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G20 Summit 2022: भारत की वजह से बाली घोषणापत्र पर बनी सहमति, पूरा संगठन बंटा हुआ था दो खेमे में

संयुक्त घोषणापत्र जारी होने के बावजूद सदस्य देशों के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। रही-सही कसर 14 और 15 नवंबर को यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान पड़ोसी देश पोलैंड पर मिसाइलों के गिरने से खराब हो गई।

By Jagran NewsEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Wed, 16 Nov 2022 07:01 PM (IST)
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बाली बैठक के दौरान भारत एक लीडर और संकट के घड़ी में राह निकालने वाले देश स्थापित हुआ है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बुधवार को इंडोनेशिया की राजधानी बाली में समूह-20 देशों के शीर्ष नेताओं की तरफ से जारी घोषणापत्र को अंतिम रूप देने में भारतीय कूटनीति की अहम भूमिका रही। यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से सदस्य देशों के बीच घोषणापत्र के कुछ अहम बिंदुओं को लेकर कोई सहमति नहीं बन पा रही थी। इस बारे में 15 दौर की मंत्रिस्तरीय वार्ता के बावजूद पूरा संगठन दो खेमे में बंटा हुआ था।

बगैर घोषणापत्र के ही समापन पर तैयार था पश्चिमी देशों का तबका

खास तौर पर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों का तबका बगैर घोषणापत्र के ही बाली बैठक के समापन पर तैयार था। तब भारतीय प्रतिनिधियों ने संगठन के दूसरे विकासशील देशों के साथ मिल कर सहमति बनाने की कोशिश की जिसका नतीजा यह निकला कि मंगलवार को स्थगित होने के बाद बुधवार (16 नवंबर, 2022) को शीर्ष नेताओं की तरफ से बाली घोषणापत्र जारी किया गया।

पहली बार सभी राष्ट्र प्रमुखों का संयुक्त फोटो नहीं लिया जा सका

संयुक्त घोषणापत्र जारी होने के बावजूद सदस्य देशों के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। रही-सही कसर 14 और 15 नवंबर को यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान पड़ोसी देश पोलैंड पर मिसाइलों के गिरने से खराब हो गई। संभवतः यह एक बड़ी वजह रही कि बाली बैठक के दौरान सभी राष्ट्र प्रमुखों का संयुक्त फोटो नहीं लिया जा सका। जी-20 बैठक के दौरान यह पहला मौका है, जब सदस्य देशों के प्रमुखों का कोई संयुक्त फोटो नहीं खींची गई है। ऐसे में अब सितंबर, 2023 में नई दिल्ली में होने वाली जी-20 की अगली शीर्ष स्तरीय बैठक के दौरान ही संयुक्त फेमिली फोटो खींचने का अवसर मिलेगा। भारतीय दल यह मान रहा है कि जी-20 की नई दिल्ली बैठक काफी सामान्य माहौल में होगा।

संयुक्त घोषणापत्र में भारत के विचारों को दी गई तवज्जो

कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि बाली बैठक के दौरान भारत एक लीडर और संकट के घड़ी में राह निकालने वाले देश के तौर पर स्थापित हुआ है। यही वजह है कि संयुक्त घोषणापत्र में कई मुद्दों पर भारत के विचारों को तवज्जो दी गई है। इसमें कहा गया है कि यह दौर युद्ध का नहीं हो सकता। यही बात सितंबर, 2022 में पीएम नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्र्पति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान कही थी। यूक्रेन संकट का समाधान कूटनीति, बातचीत, अंतरराष्ट्रीय नियम व कानून व संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में निकालने की मांग भारत शुरू से ही कहता रहा है। घोषणापत्र में भी यही बात है।

भारत के अन्य विचारों को भी किया गया शामिल

इसके अलावा खाद्य सुरक्षा व ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी भारत के विचार शामिल किये गये हैं। कोविड महामारी के संदर्भ में भारत ने एक अंतरराष्ट्रीय फंड सृजित करने का सुझाव दिया था, जिसे भी स्वीकार किया गया है। डिजिटल इकोनोमी के क्षेत्र में भारत की प्रगित को बड़े पैमाने पर दूसरे देशों आजमाने का रास्ता भी इस घोषणापत्र से खुला है।