ग्लोबल गेटवे स्कीम के तहत भारत को यूरोपीय संघ के 300 बिलियन यूरो के फंड का एक हिस्सा मिल सकता है
फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन ने कहा-ग्लोबल गेटवे योजना का उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में कनेक्टिविटी का विस्तार करना है। कनेक्टिविटी परियोजनाओं में वैश्विक निवेश योजना को चीन की बेल्ट एंड रोड के मुकाबले में देखा जा रहा है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sun, 09 Oct 2022 06:49 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन ने कहा कि रक्षा निर्माण के क्षेत्र में फ्रांस भारत का सबसे बेहतरीन साझीदार होना चाहता है। इसलिए उसके साथ अपनी सर्वश्रेष्ठ तकनीकें और उपकरणों को साझा विश्वास के साथ विकसित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की ग्लोबल गेटवे योजना के तहत घोषित 300 अरब यूरो के फंड का एक हिस्सा भारत को प्राप्त हो सकता है, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में कनेक्टिविटी का विस्तार करना है।
हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत पर वैश्विक चिंताएं बढ़ी
पिछले साल दिसंबर में घोषित, कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर वैश्विक निवेश योजना को चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के काउंटर के रूप में देखा जा रहा है। फ्रांसीसी राजदूत लेनैन ने रविवार को कहा, 'इस परियोजना के लिए कुल फंडिंग 300 अरब यूरो है। मुझे विश्वास है कि हिंद-प्रशांत और भारत को इसका एक हिस्सा मिल सकता है।' हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत पर उन्होंने कहा कि पेरिस 'टकराव' नहीं करना चाहता, लेकिन क्षेत्र के लिए भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक समानता को उजागर करते हुए 'कुशल' होना पसंद करता है।
फ्रांस ने इस क्षेत्र में चीन के समान देखा और हम वास्तव में प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत पर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं और भारत उन प्रमुख शक्तियों में से है जो इस क्षेत्र में सभी हितधारकों के लिए कानून का शासन और समृद्धि सुनिश्चित करने पर जोर दे रहा है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने विभिन्न चुनौतियों पर लेनैन ने कहा कि 'चीनी माडल का विकल्प' प्रदान करने की आवश्यकता है। हम हिंद-प्रशांत की निवासी शक्ति हैं। हमारे पास इस क्षेत्र में करीब बीस लाख फ्रांसीसी नागरिक हैं और सैनिक हैं। राजदूत ने कहा कि फ्रांस चुनौती से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति को प्राथमिकता देता है। हम चुनौती से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति चाहते हैं।हम टकराव नहीं करना चाहते, हम कुशल होना चाहते हैं। जाहिर है हम समुद्री सुरक्षा पर भारत के साथ मिलकर काम करते हैं। हम संयुक्त गश्त करते हैं व खुफिया जानकारी साझा करते हैं। हमें चीनी माडल का विकल्प भी उपलब्ध कराने की जरूरत है।
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क्षेत्र के देश विकास करना चाहते हैं और हम उन्हें स्थायी, हरित और पारदर्शी तरीके से विकसित होने देना चाहते हैं। हम कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और जलवायु मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं और हम भारत के साथ और भी अधिक करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ ने पिछले साल हिंद-प्रशांत रणनीति अपनाई थी।उन्होंने कहा, ''इस पैकेज में ग्लोबल गेटवे नाम की एक पहल है, जो कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग की पहल है।'' विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनकी समकक्ष कैथरीन कोलोना के बीच बातचीत के बाद भारत और फ्रांस ने पिछले महीने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
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