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अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए जयशंकर ने पेश किया तीन सूत्रीय एजेंडा, जानें इसका मकसद

अफगानिस्तान में तालिबान की तरफ से बढ़ते हमलों के बीच भारत ने वहां शांति स्थापित करने के लिए तीन सूत्रीय एजेंडा पेश किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में अफगानिस्तान के मुद्दे पर एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह एजेंडा पेश किया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 14 Jul 2021 08:51 PM (IST)
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अफगानिस्तान में भारत ने वहां शांति स्थापित करने के लिए तीन सूत्रीय एजेंडा पेश किया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अफगानिस्तान में तालिबान की तरफ से बढ़ते हमलों के बीच भारत ने वहां शांति स्थापित करने के लिए तीन सूत्रीय एजेंडा पेश किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में अफगानिस्तान के मुद्दे पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह एजेंडा पेश किया। इस एजेंडा का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र, निष्पक्ष व लोकतांत्रिक देश बनाते हुए इस समूचे इलाके को आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त रखना है।

जिस बैठक में भारत ने यह एजेंडा पेश किया है उसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी, चीन के विदेश मंत्री वांग ई और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी उपस्थित थे। जयशंकर ने पूर्व में तालिबान के निरंकुश शासन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य पूर्व की तरह नहीं हो सकता।

जयशंकर ने कहा कि, अफगान की जनता, इस क्षेत्र के लोग और पूरी दुनिया को एक ऐसा अफगानिस्तान चाहिए जो पूरी तरह से स्वतंत्र हो, निष्पक्ष हो, शांतिप्रिय हो और समृद्ध हो। यह भारत की तरफ से प्रस्तावित रोडमैप का पहला हिस्सा है। रोडमैप का दूसरा हिस्सा है सभी तरह की हिंसा का खात्मा करना और सरकार व नागरिकों पर आतंकी हमलों को रोकना व इसके लिए राजनीतिक समूहों व समुदायों में बातचीत की शुरुआत करना।

तीसरा एजेंडा है अफगानिस्तान के पड़ोसियों को आतंकवाद व उग्रवाद से बचाना। इन रोडमैप को हासिल करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री ने समग्र तौर पर सीजफायर लागू करने की बात कही है। भारत पहले भी यह मांग करता रहा है। जयशंकर ने कहा है कि, शांति स्थापित करने के लिए गंभीरता से बात करना ही एक मात्र रास्ता है। दोहा, मास्को व इस्तांबुल प्रक्रिया के तहत शांति स्थापित करने के लिए जो वार्ताएं हुई हैं उन्हें अनिवार्य तौर पर आगे बढ़ाना चाहिए।

अफगानिस्तान का भविष्य उसका बीता हुआ कल नहीं हो सकता। उन्होंने सीधे तौर पर तालिबान को मदद देने वाले देश पाकिस्तान व उसकी एजेंसियों का नाम तो नहीं लिया लेकिन यह जरूर कहा कि कई ऐसी शक्तियां अफगानिस्तान में सक्रिय हैं जो अलग एजेंडे पर काम कर रही हैं। इन्हें वैध नहीं ठहराया जा सकता। ताकत की बदौलत जबरन सत्ता कब्जा करने को सहन नहीं किया जा सकता।

इस बैठक से पहले एससीओ के विदेश मंत्रियों की अलग से हुई बैठक में जयशंकर ने भारत की तरफ से एक बार फिर आतंकवाद को फंडिंग करने वाले देशों पर एससीओ की तरफ से कदम उठाने की मांग की। एससीओ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में यह बात पहले ही भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल उठा चुके हैं। भारत की यह मांग पाकिस्तान के संदर्भ में है जो आतंकवाद को फं¨डग देने के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के खतरे का सामना कर रहा है।