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मदद के नाम पर चीनी कर्ज के जाल में फंसते जा रहे गरीब देश, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

एडडाटा रिसर्च लैब की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पिछले 18 साल में 165 देशों में 843 अरब डालर की 13427 परियोजनाओं में निवेश किया है। इसमें से ज्यादातर पैसा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बीआरआइ की परियोजनाओं से जुड़ा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Fri, 03 Dec 2021 11:51 AM (IST)
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श्रीलंका भी चीन के उसी जाल में फंस गया है।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। मदद के नाम पर कर्ज के जाल में फंसाने की चीन की चाल की परतें अब उधड़ने लगी हैं। हाल में खबरें आई हैं कि कर्ज नहीं चुका पाने के कारण चीन अफ्रीकी देश युगांडा के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अपने कब्जे में लेने की तैयारी कर रहा है। यह सहयोग के नाम पर अधिनायकवाद की ओर चीन के बढ़ते कदमों का प्रमाण है। यह पहला मामला नहीं है। विकास के नाम पर कर्ज देकर गरीब देशों को अपने जाल में फंसाने की चीन की कोशिश पहले भी दिखती रही है। श्रीलंका के पूर्व आर्मी कमांडर सरत फोंसेका ने अपनी सरकार को चेताते हुए कहा है कि जिस जाल ने युगांडा को तबाह किया है, श्रीलंका भी चीन के उसी जाल में फंस गया है।

एमआइ6 के प्रमुख ने दी है चेतावनी: ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआइ6 के प्रमुख रिचर्ड मूर ने हाल ही में बीबीसी रेडियो से बात करते हुए चीन की चालबाजी को लेकर दुनिया को चेताया है। उन्होंने कहा कि चीन के पास पूरी दुनिया से डाटा चुराने की क्षमता है। साथ ही वह लोगों को फंसाने के लिए पैसे का इस्तेमाल करता है। उन्होंने इसे डेट ट्रैप एंड डाटा ट्रैप (कर्ज और डाटा का जाल) की संज्ञा दी है।

18 साल में 165 देशों में ड्रैगन ने किया है अरबों का निवेश: एडडाटा रिसर्च लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने पिछले 18 साल में 165 देशों में 843 अरब डालर की 13,427 परियोजनाओं में निवेश किया है। इसमें से ज्यादातर पैसा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की परियोजनाओं से जुड़ा है। दो दशक पहले चीन खुद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से कर्ज लेने वाला देश था। आज दुनियाभर में परियोजनाओं में निवेश के मामले में यह अमेरिका से आगे निकल गया है।

लाओस में चीन की मदद से बनी रेल लाइन शुरू, जानकारों ने बड़े कर्ज पर जताई है चिंता: चीन, वियतनाम और थाइलैंड के बीच बसे लाओस में चीन ने 5.9 अरब डालर में तैयार रेल लाइन शुरू की है। भले ही यह रेल लाइन लाओस को विदेशी बाजारों से जोड़ रही है, लेकिन जानकार लाओस के भविष्य के लिहाज से इसे अच्छा नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि गरीब देशों में परियोजनाओं में चीन के सरकारी बैंक पैसा लगाते हैं और वह कर्ज चुकाना जरूरी होता है। यही भारी-भरकम कर्ज आने वाले दिनों में उनके गले की फांस बन जाता है। इस तरह की शिकायतें भी आती रही हैं कि चीन की परियोजनाओं की लागत अक्सर बहुत ज्यादा होती है। लाओस में भी कई नेता इस रेल परियोजना को लेकर चिंता जता रहे हैं।