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Paris Paralympics 2024: कुश्ती छोड़कर थामा भाला, पिता की मौत ने नवदीप को तोड़ा, हिम्मत जुटा पेरिस में रचा इतिहास

पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी का दमदार खेल जारी है। शनिवार को भारत के हिस्से एक और गोल्ड मेडल आया। पहले ये गोल्ड नहीं था। भालाफेंक में नवदीप ने सिल्वर मेडल जीता था तो बाद में ईरान के खिलाड़ी की गलती से गोल्ड में बदल गया। ये भारत का पेरिस पैरालंपिक एफ-47 में पहला मेडल है। नवदीप ने इसी के साथ इतिहास रचा है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Upadhyay Updated: Sun, 08 Sep 2024 08:27 AM (IST)
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नवदीप ने पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड जीत रचा इतिहास
रामकुमार कौशिक, जागरण पानीपत: पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले पानीपत के बुआना लाखु के नवदीप सिंह के पिता दलबीर सिंह पहलवान थे। उन्होंने नवदीप को भी कुश्ती के अखाड़े में उतार दिया था, लेकिन पीठ में दर्द के चलते उन्हें कुश्ती छोड़नी पड़ी, लेकिन खेल से मन नहीं हटा। 2017 में पैरा एथलीट संदीप चौधरी को भाला फेंकते हुए देखा तो भाला थाम लिया।

लेकिन चार फुट चार इंच के नवदीप के लिए उनकी लंबाई सबसे बड़ी बाधा थी क्योंकि भाला की लंबाई ही 7.21 फुट होती है। लेकिन नवदीप ने हार नहीं मानी और इसी खेल को अपना जुनून बना लिया। इस वर्ष हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

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पिता को खोया

चार महीने पहले बीमारी के चलते पिता के निधन से झटका जरूर लगा, लेकिन मां और भाई ने उसे हौसला दिया। वो धीरे धीरे गम से बाहर आया और उसकी सालों की मेहनत रंग लाई और उन्होंने स्वर्ण जीत पिता के सपने को पूरा किया। बड़े भाई मनदीप ने बताया कि पापा दलबीर ने उसको लेकर सबसे ज्यादा मेहनत की। उनका सपना था कि बेटा एक दिन पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीते। पापा तो ये लम्हा देख नहीं पाए, लेकिन नवदीप ने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर उनके सपने को साकार कर दिया है।

मां और भाभी ने रखा था व्रत

नवदीप की जीत की कामना को लेकर मां मुकेश रानी और भाभी आरती ने व्रत रखा था। सुबह उन्होंने पूजा अर्चना की और जैसे ही मैच शुरू हुआ तो टीवी के सामने बैठकर हाथ जोड़कर मन मन में जीत की कामना करती रही। जैसे ही मनदीप का मेडल पक्का हुआ तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। नवदीप के पदक जीतने के बाद उन्होंने व्रत खोला।

नवदीप की बेस्ट थ्रो

नवदीप ने अपना बेस्ट थ्रो करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्होंने 47.32 मीटर का थ्रो फेंका था। ये भारत का इस कैटेगरी में पैरालंपिक खेलों में पहला मेडल है जो सिल्वर के रूप में आना था लेकिन अब ये गोल्ड में बदल गया है। इतिहास रचने वाले नवदीप की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी। वह पहले ही प्रयास में फाउल कर बैठे थे। दूसरे प्रयास में भारतीय खिलाड़ी ने 46.39 मीटर का थ्रो फेंका और दमदार वापसी की। तीसरे थ्रो में उन्होंने कमाल कर दिया। ये थ्रो उनका बेस्ट थ्रो जिसने नवदीप को मेडल दिलाया।

वहीं ईरान के खिलाड़ी ने पांचवें प्रयास में 47.64 मीटर का थ्रो करते हुए गोल्ड अपने नाम कर लिया था। लेकिन जब इवेंट खत्म हुआ तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया और नवदीप को गोल्ड मिला।

ये है कारण

सादेघ को डिस्वक्वालिफाई करने का कारण नियमों का उल्लंघन है। ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों को लेकर नियम है कि इन खेलों में कोई भी खिलाड़ी किसी भी तरह का राजनीतिक प्रदर्शन नहीं कर सकता। सादेघ ने यही गलती कर दी। वह बार-बार आपत्तिजनक झंडा दिखा रहे थे जिसके कारण उन्हें सजा दी गई।

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