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SCO Summit: एससीओ डिक्‍लेरेशन को क्‍यों माना जा रहा अफगानिस्तान के लिए बड़ा झटका, विशेषज्ञों से जानें इसका जवाब

उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization SCO) के शिखर सम्मेलन में जारी संयुक्‍त घोषणा पत्र ने अफगानिस्‍तान की तालिबान सरकार को आईना दिखाने का काम किया है। जानें इस मसले पर क्‍या है विशेषज्ञों की राय...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 18 Sep 2022 04:37 PM (IST)
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शंघाई सहयोग संगठन के नेताओं ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का आह्वान किया है।
नई दिल्‍ली [आनलाइन डेस्‍क]। उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization, SCO) के शिखर सम्मेलन में अफगानिस्‍तान को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया गया है। शंघाई सहयोग संगठन के नेताओं ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन का आह्वान किया है। एससीओ शिखर सम्‍मेलन (SCO Summit) की ओर से जारी घोषणा पत्र में कहा गया है कि सदस्य देशों का मानना ​​है कि अफगानिस्तान में ऐसी समावेशी सरकार होनी चाहिए जो अफगान समाज के सभी जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समूहों का प्रतिनिधित्‍व करे।

तालिबान को दिखाया आईना 

एससीओ शिखर सम्‍मेलन (SCO Summit) में कहा गया है कि एससीओ क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार जो सभी वर्गों का प्रतिनिधित्‍व करे। यह महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। अफगानिस्तान में स्थितियों के त्वरित समाधान के लिए यह बेदह जरूरी है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एससीओ के सदस्यों का कहना है कि वे स्वतंत्र, तटस्थ, एकजुट, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण मुल्‍क के रूप में अफगानिस्तान की स्थापना का समर्थन करते हैं, जो आतंकवाद, युद्ध और ड्रग्स से मुक्त हो।

तालिबान पर बढ़ेगा दबाव 

अफगानिस्तान की स्थितियों पर एससीओ सदस्यों का कहना था कि वे अफगान लोगों की मदद के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयासों का समर्थन करते हैं। दरअसल अफगानिस्तान के राष्ट्रीय एकजुटता आंदोलन के प्रमुख सैयद इशाक गिलानी (Sayed Ishaq Gailani) का एक बयान सामने आया था। इसमें उन्‍होंने कहा था कि मौजूदा सरकार में अफगानिस्तान के जातीय समूह शामिल नहीं हैं। इस वजह से वह अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं। गिलानी का मानना है कि उनके इस कदम से सरकार पर दबाव बढ़ेगा।

करना पड़ेगा गृहयुद्ध जैसी चुनौतियों का सामना

अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के जानकार नेमातुल्लाह बिजान कहते हैं कि क्षेत्र के देशों को यह बात समझ में आ गई है कि यदि अफगानिस्तान एक समावेशी सरकार के गठन की ओर कदम नहीं बढ़ाता तो उसे गृहयुद्ध जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि तालिबान की ओर से SCO डिक्‍लेरेशन के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई है। तालिबान लगातार इस बात पर जोर देता आया है कि उसकी सरकार समावेशी है। वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपील को अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल करार देता रहा है।

समावेशी सरकार का गठन ही समाधान

एक अन्‍य राजनीतिक विश्लेषक टोरेक फरहादी कहते हैं कि एससीओ शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान के सभी पड़ोसियों ने एकसुर में कहा है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार का गठन किया जाना चाहिए। इन मुल्‍कों ने अब तक अफगानिस्तान को मान्यता नहीं दी है। कई अन्‍य अफगान विशेषज्ञों ने कहा है कि अफगानिस्‍तान में एक समावेशी सरकार की स्थापना से मौजूद चुनौतियों को खत्‍म करने में मदद मिलेगी। अफगानिस्तान के लिए यह एक बड़ा संकेत है।  

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