक काम करती थी।
सद्गुरु ने कहा- 'भारत मोटरसाइकिलों का देश'
सद्गुरु ने कहा, "भारत मोटरसाइकिलों का देश है। लोग किसी भी चीज से अधिक दोपहिया वाहन का उपयोग करते हैं। युवाओं के लिए अपनी ऊर्जा का विस्तार करना आवश्यक है और उन्हें ऐसे खेल की आवश्यकता है जो चुनौतीपूर्ण है। लोग सोचते हैं कि यह खतरनाक है, लेकिन ट्रैक पर मोटर साइकिल की सवारी करना सड़क पर सवारी करने से कहीं अधिक खतरनाक है। क्योंकि ट्रैक पर सब बहुत सारे नियमों के साथ नियंत्रित तरीके से हो रहा होता है और कोई भी नियम नहीं तोड़ सकता है तो, कुल मिलाकर, यह सभी के लिए अच्छा है।"
मोटरसाइकिलों के साथ सद्गुरु का है जुड़ाव
मोटरसाइकिलों के साथ सद्गुरु का जुड़ाव पिछले साल उस समय और बढ़ गया, जब उन्होंने मिट्टी बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करते हुए लंदन से दक्षिण भारत तक 100 दिन में 30,000 किमी की कठिन सोलो मोटरसाइकिल यात्रा की। इसमें वह यूरोप, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और 27 अन्य देशों को से होकर गुजरे। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य मिट्टी के अनुकूल नीतियों को लागू करने के लिए राष्ट्रों के बीच जन जागरूकता पैदा करना और इसे लेकर समर्थन जुटाना था।
'मेरी बाइक सुपरबाइकों की तरह नहीं'
उन्होंने आगे कहा, "मुझे अपने 18वें जन्मदिन के ठीक बाद लाइसेंस मिला, इसलिए, मेरे लिए मोटरसाइकिल सिर्फ एक परिवहन का साधन नहीं है। यहां तक कि यह एक खेल भी नहीं। यह पूरे देश में कहीं भी जाने की आजादी है। मैंने पूरे भारत में कई बार यात्रा की है और मेरी बाइक इन सुपरबाइकों की तरह नहीं थी। यह 250 सीसी सिंगल-सिलेंडर बाइक थी। मैंने किसी भी गंतव्य तक की सवारी नहीं की क्योंकि मैंने सिर्फ देश के दृश्यों और सुंदरता का आनंद लेने में यकीन रखता था।"