ASEAN Summit 2021 में बोले पीएम मोदी, कोरोना महामारी के मुश्किल दौर में भी दोस्ती की कसौटी रहा भारत-आसियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आसियान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण हम सभी को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। यह चुनौतीपूर्ण समय भी भारत-आसियान मित्रता की परीक्षा थी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 28 Oct 2021 02:31 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आसियान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण हम सभी को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। यह चुनौतीपूर्ण समय भी भारत-आसियान मित्रता की परीक्षा थी। उन्होंने इस बात पर पूरा विश्वास जताया कि कोरोना काल में हमारा आपसी सहयोग भविष्य में हमारे संबंधों को मजबूत करता रहेगा और हमारे लोगों के बीच सद्भावना का आधार बनेगा।
आसियान से भारत के संबंधों पर अपने विचार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि अगले वर्ष हमारी पार्टनरशिप के 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं। वहीं, भारत की आजादी के भी 75 वर्ष अगले वर्ष पूरे हो जाएंगे। पीएम मोदी ने कहा कि भारत को इस बात का गर्व और हर्ष है कि इस महत्वपूर्ण पड़ाव को हम 'आसियान-भारत मित्रता वर्ष' के रूप में मनाएंगे।पीएम मोदी ने आसियान को दिए अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि इतिहास गवाह रहा है कि भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत संबंध रहे हैं। इस बात का गवाह इतिहास रहा है। इसकी झलक साझा मूल्य, परम्पराएं, भाषाएं, ग्रन्थ, वास्तुकला, संस्कृति, खान-पान में भी दिखाई देती है। इस संगठन की एकजुटता हमेशा से ही भारत की प्राथमिकता रही है।
कोविड से शुरू हुई विश्व की जंग के बाबत उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में हम सभी को कई चुनौतियों से जूझना पड़ा है, लेकिन ऐसे समय में भी भारत आसियान मित्रता की कसौटी भी रहा। इस दौरान दोनों के बीच सहयोग बढ़ा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे भी यह सहयोग बढ़ता रहेगा। इस वर्ष आसियान सम्मेलन की अध्यक्षता करने के लिए उन्होंने ब्रुनेई के सुल्तान हसनाल बोलखी को बधाई भी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा ही आसियान के सिद्धांतों का पालन पूरी ईमानदारी के साथ किया है।
इस सम्मेलन में संबोधन के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव-पूर्व रीवा गांगुली दास ने कहा कि पीएम मोदी ने इंडो-पेसेफिक क्षेत्र में भारतीय विजन को स्पष्ट करते हुए आसियान के केंद्रीयता की बात कही है। इसमें उन्होंने ये आसियान भारत की ईस्ट एक्ट पालिसी का एक अहम स्तंभ है। ये सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब चीन लगातार अपने कदमों को एशिया समेत दूसरे क्षेत्रों में आगे बढ़ा रहा है। इस सम्मेलन की सबसे खास बात यह भी है कि वर्ष 2017 के बाद पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले ट्रंप ने इस सम्मेलन में भागीदारी की थी, लेकिन उसके बाद वह इस सम्मेलन से अलग हो गए थे।
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ब्रुनेई द्वारा आयोजित 16वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी वर्चुअल तौर पर हिस्सा लिया था। उन्होंने अपने एक ट्वीट में ये भी लिखा है कि वो आसियान सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए काफी उत्सुक हैं। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने एक लचीली वैश्विक चेन श्रृंखला के महत्व पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने एशिया-पैसिफिक देशों क्वाड प्रायोजित वैक्सीन को उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया था। उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने आसियान देशों के संगठन को कोरोना महामारी से उबरने के लिए 10 लाख अमेरिकी डालर का योगदान दिया है।
बता दें कि आसियान देशों के सम्मेलन में भारत के अलावा इंडोनेशिया, ब्रुनेई, मलयेशिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस और म्यांमार भी हिस्सा ले रहे हैं। गौरतलब है कि चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए लगातार उसके कदमों को रोकने की कवायद की जा रही है। ये सम्मेलन उन देशों की चिंता को भी दर्शाने के लिए काफी अहम बनने वाला है, जो लगातार चीन की सीनाजोरी से परेशान हैं।
आसियान के कुछ देश लगातार चीन के दक्षिण चीन सागर में दिखाई जा रही सीनाजोरी से परेशान हैं। इसको देखते हुए अमेरिका भी कई देशों के समर्थन में आ गया है। इसकी वजह से अमेरिका और चीन में लगातार तल्खी बढ़ती जा रही है।