टोक्यो में बंदूक से मिली मात, पेरिस में कर दिया काम तमाम, कौन है किस्मत को मुंह चिढ़ाने वाली Manu Bhaker?
पेरिस ओलंपिक-2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली मनु भाकर ने काफी कम उम्र में ही अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थीं। कई खेलों में हाथ आजमाने के बाद मनु ने निशानेबाजी को करियर बनाना चाहा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मनु भाकर कहां से निकलीं और पेरिस में कैसे बड़ा काम किया? जानिए उनके बारे में हर बड़ी जानकारी
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक-2020 में फेल होने वाली मनु भाकर ने तीन साल बाद अपनी कसक पूरी कर ली। पेरिस ओलंपिक में 22 साल की मनु ने दमदार खेल दिखाते हुए मेडल जीत लिया है। उन्होंने रविवार को ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया। इसी के साथ मनु ओलंपिक मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बन गई हैं।
टोक्यो में किस्मत ने मनु का साथ नहीं दिया था। उनकी बंदूक खराब हो गई थी। इसी कारण वह मेडल की रेस से बाहर हो गई थीं। लेकिन इस बार मनु ने अपने दमदार खेल से किस्मत को मुंह चिढ़ाते हुए मेडल जीता। उन्होंने टोक्यो के बुरे दिन को पीछे छोड़ते हुए पेरिस में नई चमक बिखेरी है। हम आपको उसी मनु के बारे में हर जानकारी देने जा रहे हैं।
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कौन हैं मनु भाकर?
मनु हरियाणा के झज्जर की रहने वाली हैं। यानी वो राज्य जहां से मुक्केबाज और पहलवान निकलते हैं। मनु ने निशानेबाजी से पहले कई खेल खेले। उन्होंने टेनिस, स्केटिंग, मार्शल आर्ट् और मुक्केबाजी भी शामिल है, लेकिन अंत में निशानेबाजी में उन्होंने करियर बनाने का फैसला किया। जब मनु ने निशानेबाजी को अपना करियर बनाने का फैसला किया तो वह सिर्फ 14 साल की थीं। रियो ओलंपिक-2016 को देख मनु के दिल में आग लगी और फिर उनकी आगे की कहानी शुरू हुई।
निशानेबाजी तय करने के बाद उन्होंने अपने पिता से पिस्टल खरीदने को कहा। यहां से मनु के करियर को अलग दिशा मिली। उन्होंने जमकर मेहनत की और नेशनल चैंपियनशिप में ओलंपियन हीना सिद्धू को हरा भारतीय निशानेबाजी जगत में तहलका मचाते हुए अपने आना का बिगुल बजा दिया।
जूनियर चैंपियंशिप में दिखाई चमक
अब बारी इंटरनेशनल स्टेज पर छाने की थी और मनु ने इसकी शुरुआत एशियन जूनियर चैंपियनशिप से की। फिर यूथ ओलंपिक में मनु ने अपना दम दिखाया और गोल्ड जीता। 16 साल की उम्र में मनु इन खेलों में गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली निशानेबाज बन गईं। यहां से फिर मनु दिग्गज कोच जसपाल राणा के सानिध्य में आईं। राणा के साथ मिलकर मनु ने अपने खेल में लगातार सुधार किया।
राणा और मनु के बीच में मनमुटाव भी हुआ लेकिन पेरिस ओलंपिक से पहले दोनों फिर एक साथ आए और नतीजा ये रहा कि मनु ओलंपिक मेडल जीतने में सफल रहीं।