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Sco Summit: पाक पर निशाना और मौजूदा माहौल पर चिंता जताने के साथ भारत की अहमियत बता पीएम मोदी ने खींची बड़ी लकीर

भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग और विश्वास बढ़ाने पर जोर दिया है। उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक समरकंद शहर में शुक्रवार को आयोजित एससीओ के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा वैश्विक माहौल में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बताई।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 10:28 PM (IST)
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भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग और विश्वास बढ़ाने पर जोर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग और विश्वास बढ़ाने पर जोर दिया है। उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक समरकंद शहर में शुक्रवार को आयोजित एससीओ के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा वैश्विक माहौल में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बताई। उन्होंने सदस्य देशों के सामने स्टार्ट अप व नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में मदद देने का प्रस्ताव भी रखा।

पेश की भारत की आर्थिक प्रगति की तस्वीर

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग जैसे नेताओं की उपस्थिति में पीएम मोदी ने जोरदार तरीके से भारत की आर्थिक प्रगति की तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा कि भारत एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने जा रहा है और इस वर्ष 7.5 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करेगा जो विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा होगा। यूक्रेन युद्ध और ताइवान विवाद पर बंटी दुनिया के मौजूदा परिवेश का असर भी एससीओ सम्मेलन में दिखा।

रूस और चीन के निशाने पर रहा अमेरिका

रूस और चीन के राष्ट्रपतियों ने एससीओ को मजबूत बनाने का पूरा दम दिखाया, लेकिन अमेरिका की तरफ से मध्य एशिया को प्रभावित करने वाले कदमों को लेकर आगाह भी किया। पुतिन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा, 'हमारी नीति में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे देश भी इस नीति का पालन करेंगे व संरक्षणवाद, गैर कानूनी प्रतिबंध लगाने और आर्थिक स्वार्थ का प्रदर्शन करने जैसा काम नहीं करेंगे।'

चिनफ‍िंंग ने कही यह बात  

चीन के राष्ट्रपति चिनफ‍िंग ने कहा, 'एससीओ देशों को अपनी रणनीतिक स्वायत्ता बनाए रखनी चाहिए और किसी भी बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभावी होने का मौका नहीं देना चाहिए। हमें बाहरी ताकतों को 'रंग आधारित क्रांति' करने से रोकना चाहिए।' उनका इशारा मध्य एशिया व खाड़ी के कुछ देशों में सत्ता बदलाव की तरफ था।

पीएम की पुतिन समेत कई नेताओं के साथ बैठक

पीएम मोदी ने शुक्रवार को सुबह से दोपहर तक एससीओ के दो आधिकारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उनकी राष्ट्रपति पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति डा. इब्राहिम रईसी, तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्दोगेन और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिरजियोएव के साथ द्विपक्षीय मुलाकात हुई।

चीन और पाक को संदेश 

पीएम मोदी की पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ के साथ कोई मुलाकात की सूचना नहीं है। चिनफ‍िंग के साथ भी कोई आधिकारिक मुलाकात नहीं हुई। हालांकि कार्यक्रम के दौरान दोनों नेता फोटो सेशन के दौरान एक साथ खड़े जरूर दिखाई दिए। पिछले हफ्ते भारत और चीन के बीच मई 2020 से चल रहे सैन्य विवाद को सुलझाने को लेकर एक बड़ी सहमति बनी थी और उसके बाद यह चर्चा थी कि दोनों नेताओं की द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है। वैसे मोदी-चिनफ‍िंग के बीच आगामी जी-20 देशों की शिखर बैठक में मुलाकात के अवसर बन सकते हैं।

अगले साल भारत में एससीओ की बैठक

भारत को वर्ष 2023 के लिए एससीओ का मुखिया भी बनाया गया है। नौ देशों की इस समिति की अगले वर्ष कई बैठकों का आयोजन भारत में होगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एससीओ सदस्य देशों के शीर्ष नेता भारत की यात्रा करेंगे। इसमें पुतिन, चिन¨फग के साथ ही पाक पीएम शरीफ भी शामिल हैं।

आर्थिक चुनौतियों के बीच एससीओ की भूमिका अहम

पीएम मोदी ने आर्थिक सुधार की चुनौतियों से जूझ रहे विश्व में एससीओ की भूमिका अहम बताया। उन्होंने कहा कि महामारी व यूक्रेन संकट से वैश्विक सप्लाई चेन में कई बाधाएं उत्पन्न हुई हैं जिससे पूरा विश्व अभूतपूर्व ऊर्जा व खाद्य संकट का सामना कर रहा है।

पाक पर निशाना 

पीएम मोदी ने कहा- एससीओ को हमारे क्षेत्र में विश्वस्त व विविध सप्लाई चेन विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत को बताते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण होगा कि सभी देश एक दूसरे को आवागमन का अधिकार दें। प्रधानमंत्री ने संभवत: पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए यह बात कही जो अफगानिस्तान को जमीनी रास्ते से मदद पहुंचाने के भारत के प्रस्ताव के खिलाफ है।

खाद्य सुरक्षा बड़ी चुनौती

पीएम ने भारत की तरफ से एससीओ देशों को तीन तरह से मदद देने का प्रस्ताव रखा। एक तो स्टार्ट अप और इनोवेशन पर विशेष कार्य समूह की स्थापना करके। दूसरा पारंपरिक चिकित्सा पर एससीओ के बीच एक कार्य समूह का गठन करके। तीसरा, मोटे अनाज की खेती व उपभोग को प्रचारित करने के लिए मिलेट फूड का आयोजन करके। उन्होंने खाद्य सुरक्षा को मौजूदा विश्व की एक बड़ी चुनौती के तौर पर चिन्हित किया और मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने को इसका एक संभावित समाधान बताया।

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