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चीन की दादागीरी रोकने के लिए भारत और वियतनाम की बढ़ती करीबी

भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा के लिए पिछले कुछ वर्षो से अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।आने वाले दिनों में निश्चित रूप से सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2022 11:45 AM (IST)
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अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान गियांग (बाएं) के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। प्रेट्र

डा. लक्ष्मी शंकर यादव। अपनी लुक ईस्ट यानी पूर्व की ओर देखा नीति को सफल बनाने के उद्देश्य से भारत ने वियतनाम के साथ अपनी मित्रता तथा सामरिक संबंधों को समय के साथ और अधिक प्रगाढ़ किया है। इसी सिलसिले में पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वियतनाम की तीन दिवसीय यात्रा पूरी की। उनकी इस यात्रा को चीन की दक्षिण चीन सागर में बढ़ती आक्रामकता के बीच वियतनाम के साथ भारत के समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने एवं सामरिक संबंधों के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है। राजनाथ सिंह ने वियतनाम को एक दर्जन हाई स्पीड गार्ड बोट सौंपकर दोनों देशों के सामरिक संबंधों को और अधिक मजबूत किया।

न्हा ट्रांग स्थित वियतनामी वायु सेना अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान का दौरा किया। वहां पर भाषा तथा सूचना प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला की स्थापना के लिए भारत सरकार की तरफ से उपहार के तौर पर 10 लाख डालर का चेक सौंपा। यह प्रयोगशाला इस धनराशि का उपयोग वायु सेना कर्मियों की भाषा और आइटी कौशल को बढ़ाने के लिए करेगी। इसके बाद राजनाथ सिंह ने वहां के दूरसंचार विश्वविद्यालय का भी अवलोकन किया। इस यूनिवर्सिटी में आर्मी साफ्टवेयर पार्क स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने वियतनाम के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री जनरल फान वान गियांग, राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक और प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन से भी मुलाकात की।

दरअसल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस यात्रा का उद्देश्य भारत-वियतनाम द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के साथ ही समग्र रणनीतिक साझीदारी को मजबूत बनाना था। उन्होंने अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान गियांग के साथ साझा हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ आसियान का प्रमुख देश होने के नाते वियतनाम का रणनीतिक दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है। चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वहीं ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर अपनी दावेदारी जताते हैं। भारत के पास दक्षिण चीन सागर में वियतनाम की समुद्री सीमा में तेल खोज परियोजनाएं हैं। इसीलिए भारत और वियतनाम साङो हितों की रक्षा के लिए पिछले कुछ वर्षो में समुद्री सुरक्षा एवं रणनीतिक सहयोग बढ़ा रहे हैं। अमेरिका एवं भारत सहित क्षेत्र के सभी देश एक स्वतंत्र, समावेशी एवं अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर आधारित हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

राजनाथ सिंह की यात्र के दौरान भारत-वियतनाम के बीच रक्षा साङोदारी संबंधी एक समझौता भी हुआ। यह हंिदू प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों में इस प्रगति को काफी अहम माना जा रहा है। यह पहला ऐसा बड़ा समझौता है, जो वियतनाम ने किया है। इस समझौते से दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के प्रतिष्ठानों का इस्तेमाल मरम्मत तथा आपूर्ति संबंधी कार्यो के लिए कर सकेंगी। उल्लेखनीय है कि वियतनाम में भारतीय नौसेना का अड्डा है, जहां उसके युद्धपोत हमेशा तैयार खड़े रहते हैं। भारत-वियतनाम के राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्षो बाद और भारत की आजादी के 75वें साल के ऐतिहासिक अवसर पर हुई यह यात्र काफी मायने रखती है।

भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा के लिए पिछले कुछ वर्षो से अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में जब वियतनाम के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुएन तान डुंग भारत की यात्र पर आए थे तब दोनों देशों के संबंधों को रणनीतिक साङोदारी का दर्जा दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वर्ष 2016 की वियतनाम यात्र के दौरान साङोदारी के दर्जे को बढ़ाकर व्यापक रणनीतिक साङोदारी कर दिया गया था। इसके बाद से वियतनाम भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हंिदू प्रशांत विजन में एक विशेष महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है। दोनों देश 2000 साल से अधिक पुराने सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक संबंधों का एक समृद्ध इतिहास साझा करते हैं।

गत वर्ष दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, परमाणु एवं अनुसंधान सहित सात समझौते किए गए थे। इससे पहले वर्ष 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वियतनाम की यात्र की थी तब भी रणनीतिक साङोदारी मजबूत करने के उद्देश्य से दोनों देशों के मध्य रक्षा, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा एवं अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए कई समझौते हुए थे। वियतनाम से बेहतर संबंधों के चलते भारत दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चीन को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाएगा। इस तरह चीन से निपटने में भारत तथा वियतनाम एक दूसरे के मददगार सिद्ध होंगे। वियतनाम से बढ़ती दोस्ती यह स्पष्ट करती है कि भारत की पूर्व की ओर देखो नीति के परिणाम मिलने लगे हैं। इस नीति के तहत जापान और थाईलैंड सहित सभी देशों के साथ भारत के संबंध और सहयोग निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसका लाभ इस क्षेत्र के सभी देशों को मिल भी रहा है। हालांकि इन देशों के साथ अभी भी व्यापारिक सहयोग बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। आने वाले दिनों में निश्चित रूप से सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार होगा।

[पूर्व प्राध्यापक, सैन्य विज्ञान]