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Covid-19: भारत की तरह जर्मनी भी बढ़ाना चाहता है लॉकडाउन, महज 14 दिनों में सामने आए 52 हजार मामले

भारत की तरह जर्मनी में भी चांसलर मर्केल लॉकडाउन पर आज विचार करने वाली हैं। यहां के लोग इसको बढ़ाए जाने के पक्ष में हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 15 Apr 2020 07:03 AM (IST)
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Covid-19: भारत की तरह जर्मनी भी बढ़ाना चाहता है लॉकडाउन, महज 14 दिनों में सामने आए 52 हजार मामले
बर्लिन। कोरोना महामारी के संकट और इसकी रोकथाम के बीच भारत ने अपने यहां पर जारी 21 दिनों के लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया है। ये फैसला महामारी पर काबू पाने को लेकर किया है। भारत इस तरह का फैसला लेने वाला कोई इकलौता देश नहीं है। कुछ देशों ने अपने यहां की लॉकडाउन की समय सीमा को बढ़ा दिया है। कोरोना संकट के बीच बीते तीन माह में दुनिया के ज्‍यादातर देशों ने लॉकडाउन को जरूरी उपाय माना है। इन देशों ने इस लॉकडाउन के दौरान भी एक दूसरे व्‍यक्ति से दूरी बनाने के नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए कड़े फैसले लिए हैं। लॉकडाउन की जहां तक बात है तो यूरोप के ज्‍यादातर देशों ने अपने यहां पर इसको लागू किया है। जर्मनी में अब इसको बढ़ाए जाने के पक्ष में सरकार और लोग दोनों ही दिखाई दे रहे हैं।

जर्मनी के अखबार डायचे वेले के मुताबिक एक सर्वे में ये बात सामने आई है। इस सर्वे में शामिल 44 फीसद लोगों लॉकडाउन की समय सीमा को 19 अप्रैल से भी आगे बढ़ाने का समर्थन किया है। साथ ही इन्‍होंने ये भी माना है कि इस दौरान लोगों की आवाजाही पर लगे सख्‍त प्रतिबंध जारी रहने चाहिए। इस सर्वे के मुताबिक करीब 12 फीसद लोग इस पक्ष में हैं कि लॉकडाउन के दौरान पाबंदियों को और सख्‍त किया जाना चाहिए। वहीं 32 फीसद लोग लॉकडाउन के दौरान पाबंदियों में नरमी के पक्ष में थे। सर्वे में शामिल केवल 8 फीसद लोग ऐसे थे जो चाहते थे कि हर तरह की पाबंदी को खत्म कर दिया जाना चाहिए।

ये सर्वे दो बातों को लेकर करवाया गया था जिसमें लोगों की राय जानी गई। इसमें पहला सवाल लॉकडाउन से जुड़ा था तो दूसरा सवाल इस दौरान सभी नियमों के पालन करने से संबंधित था। जर्मनी में ये सर्वे वहां की समाचार एजेंसी डीपीए ने यूगव रिसर्च इंस्टीट्यूट से करवाया है। सर्वे में दूसरे सवाल के जवाब में करीब 78 फीसद लोगों ने कहा कि वे लॉकडाउन के नियमों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। महज 2 फीसद लोगों ने माना कि उन्‍होंने इन पाबंदियों का पालन नहीं किया।

वहीं जर्मनी की नेशनल अकादमी ऑफ साइंस के प्रमुख गेराल्‍ड हॉग की तरफ से भी कहा गया है कि सरकार को अब लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से छूट देनी चाहिए। अकादमी का कहना है कि स्‍कूलों के अलावा सरकार को रेस्‍तरां और दूसरे स्‍टोर्स को भी खोल देना चाहिए। इस दौरान एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के नियमों का सख्‍ती से पालन करवाया जाना चाहिए। इसके अलावा हर किसी को मास्‍क पहनना अनिवार्य कर देना चाहिए। 

आपको बता दें कि जर्मनी में 22 मार्च से लॉकडाउन लागू है। इसे पहले दो सप्‍ताह के लिए लगाया गया था लेकिन बाद में इसको बढ़ाकर 19 अप्रैल तक कर दिया गया। इस दौरान आवश्यक सेवाओं के अलावा सब कुछ बंद है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल बुधवार (15 अप्रैल 2020) को सभी राज्‍यों के प्रमुखों से इस बाबत बात करने वाली है कि इस लॉकडाउन को बढ़ाया जाए या नहीं।

गौरतलब है कि जर्मनी में कोरोना वायरस का पहला मामला 27 जनवरी 2020 को सामने आया था। बवेरिया प्रांत स्थित एक कार पार्ट्स बनाने वाली कंपनी के कर्मचारी सबसे पहले इसकी जद में आए थे। इसके एक महीने बाद जर्मनी के सबसे बड़े राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में कार्निवाल के बाद कोरोना वायरस के मामले काफी तेजी से बढ़े थे। आपको बता दें कि जर्मनी में अब तक (14 अप्रैल 2020) 130071 मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा यहां पर 3194 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

यहां कोरोना का पहला मामला सामने आने से अब तक 68200 मरीज ठीक हो चुके हैं। यहां पर कुल एक्टिव मामलों की संख्‍या 58678 है और 4288 मामले गंभीर हैं। सरकार अब तक यहां पर 1317997 लोगों का टेस्‍ट करवा चुकी है। 1 अप्रैल को यहां पर 77981 कोरोना के मामले थे जो अब लगभग दोगुना होने की कगार पर हैं। इस हिसाब से महज 14 दिनों में 52090 मामले सामने आए हैं। इसका अर्थ ये भी है कि यहां पर औसतन 3720 मामले हर रोज सामने आए हैं।

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