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समरकंद में मिलेंगे मोदी और पुतिन, एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं की द्विपक्षीय वार्ता पर दुनिया की नजरें

SCO summit in Samarkand एससीओ सम्मेलन से इतर पीएम नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय मुलाकात होनी है। बदले वैश्विक माहौल में होने जा रही इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें होंगी। जानें क्‍यों पीएम मोदी का यह दौरा होने वाला है बेहद खास....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 10:12 PM (IST)
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एससीओ के समरकंद सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय मुलाकात होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के समरकंद सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर रहेंगी। उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15 और 16 सितंबर को एससीओ का सम्मेलन होगा। दोनों देशों की तरफ से संकेत है कि मोदी और पुतिन की इस मुलाकात का बड़ा एजेंडा है जो द्विपक्षीय रिश्तों को और प्रगाढ़ करेगा।

रणनीतिक स्थिरता पर अहम वार्ता

भारतीय पीएम का मुख्य मकसद रूस के ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए करने का है जबकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से जूझ रहे पुतिन की कोशिश होगी कि कूटनीतिक सहयोग का मजबूत आश्वासन भारत उन्हें दे। रूस की तरफ से बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच रणनीतिक स्थिरता पर अहम बातचीत होगी। साथ ही विभिन्न बहुराष्ट्रीय संगठनों में किस तरह से एक दूसरे की मदद की जाए, यह भी एक मुद्दा रहेगा।

रूस के लिए भारत की अहमियत बढ़ी 

यूक्रेन पर हमले के बाद पुतिन ने जिन वैश्विक नेताओं से बात की, उनमें मोदी भी जानकारों का कहना है कि यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने जिन गिने-चुने वैश्विक नेताओं से बात की है, उनमें पीएम मोदी भी शामिल हैं। भारत की अहमियत पुतिन के लिए पहले से भी ज्यादा हो गई है। इसकी एक वजह यह भी है कि भारत दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अध्यक्षता करेगा।

कई मौकों पर भारत ने की है मदद 

यूएनएससी में रूस के खिलाफ कई प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहकर भारत ने उसे परोक्ष तौर पर मदद ही की है। रूस चाहेगा कि भारत बतौर अध्यक्ष भी उसके हितों का ख्याल रखे। इसके अलावा अगले वर्ष जी-20 देशों के संगठन की अगुवाई भारत करेगा और साथ ही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अगुवाई भी भारत करने वाला है। इन दोनों अहम सम्मेलनों में रूस को कई स्तर पर भारत की मदद चाहिए।

इब्राहिम रईसी के साथ भी द्विपक्षीय बैठक

रूस-भारत को जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकता ईरान पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति पुतिन के अलावा ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ भी द्विपक्षीय बैठक होनी है। इस बैठक से पहले ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अबदुल्लाहियन ने कहा है कि ईरान केंद्रीय एशिया व रूस को भारत से जोड़ने में एक अहम भूमिका निभा सकता है।

ईरान के साथ संबंधों में आई मजबूती

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद भारत और ईरान के आर्थिक संबंध लगातार मजबूत बने हुए हैं। अभी ईरान के उत्पादों का भारत पांचवा सबसे बड़ा आयातक है जबकि भारत ईरान के लिए चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। यह स्थिति तब है जब भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है। अब ईरान एससीओ का पूर्ण सदस्य बन रहा है और भारत के साथ उसका सहयोग काफी बढ़ने की संभावना है।

रईसी के साथ यह पहली आमने-सामने मुलाकात

मोदी की ईरान के नए राष्ट्रपति रईसी के साथ यह पहली आमने-सामने मुलाकात होगी। अमेरिका के प्रतिबंध के बावजूद भारत ईरान के साथ लगातार संपर्क साधे हुए है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो बार ईरान की यात्रा की थी जबकि जून, 2022 में ईरान के विदेश मंत्री भारत आए थे। मोदी और रईसी के बीच मुलाकात के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार होने की संभावना है।