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ट्रंप के छेड़े 'ट्रेड वार' का चीन ने भी दिया उसी भाषा में जवाब, भारत पर भी होगा असर

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक ट्वीट ने वैश्विक स्तर पर 'ट्रेड वॉर' की शुरुआत कर दी। इसको देखते हुए चीन ने भी अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देने की शुरुआत कर दी है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 24 Mar 2018 12:43 PM (IST)
ट्रंप के छेड़े 'ट्रेड वार' का चीन ने भी दिया उसी भाषा में जवाब, भारत पर भी होगा असर

नई दिल्ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक ट्वीट ने वैश्विक स्तर पर 'ट्रेड वॉर' की शुरुआत कर दी। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर बताया कि स्टील आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और ऐल्मुनियम आयात पर 10 प्रतिशत लगाया है। ट्रंप के ताजा फैसले का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है। दुनियाभर के शेयर बाजारों में इस फैसले के बाद गिरावट देखी गई है। एशियाई बाजारों में भी इस फैसले के बाद भारी गिरावट देखी गई है।

अमेरिका स्‍टील का सबसे बड़ा आयातक

ट्रंप ने ट्वीट में कहा कि जब किसी देश के बिलियन डॉलर्स ट्रेड में डूब रहे हों तो ट्रेड वॉर सही है और इसे जीतना आसान भी है। इन सभी के पीछे ट्रंप का मकसद दरअसल घरेलू स्‍टील इंडस्‍ट्री को बचाना और उनका उत्‍पादन बढ़ाना है। हालांकि इसको देखते हुए चीन ने भी अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देने की शुरुआत कर दी है। आपको बता दें कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा स्टील आयातक है, वहीं चीन सबसे बड़ा निर्यातक देश है। 

ये है ट्रंप की प्‍लानिंग

विदेशी स्‍टील पर ज्‍यादा कर लगाने की वजह से यह महंगा हो जाएगा नतीजतन घरेलू स्‍टील और ऐल्मुनियम की मांग कीमत कम होने की वजह बढ़ जाएगी, जिससे वहां की स्‍टील इंडस्‍ट्री को जीवनदान मिल जाएगा। ट्रंप के इस फैसले की संभावना काफी समय से बन रही थी। आपको बता दें कि ट्रंप ने भारत को भी इंपोर्ट ड्यूटी कम करने को कहा था। ट्रंप का कहना था कि भारत में हमारे सामान की कीमत वहां लगे कर की बदौलत बढ़ जाती है जबकि यहां पर हम भारत से आने वाले सामान पर कर नहीं लगाते हैं इसलिए उसकी कीमत कम रहती है। ऐसे में अमेरिका को नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन ट्रंप के ताजा फैसले से भारत पर न के ही बराबर असर पड़ने वाला है। इसका सबसे ज्‍यादा असर चीन पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि अमेरिका जहां स्‍टील का सबसे बड़ा आयातक देश है वहीं चीन सबसे बड़ा निर्यातक देश है। वहीं यदि भारत की बात की जाए तो अमेरिका में होने वाले कुल एक्‍सपोर्ट का भारत सिर्फ दो फीसद ही करता है। वर्तमान में भारत करीब 3,250 करोड़ रुपये मूल्य के स्टील का निर्यात अमेरिका को किया है।

चीन ने भी लगाया शुल्‍क

अमेरिका के ताजा फैसले के बाद चीन ने भी पोर्क मीट और पाइप सहित अन्य अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लागू करने की योजना जारी कर दी है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस कदम के तहत पोर्क मीट, वाइन और स्टील के पाइपों समेत 128 अमेरिकी उत्पादों से शुल्क रियायतें हटाई जाएंगी। मंत्रालय के मुताबिक, इन उपायों में फल, अखरोट, वाइन (शराब) और इस्पात की पाइपों समेत अन्य उत्पादों पर 15 प्रतिशत शुल्क एवं सूअर के मांस तथा एल्युमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क शामिल होगा। ये उपाय दो चरणों में लागू किए जाएंगे। चीन की तरफ से यह भी कहा गया है कि यदि दोनों देश तय समय के भीतर व्यापार से जुड़े मामलों पर समझौता नहीं करते हैं तो पहले चरण में 15 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा। वहीं, दूसरे चरण में, अमेरिकी नीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन करने के बाद 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जाएगा।

क्‍या कहते हैं जानकार

इन सभी के बीच नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की सलाहकार और अर्थशास्त्री राधिका पांडे एक हद तक डोनाल्‍ड ट्रंप की ड्यूटी कम करने की मांग को जायज मानती हैं। लेकिन साथ ही उनका यह भी कहना है कि अब तक अमेरिका प्रोटेक्‍श्‍निस्‍ट पॉलिसी पर अमल कर रहा था। उनका कहना है कि इसको लेकर अमेरिका को उन पॉलिसी पर दोबारा विचार करने की जरूरत है जिनसे दूसरे देशों को व्‍यापार में तकलीफ होती है। उन्‍होंने यह भी कहा कि अमेरिका को अपने यहां उन प्रोडेक्‍ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी को कम करनी चाहिए, जहां ये अधिक है। उनका मानना है कि इसका कहीं न कहीं असर भारत पर भी जरूर पड़ेगा।

ईयू ने यूएस के खिलाफ खोला मोर्चा

आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिका द्वारा छेड़े गए ट्रेड वार में कई देश ऐसे हैं जो पूरी तरह से अमेरिका के खिलाफ हैं। यूरोपीय संघ ने भी अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। वह भी अमेरिका के प्रोडेक्‍ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का मन बना रहा है। यूएस की इस मुहिम में जापान, कनाडा, तुर्की और मेक्सिको उसका साथ दे सकते हैं।

क्‍या है ट्रेड वार

ट्रेड वॉर या व्यापार की लड़ाई संरक्षणवाद का नतीजा है। अगर कोई देश किसी देश के साथ ट्रेड पर टैरिफ या ड्यूटी बढ़ाता है और दूसरा देश इसके जवाब में ऐसा ही करता है तो समझिए ट्रेड वॉर की स्थिति बन चुकी है। दो देशों से शुरू ऐसी ट्रेड वॉर धीरे-धीरे विश्व कई देशों के बीच व्यापारिक टेंशन का माहौल बना सकती है। अपने देश के उद्योग बचाने के लिए अधिकतर देश ऐसे टैरिफ लगाते हैं, जिसे संरक्षणवाद कहा जाता है।

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