आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देगा एससीओ, चीन की ओबोर परियोजना को भी मिला समर्थन; वाराणसी को लेकर अहम घोषणा
एससीओ) के शीर्ष नेताओं की शुक्रवार को ऐतिहासिक शहर समरकंद में चली बैठक के बाद जारी घोषणापत्र को देख कर लगता है कि इसमें हर सदस्य देश की प्रमुख मांगों को जगह देने की कोशिश की गई है। आतंकवाद के मुद्दे पर एससीओ भारत के साथ खड़ा दिखाई देता है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 04:40 AM (IST)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष नेताओं की शुक्रवार को ऐतिहासिक शहर समरकंद में चली बैठक के बाद जारी घोषणापत्र को देख कर लगता है कि इसमें हर सदस्य देश की प्रमुख मांगों को जगह देने की कोशिश की गई है। आतंकवाद के मुद्दे पर एससीओ भारत के साथ खड़ा दिखाई देता है तो कनेक्टिविटी परियोजनाओं के मामले में वह चीन के साथ नजर आता है।
घोषणापत्र में सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवादियों को मदद जैसे मुद्दों पर भारत की चिंताओं को तरजीह देते हुए इसके खिलाफ सहयोग को बढ़ाने का आह्वान किया गया है, लेकिन संगठन के नौ में से छह सदस्य देशों ने चीन की वन बेल्ट, वन रोड (ओबोर) का समर्थन किया है। भारत चीन की ओबोर परियोजना का विरोध करता है क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर से गुजरता है। भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताता है। किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान, पाकिस्तान और रूस ने ओबोर का समर्थन करते हुए कहा है कि वे इसे यूरेशियन इकोनोमिक यूनियन के साथ जोड़ने में मदद करेंगे।
यह पहली बार है कि एससीओ के घोषणापत्र में चीन की कनेक्टिविटी परियजोना को समर्थन देने की बात कही गई है। संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद को लेकर जो बातें कही गई हैं वह पाकिस्तान के लिए मुश्किलों वाली साबित हो सकती हैं। सभी सदस्य देशों ने कहा है कि वे युवाओं को आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद की तरफ आकर्षित करने वाली ताकतों के खिलाफ साझी कोशिश करेंगे। धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देंगे और आक्रामक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ काम करेंगे।
आतंकवाद रोधी ढांचे के तहत काम करेंगे
एससीओ के तहत गठित क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचे के तहत काम करने की भी घोषणा की गई है। आतंकवाद की आड़ में दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने को अस्वीकार्य बताते हुए कहा है कि किसी को भी अपने निजी स्वार्थ के लिए आतंकवाद व अतिवाद को बढ़ावा देने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। सदस्य देशों के बीच यह सहमति बनी है कि वे अपने राष्ट्रीय कानून व सहमति के आधार पर एससीओ में सक्रिय व प्रतिबंधित आतंकवादियों, पृथकतावादियों व अतिवादियों की एक सामान्य सूची बनाएंगे।
आतंकवाद के मुद्दे पर एससीओ के इस घोषणापत्र का पाकिस्तान पर कितना असर होगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा। भारत एससीओ के भीतर काफी पहले से आतंकवाद के खिलाफ साझा सहमति विकसित करने की कोशिश में है। यह आतंकवाद को सरकारी नीति के तहत प्रोत्साहित करने में जुटे पाकिस्तान को घेरने की कोशिश का एक हिस्सा है।
वाराणसी एससीओ की पर्यटक और सांस्कृतिक राजधानी घोषित
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में शुक्रवार को वर्ष 2022-23 के लिए पवित्र शहर वाराणसी को समूह की पहली पर्यटक और सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया। एससीओ में शामिल सभी देशों के नेताओं ने इसका समर्थन किया। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया ब्रीफिंग ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी वर्ष के लिए वाराणसी को समूह की पहली पर्यटक और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में समर्थन करने के लिए सभी सदस्य देशों को धन्यवाद दिया।