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Anshul Jubli: सेना में जाने का था सपना, बन गए एमएमए फाइटर, नीरज चोपड़ से मिली हार न मानने की जिद

लगातार दो ओलंपिक मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले भारत के भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा भारत के गोल्डन ब्वॉय कहे जाते हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक-2020 में गोल्ड जीत इतिहास रचा था। वह कई खिलाड़ियों की प्ररेणा हैं। उनमें से ही एक हैं भारत के एमएम फाइटर अंशुल जुबली। अंशुल ने सेना में जाना चाहते थे लेकिन किस्मत उन्हें एमएमए में ले आई।

By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Fri, 22 Nov 2024 03:06 PM (IST)
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भारत के एमएमए फाइटर अंशुल जुबली मुकाबले को तैयार
 नितिन नागर, जागरण, नई दिल्ली : दो ओलिंपिक में लगातार पदक जीतने वाले स्टार भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत हैं और उनमें भारत के 29 वर्षीय यूएफसी फाइटर अंशुल जुबली भी हैं। उत्तराखंड में जन्में अंशुल जुबली ने कहा कि नीरज चोपड़ा के कारण वह यहां तक पहुंचे हैं।

दैनिक जागरण से एक्सक्लूसिव बातचीत में अंशुल ने कहा, मैं लंबे समय से मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) खेल रहा था, लेकिन कुछ नहीं हो रहा था। 2021 में मैंने एमएमए को छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन टोक्यो ओलिंपिक में जब नीरज ने स्वर्ण पदक जीता तो मुझे प्रेरणा मिली जब नीरज कर सकता है तो मैं क्यों नहीं। किसी ने नहीं सोचा था कि एथलेटिक्स में भारत स्वर्ण जीत सकता है, उसमें नीरज भाई ने स्वर्ण जीतकर दिखाया तो मैंने सोचा जब वह कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। मैं भी यूएफसी में चैंपियन बन सकता हूं।"

तैयारी में जुटे अंशुल

अंशुल इस समय ऑस्ट्रेलियाई प्रतिद्वंद्वी क्यूलियान सालकिल्ड से होने वाली फाइट की तैयारियों में जुटे हैं, जो अगले वर्ष फरवरी में होगी। इस फाइट का प्रसारण भारत में सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क पर होगा। अंशुल ने कहा कि यूएफसी में भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है क्योंकि जहां 0.1 शीर्ष एमएमए फाइटर वहां लड़ते हैं, वहां मैं भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। मैं अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं क्योंकि जब कोई ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या ब्राजील का फाइटर कहता है कि भारत से कोई एमएमए फाइटर है तो गूगल पर मेरा नाम दिखाता है।

इसलिए चुना काम्बैट स्पोर्ट्स

अपनी यूएफसी तक की यात्रा के बारे में अंशुल ने कहा, "जहां तक मेरी एमएमए की मेरी यात्रा रही है तो मैं यह कहूंगा कि मैंने एमएमए को नहीं चुना बल्कि एमएमए ने मुझे चुना। मैं सेना में जाना चाहता था। मैंने सीडीएस की तैयारी कर रहा था, कमांडो बनना चाहता था और इसलिए मैंने एमएमए को चुना क्योंकि जब मैं एसएसबी के साक्षात्कार के लिए जाऊं और मुझसे पूछा जाए कि आपको क्यों लें तो मैं कह सकूं कि मैं कांम्बैट स्पोर्ट्स खेलता हूं, मेरे पास कुछ मेडल हैं।"

उन्होंने कहा, "मैंने 2016 में एमएमए शुरू किया और धीरे-धीरे मुझे इस खेल से प्यार हो गया और फिर 2018 में मैंने इसे करियर के रूप में चुना। जिसके बाद मैंने दिल्ली में पेशेवर ट्रेनिंग शुरू की और 2020 में पहली पेशेवर फाइट करी और 2023 में मुझे यूएफसी का अनुबंध मिला।"