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Vinesh Phogat के लिए आसान नहीं था वजन कम करना, हो सकती थी बड़ी परेशानी

विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक-2024 में फाइनल में पहुंचकर भी मेडल जीतने से चूक गई थीं। वह अपनी वेट कैटेगरी में से 100 ग्राम ज्यादा थीं और इसी कारण डिसक्वालिफाई कर दी गईं। विनेश का वजन तय सीमा से दो किलो ज्यादा था। उन्होंने रातभर मेहनत कर इसे कम करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सकीं। विनेश या किसी महिला एथलीट के लिए वजन कम करना आसान नहीं होता।

By Abhishek Upadhyay Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Sun, 11 Aug 2024 06:39 PM (IST)
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विनेश फोगाट फाइनल में पहुंचकर भी मेडल से चूक गई थीं
 स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत को मेडल दिलाने के करीब थीं, लेकिन उनके साथ कुछ ऐसा हो गया कि ये पहलवान मेडल से चूक गई। विनेश 50 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में उतरने वाली थीं। इससे पहले जब उनका वजन तौला गया तो ये 100 ग्राम ज्यादा निकाला। नियम के मुताबिक विनेश को डिसक्वालिफाई कर दिया गया। उनका वजन दो किला ज्यादा था। विनेश ने रातभर मेहनत की लेकिन 100 ग्राम फिर भी रह गया।

विनेश के साथ जो हुआ जो कुछ ऐसा ही भारत के एक और कुश्ती खिलाड़ी अमन सेहरावत के साथ हो सकता था। सेहरावत ने भारत को 57 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। लेकिन मेडल मैच से पहले अमन ने तकरीबन चार-पांच किलो वजन कम किया। यहां कई लोगों के मन में ये सवाल निश्चित तौर पर उठा होगा कि अमन न रातभर में चार-पांच किलो कम कर लिया और विनेश दो किलो भी नहीं कर पाईं? इसके पीछे कई कारण हैं। महिलाओं को वजन कम करने में काफी परेशानी आती है और इस पर ज्यादा काम करने से उनको बीमारियों लगने का जोखिम भी बढ़ जाता है।

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वजन कम करना महिलाओं के लिए होता है मु्श्किल?

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक न्यूट्रिशन साइंटिस्ट डॉक्टर स्टैकी सिम्स ने अपन किताब ‘Roar’ में इस बात के तफ्सील से बताया है कि महिलाओं के लिए वजन कम करने की प्रकिया पुरुषों के मुताबिक काफी अलग होती है। इसके कई कारण होते हैं। स्टैकी के मुताबिक महिलाओं के शरीर में पुरुषों की तुलना में पानी पांच प्रतिशत कम होता है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में पसीना भी कम आता है। इसका मतलब है कि महिलओं के शरीर में से ज्यादा पसीना निकालने के लिए ज्यादा तापमान और तकनीक की जरूरत होती है। लेकिन इससे हीट स्ट्रैस और इससे संबंधित बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। आईओसी द्वारा 2019 में की गई एक रिसर्च के मुताबिक, इससे 45 प्रतिशत महिलाओं में खाने के व्यवहार में बदलाव होते हैं।

सबसे अहम हार्मोंस में बदलाव

इसमें हार्मोंस का अलग होना भी एक अहम कारण है। कर्नाटस स्थित इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्सके स्पोर्ट्स साइंस के हेड डॉक्टर सैमुअल पुलिंगर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "महिलाओं की मेंसट्रउल साइकिल से उनके वजन पर असर पड़ता है और कई महिला खिलाड़ियों को इसके बाद भूख भी ज्यादा लगती है। ऐसे में एस्ट्रोजेन में असंतुलन होना, चाहे वो ज्यादा हो या कम है, वजन कम करने में दिक्कत पैदा करता है।

वजन कम करना महिलाओं के लिए आसान नहीं होता है, इससे उनके अंदर कई बिमारियों का रिस्क भी बढ़ जाता है। साल 2021 में काइनसियोलॉजी और स्पोर्ट्स साइंस द्वारा किए गए एक रिसर्च में बताया गया था कि ज्यादा शिद्दत से वजन कम करने की कोशिश से महिलाओं को खाने में परेशानी, मासिक पीरियड न होना, बोन लॉस जैसी समस्या होने का रिस्क बढ़ जाता है।

साल 2017 में ऑस्ट्रेलिया की थाई फाइटल जेसिका लिंडसे ने वजन कम करते हुए निधन हो गया था।

उठ रहे हैं सवाल

महिलाओं के वजन करने में आने वाली परेशानियों को देखते हुए ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या महिला कुश्ती खिलाड़ियों के लिए वजन कम करने की दुनियाभर में अपनाई जाने वाली एक ही एप्रोच सही है? भारत में डॉक्टर पुलिंगर और उनकी टीम ने खिलाड़ियों को फास्टिंग से दूर रखा। इसके अलावा समय-समय पर उनका बॉडी फैट परर्सेंटेज, मसल मास और बोन मिनरल डेंसिटी जांची।

ढाई साल पहले भारत आए पुलिंगर ने दो बातें कही हैं जो महिला खिलाड़ियों के लिए कोचिंग स्ट्रेटेजी बनाने में परेशानी पैदा करती हैं। उनके मुताबिक अधिकतर स्टाफ पुरुष होता है और जो ग्लोबल रिसर्च होती है वो वेस्टर्न खिलाड़ियों पर गई होती है जिसमें साउथ एशियन बॉडी टाइप पर स्टडी नहीं की जाती। जरूरत ये है कि इस समय इस समस्या से सुलझने का भारतीय तरीका निकाला जाए ताकि अगले ओलंपिक खेलों में महिलाओं को ज्यादा सफलता मिले।

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