ज्यादा खुश न हों, बैन के बाद भी हाफिज सईद पर नहीं बदलेगा पाक का रुख
पाकिस्तान ने भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद को एक बड़ा झटका देते हुए उसे आतंकी घोषित कर दिया है। ऐसा एक बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के बाद हुआ है।
नई दिल्ली स्पेशल डेस्क। पाकिस्तान ने भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद को एक बड़ा झटका देते हुए उसके संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) को आतंकी संगठन घोषित करने की तरफ एक और कदम आगे बढ़ा दिया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने एक बिल पर हस्ताक्षर किए हैं जिसका मकसद यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) की ओर से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा और तालिबान जैसे संगठनों पर लगाम लगाना है। इसमें हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा का भी नाम शामिल है। अब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए व्यक्ति और संगठन पाकिस्तान में स्वत: आतंकी फेहरिस्त में नहीं आते थे। इसी वजह से यूएन की पाबंदियों के बावजूद जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत जैसे हाफिज सईद के संगठन पाकिस्तान में धड़ल्ले से अपना काम कर रहे थे, लेकिन नए संशोधन पर राष्ट्रपति ममनून हुसैन के दस्तखत के बाद अब इन आतंकी संगठनों पर कार्रवाई हो सकेगी। माना जा रहा है कि उसका नया कदम इसी टास्क फोर्स की आंखों में धूल झोंकने के लिए उठाया गया है।
फ्रांस में होने वाली खास बैठक से पूर्व लिया फैसला
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि पाकिस्तान की तरफ से यह कदम फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की मीटिंग से पहले उठाया गया है। यह टास्क फोर्स मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में कई देशों की निगरानी करती है। इसकी बैठक पेरिस में 18-23 फरवरी तक चलेगी। लेकिन इस अहम बैठक से पहले लिए गए इस फैसले को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा अब क्यों, या ये पहले क्यों नहीं किया गया। यह सवाल इसलिए खास है क्योंकि भारत बार-बार हाफिज सईद को आतंकवादी बताता रहा है। यहां तक की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत बार-बार उसको वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग करता रहा है, लेकिन भारत की इस मांग पर पाकिस्तान चीन की तरफ से इस पर अड़ंगा लगवाता रहा है। पाकिस्तान ने हमेशा ही इसमें खुद को साफ बताने की कोशिश की है। लेकिन माना जा रहा है कि उसका नया कदम इसी टास्क फोर्स की आंखों में धूल झोंकने के लिए उठाया गया है।
आंखों में धूल झोंक रहा पाकपाक के इस पैंतरे को जानकार महज आंखों में धूल झोंकना मान रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञ विंग कमांडर प्रफुल बख्शी का कहना है कि पाकिस्तान ऐसा करके दूसरे देशों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है। हाफिज को लेकर पाकिस्तान के रुख में बदलाव न पहले आया था और न ही आगे आएगा। यह पूछे जाने पर कि ऐसा फैसला अब पाकिस्तान ने क्यों लिया उनका कहना था कि अमेरिकी मदद और पेरिस में होने वाली बैठक के मद्देनजर उसने यह फैसला लिया है। वह जानता है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो विश्व समुदाय में उसकी खिल्ली उड़ेगी। लिहाजा उसने यह पैंतरा फेंका है। बख्शी मानते हैं कि चीन पूरी तरह से पाकिस्तान के साथ पहले की ही तरह खड़ा है। आने वाले समय में वह हाफिज को बचाने के लिए पाकिस्तान पूरी ताकत झोंक देगा। वह उसके संगठनों का नाम बदल देगा जिससे वह इस कार्रवाई से बच जाएगा। ऐसा पहले भी हो चुका है। लिहाजा पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों से जयादा खुश होने की जरूरत नहीं है।
क्या होगा इसके बाद
दबाव में पाकिस्तान
सईद के संगठन को आतंकी संगठन बनाने की पहल के पीछे की कुछ वजहों को भी समझना बेहद जरूरी है। हाल के कुछ समय में पाकिस्तान के अमेरिका के साथ संबंध काफी खराब हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधेतौर पर पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने और उसकी दी हुई राशि का इस्तेमाल सही ढंग से न करने का भी आरोप लगाया है। ट्रंप ने पिछले दिनों यह बात साफतौर पर कही थी कि यदि पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों पर शिकंजा नहीं कसता है तो फिर अमेरिका सीधे कार्रवाई करेगा। इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करोड़ों रुपये की मदद को भी रोक दिया था। इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने अमेरिका के खिलाफ काफी बयानबाजी की थी। बता दें कि अमेरिका 2002 से अब तक पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए 33 अरब डॉलर (करीब 2 लाख 11 हजार करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद दे चुका है। अमेरिका ने अगस्त में कहा था कि जब तक पाकिस्तान आतंकी गुटों पर कार्रवाई तेज नहीं करता, वह उसे दी जाने वाली 25.5 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद रोक कर रखेगा।पाकिस्तान में आम चुनाव
यूएनएससी की सूची में ये संगठन हैं शामिल
गौरतलब है कि यूएनएससी की प्रतिबंधित सूची में अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झांगवी, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), लश्कर-ए-तैयबा और अन्य शामिल हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में सरकार ने हाफिज सईद से संबंधित दो संगठनों जमात-उद-दावा और एफआईएफ पर नियंत्रण करने की योजना बनाई थी और ऐसा माना गया था कि इस संबंध में एक कार्ययोजना सौंपी गई है। वर्ष 2005 में यूएनएससी प्रस्ताव 1267 के तहत लश्कर-ए-तैयबा को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था।आतंकी हाफिज सईद पर प्रतिबंध से पहले यह भी समझना जरूरी होगा कि उसका पाकिस्तान में कितना बड़ा कद है। यह इसलिए जरूरी है कि सईद पर जब अमेरिका ने ईनाम रखा था तब इसके खिलाफ पाकिस्तान में काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था। सईद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भी है। इसके अलावा सईद पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले संगठनों में काफी बड़ी शख्सियत है। यहां ये भी बताना जरूरी होगा कि सईद ने अपनी राजनीतिक पार्टी भी बनाई है जिसका नाम मिल्ली मुस्लिम लीग है। हालांकि इस पार्टी को अभी तक पाकिस्तान चुनाव आयोग ने रजिस्टर्ड नहीं किया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान के आतंरिक मंत्रालय ने आयोग को इस पार्टी को रजिस्टर्ड न करने की सिफारिश की थी। इसके बाद भी सईद ने अपने समर्थन से लाहौर के उपचुनाव में अपना एक प्रत्याशी मैदान में उतारा था। सईद का कहना था कि उसकी पार्टी को कार ट्रक नहीं है जिसको रजिस्ट्रेश की जरूरत हो। भारत कई बार सईद के प्रतयर्पण की कोशिश कर चुका है लेकिन पाकिस्तान की सरकार बार-बार इसको खारिज करती आई है।
सुरक्षा के नाम पर लगाए गए थे बैरिकेड
पाकिस्तान पुलिस ने आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के मुख्यालय के बाहर लगे बैरिकेड हटा दिए। देश की शीर्ष अदालत के आदेश पर पुलिस ने सोमवार को हाफिज के खिलाफ यह कार्रवाई की। एक दशक से भी अधिक समय पहले जेयूडी ने सुरक्षा के नाम पर ये बैरिकेड लगाए थे। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस साकिब निसार ने पंजाब पुलिस को लाहौर में सुरक्षा के नाम पर रोकी गई सभी सड़कों को खोलने के आदेश दिए थे। इसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जाती उमरा स्थित आवास के बाहर से भी बैरिकेड हटा लिए गए हैं। जस्टिस निसार ने पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) को चेताया था, ‘अगर आप अनुपालन रिपोर्ट सौंपने में नाकाम रहे तो अदालत आपकी किस्मत का फैसला करेगी। अगर मुख्यमंत्री चाहेंगे तो भी आप आइजी नहीं रह पाएंगे।
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