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ऋषि सुनक के लिए ब्रिटेन को आर्थिक मुश्किलों के दौर से बाहर निकालना बड़ी चुनौती, एक्सपर्ट व्यू

New British PM Rishi Sunak ऋषि सुनक के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। जो गलतियां निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने की हैं उससे वे सबक अवश्य लेंगे। दरअसल लिज ट्रस ने जनता और बाजार दोनों का विश्वास इतनी जल्दी खो दिया कि उन्हें सरकार गंवानी पड़ी।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Fri, 28 Oct 2022 08:13 PM (IST)
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New British PM Rishi Sunak: दुनिया में भारत की बढ़ती साख को और सशक्त बनाने में मदद मिल सके।
डा. सुशील कुमार सिंह। इतिहास में कई ऐसे संदर्भ देखने को मिलते हैं, जहां से कम-ज्यादा वापसी स्वाभाविक है। ऐसा ही इन दिनों ब्रिटेन में हुए सत्ता परिवर्तन के कारण देखा जा रहा है जहां भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री पद तक पहुंच बनाकर मानो इतिहास की तुरपाई कर रहे हों। फिलहाल ऋषि सुनक के लिए ब्रिटेन को आर्थिक मुश्किलों के दौर से बाहर निकालने की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

दरअसल ब्रिटेन में महज डेढ़ माह रही लिज ट्रस सरकार की नीतियां फिलहाल आर्थिक मोर्चे पर भारी पड़ रही हैं। ट्रस ने सत्ता संभालते ही कारपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा कर दी थी। उन्होंने निजी आयकर में भी छूट देने की घोषणा की थी। इन सबके बावजूद ट्रस सरकार यह बताने में सक्षम नहीं रही कि कटौतियों के चलते सरकारी खजाने से जो नुकसान होगा उसकी भरपाई कैसे होगी।

इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि ब्रांड बाजार ढहने के करीब पहुंच गया और संबंधित परिवेश में व्यापक स्तर पर दुविधा की स्थिति बन गई। इस स्थिति को देखते हुए ट्रस ने गलती सुधारते हुए तमाम रियायतों पर यू टर्न ले लिया और वित्त मंत्री पर आरोप मढ़ते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया। यह सब कुछ ब्रिटेन के इतिहास में महज डेढ़ महीने के भीतर हो गया। लिज ट्रस के त्यागपत्र के साथ ही ऋषि युग के आरंभ की आहट सुनाई देने लगी थी।

माना जा रहा है कि नए प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक भारत-ब्रिटेन संबंधों में बदलाव करना चाहेंगे। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन के छात्रों और कंपनियों की भारत में आसान पहुंच होगी और ब्रिटेन के लिए भारत में कारोबार और काम करने के अवसर के बारे में भी वे जागरूक दिखे। सुनक का भारतीय मूल का होना मनोवैज्ञानिक लाभ तो देगा, परंतु कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर अधिक अपेक्षा के साथ भारत को अपेक्षाकृत ज्यादा लाभ होगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। दो टूक यह भी है कि आर्थिक मोर्चे पर ब्रिटेन इन दिनों जिस तरह के मुश्किल दौर से गुजर रहा है, ऐसे में वह भारत की ओर देखना पसंद करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत निवेश के लिए बड़ा और प्रमुख अवसर है, जबकि ब्रिटेन एक महत्वपूर्ण आयातक देश है। ऐसे में भारत में होने वाले मुक्त व्यापार समझौते पर भी ऋषि सुनक अच्छा निर्णय ले सकते हैं।

ऋषि सुनक के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। जो गलतियां निवर्तमान प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने की हैं, उससे वे सबक अवश्य लेंगे। दरअसल लिज ट्रस ने जनता और बाजार दोनों का विश्वास इतनी जल्दी खो दिया कि उन्हें सरकार गंवानी पड़ी। वैसे भारत और ब्रिटेन के मध्य मजबूत ऐतिहासिक संबंधों के साथ-साथ आधुनिक और परिमार्जित कूटनीतिक संबंध देखे जा सकते हैं।

वर्ष 2004 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक साझेदारी ने विकास का रूप लिया और इसमें निरंतरता के साथ मजबूत अवस्थिति कायम रही। हालांकि शेष यूरोप से भी भारत के द्विपक्षीय संबंध विगत कई वर्षों से प्रगाढ़ हो गए हैं। बावजूद इसके ब्रिटेन से मजबूत दोस्ती पूरे यूरोप के लिए बेहतरी की अवस्था है, क्योंकि यूरोप में व्यापार करने के लिए भारत ब्रिटेन को द्वार समझता है। ऐसे में नई सरकार के साथ भारत की ओर से नई रणनीति और प्रासंगिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर गठजोड़ की एक ऐसी कवायद करने की जरूरत है, जहां से भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटेन में होने का सबसे बेहतर लाभ लिया जा सके। साथ ही दुनिया में भारत की बढ़ती साख को और सशक्त बनाने में मदद मिल सके।

[निदेशक, वाईएस रिसर्च फाउंडेशन आफ पालिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन]