तुर्की को भारत का करारा कूटनीतिक जवाब, आर्मीनिया और ग्रीस के साथ सुधारे रिश्ते, जानें इसके मायने
कश्मीर को लेकर तुर्की के आक्रामक व्यवहार को देखते हुए भारत अब खुल कर अपने पत्ते खेलने लगा है। भारत सरकार ने ग्रीस और आर्मीनिया के साथ अपने रिश्तों को मजबूती देने पर जोर दिया है। आइए जानें क्या हैं इसके कूटनीतिक मायने...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 16 Oct 2021 01:15 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। बार-बार संदेश देने के बावजूद कश्मीर को लेकर तुर्की के व्यवहार में बदलाव नहीं आता देख भारत भी अब खुल कर अपने पत्ते खेलने लगा है। हाल के दिनों में भारत सरकार ने ग्रीस और आर्मीनिया के साथ अपने रिश्तों को मजबूत व बहुआयामी बनाने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन दोनों देशों के साथ वैसे तो भारत के पुराने मित्रवत संबंध रहे हैं, लेकिन हाल के वैश्विक माहौल में भारतीय हितों को देखते हुए इनकी अहमियत बढ़ गई है।
आर्मीनिया जाने वाले पहले विदेश मंत्री बने जयशंकरदरअसल, इन दोनों देशों के रिश्ते तुर्की के साथ बेहद खराब हैं। ऐसे में ग्रीस व आर्मीनिया के साथ भारत के संबंधों को तुर्की से साथ संतुलन स्थापित करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। तीन दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर आर्मीनिया की यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले विदेश मंत्री बने हैं। उनकी वहां विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री और वहां के नेशनल एसेंबली के प्रेसिडेंट से अलग-अलग मुलाकात हुई।
चाबहार पोर्ट के संयुक्त इस्तेमाल पर जोरभारत व आर्मीनिया के बीच ईरान स्थित चाबहार पोर्ट के संयुक्त इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर भी बात हुई है। जयशंकर ने चाबहार पोर्ट को उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि भारत और आर्मीनिया के बीच कारोबार की राह में एक बड़ी बाधा को दूर किया जा सके।
भारत ने दिए बड़े संकेत
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रस्ताव के जरिये भारत ने यह संकेत दिया है कि चाबहार को वह आर्मीनिया से जोड़ने का विकल्प पसंद करेगा न कि उसके पड़ोसी देश अजरबैजान को। यहां यह भी बताते चलें कि आर्मीनिया और अजरबैजान के रिश्ते काफी खराब हैं और तुर्की अजरबैजान की मदद करता है।पाकिस्तान का समर्थन कर रहा तुर्कीगौरतलब है कि तुर्की अपने मित्र देश पाकिस्तान के साथ मिल कर हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का राग अलाप रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सितंबर 2021 में भी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कश्मीर का मुद्दा उठाया था। यही नहीं भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस बात की सूचना है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए तुर्की व पाकिस्तान के बीच गठबंधन हो चुका है।
भारत विरोधी केंद्र के तौर पर उभर रहा तुर्कीइंटरनेट मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के जरिये भी कश्मीर से जुड़े मामलों को उठाने में तुर्की केंद्र के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है। इसी लिहाज से भारत ने अपनी गोटी बिठानी शुरू की है, जिसमें आर्मीनिया के साथ ग्रीस अहम है। इसके पहले जून 2021 में जयशंकर ने ग्रीस की यात्रा की थी और पहली बार दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को रणनीतिक तौर पर देखने की कोशिश हुई थी।
ग्रीस को कई बार धमकी दे चुका है तुर्कीग्रीस के रिश्ते तुर्की के साथ ऐतिहासिक तौर पर तनावग्रस्त रहे हैं और हाल के महीनों में भी ये लगातार खराब हो रहे हैं। तुर्की की तरफ से कई बार ग्रीस पर हमले की धमकी भी दी गई है। ग्रीस का आरोप है कि तुर्की उसके एक द्वीप पर जबरन कब्जा करना चाहता है। विदेश मंत्री निकोस डेनडियास के साथ जयशंकर की वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि हर देश को दूसरे देशों की अखंडता व भौगोलिक संप्रभुता के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का आदर करना चाहिए।