सार्थक हुई सार्थ की मेहनत, चीन में हासिल किया पदक; एशियाई युवा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में जीता कांस्य
पिता नरेश मिश्रा ने बताया कि हमारा परिवार मूलत मप्र के खजुराहो का रहने वाला है। सार्थ का जन्म भी खजुराहो में हुआ लेकिन हम कई सालों से दिल्ली एनसीआर में रह रहे हैं। यहीं कालोनी के गार्डन में एक सीमेंट की टेबल थी जिसपर अन्य बच्चों के साथ सार्थ भी खेलता था। घरेलू स्पर्धाओं में सार्थ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के सार्थ मिश्रा ने अपने बेहतरीन खेल के सहारे चीन में तिरंगा लहराते हुए पूरे देश को गर्व करने का अवसर दिया है। 18 साल के सार्थ ने चीन में संपन्न प्रतिष्ठित एशियाई युवा टेबल टेनिस चैंपियनशिप 2024 में टीम वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया है। चीन के चोंगकिंग युबेई में 30 जून से छह जुलाई तक खेले गए इस टूर्नामेंट में एशियाई देशों से श्रेष्ठ युवा खिलाड़ियों ने अपनी चुनौती पेश की थी। भारतीय टीम को हांगकांग की टीम को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया, जहां उन्हें कोरियाई टीम से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
घरेलू स्पर्धाओं में सार्थ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब सार्थ ने एशियाई टेबल टेनिस चैंपियनशिप में पदक जीता है। पिछले वर्ष दोहा, कतर में आयोजित अंडर-19 टीम स्पर्धा में उन्होंने कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा सार्थ कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदकीय सफलता पा चुके हैं। इसमें डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में ब्रिक्स गेम्स की टीम स्पर्धा में कांस्य पदक और बालक युगल वर्ग में रजत पदक शामिल हैं। इसके अलावा यूएई और डब्ल्यूटीटी यूथ कंटेंडर, जार्डन में मिश्रित युगल वर्ग में भी स्वर्ण पदक जीता था।
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कॉलोनी में सीमेंट की टेबल से लगा शौक
पिता नरेश मिश्रा ने बताया कि हमारा परिवार मूलत: मप्र के खजुराहो का रहने वाला है। सार्थ का जन्म भी खजुराहो में हुआ, लेकिन हम कई सालों से दिल्ली एनसीआर में रह रहे हैं। यहीं कालोनी के गार्डन में एक सीमेंट की टेबल थी, जिसपर अन्य बच्चों के साथ सार्थ भी खेलता था। टेबल टेनिस से पहला परिचय यहीं पर हुआ और टेबल टेनिस के खेल का शौक भी लगा।
कोच विभोर खरे ने दिखाया रास्ता
फिर स्कूल में टेबल टेनिस खेलना शुरु किया तो खेल शिक्षक ने प्रतिभा को पहचानते हुए इस खेल में गंभीरता से अभ्यास करने की सलाह दी। सार्थ ने राष्ट्रीय कोच विभोर खरे के मार्गदर्शन में गाजियाबाद में अपने खेल में निखार किया। सार्थ ने मेहनत जारी रखी और सफलताएं मिलती चली गईं। वह पिछले कई सालों से भारतीय टीम का नियमित सदस्य है।
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