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विश्‍व की दो घुर विरोधी ताकतों के बीच क्‍या कम होगा तनाव, 8 माह में पहली बार मिले China-US - Expert View

China US के बीच 8 माह में पहली बार इंडोनेशिया के बाली में आमने सामने वार्ता हुई है। ये वार्ता यहां पर जारी जी-20 की बैठक से इतर हुई है। इस बैठक में कुछ खास निकलकर सामने आया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 12:03 PM (IST)
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इंडोनेशिया के बाली में मिले चीन और अमेरिका के विदेश मंत्री

बाली, इंडोनेशिया (एजेंसी)। इंडोनेशिया में रूस और यूक्रेन युद्ध के साए में हो रही जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बेहद खास हो गई है। खास सिर्फ इसलिए नहीं है कि इसमें रूस के विदेश मंत्री सर्गी लावरोव भी मौजूद हैं। न ही इसलिए कि इसमें उनसे युद्ध रोकने और यूक्रेन के अनाज बाहरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए रास्‍ता खोलने की बात कही गई है, बल्कि ये खास इसलिए भी है क्‍योंकि इस दौरान पहली बार दो घुर विरोधी देशों के नेता आपस में मिले हैं। ये देश हैं अमेरिका और चीन। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की शनिवार को हुई मुलाकात करीब नौ माह के बाद पहली बार हुई है।

कई मुद्दों पर यूएस-चीन में है तनाव

बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेद इस कदर गहरे हैं कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ कई बार तीखी बयानबाजी से लेकर कई सख्‍त कदम भी उठा चुके हैं। इनमें व्‍यापारिक मुद्दे, दक्षिण चीन सागर, ताइवान, हांगकांग, तिब्‍बत के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्मिलों पर होने वाले अत्‍याचार जैसे कई मुद्दे शामिल हैं। कई इन दोनों देशों के बीच आपसी विरोध की एक बड़ी वजह यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर विभाजित हुए देश भी हैं। इस मुद्दे पर भारत और चीन दोनों ही ने तटस्‍थ रुख अपनाया हुआ है।

अमेरिका को खटक रहा रूस-चीन गठजोड़

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्‍तावों के दौरान हुई वोटिंग में चीन ने वीटो का इस्‍तेमाल करते हुए अन्‍य सदस्‍य देशों की उम्‍मीदों पर पानी फेरने का काम किया है। यहां पर एक बात और खास है। वो ये है कि रूस पर फरवरी में हमला करने से पहले राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन शीतकालीन ओलंपिक गेम्‍स के दौरान बीजिंग में चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी। तब से ही ये गठजोड़ विश्‍व की दूसरी शक्तियों की आंखों में काफी खटकता रहा है। ऐसे में वांग-यी की मुलाकात बेहद खास हो जाती है।

बातचीत के अलावा अन्‍य विकल्‍प नहीं

ब्लिंकन ने इस बैठक से पहले पत्रकारों से बात की और माना की दोनों देशों के बीच संबंध काफी खराब हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच आपसी तनाव को कम करने का केवल एक ही जरिया है कि आपस में बैठकर बात की जाए। इसके अलावा कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है। उन्‍होंने ये भी कहा कि दोनों के बीच कहने के लिए काफी कुछ है। उन्‍होंने इस बात की उम्‍मीद जताई कि ये बैठक काफी सार्थक होगी। उन्‍होंने चीन को सीधेतौर पर रूस का साथ न देने और सभी आपसी मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाने की भी बात की। इनमें हर वो मुद्दे शामिल हैं जिनको लेकर दोनों देशों में तनाव व्‍याप्‍त है।

संबंधों को सामान्‍य बनाने पर जोर

इस बातचीत में दोनों ही देशों ने तनाव कम करने और संबंधों को सामान्‍य बनाने पर जोर दिया। इसके अलावा इस बैठक से ये भी निकलकर सामने आया कि आने वाले समय में राष्‍ट्रपति जो बाइडन और राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बातचीत होगी। वांग ने इस बारे में कहा कि दोनों ही विश्‍व के बड़े देश हैं और ऐसे में ये जरूरी है कि संबंधों को सामान्‍य बनाया जाए। इसलिए ये जरूरी है कि बातचीत के जरिए आगे बढ़ा जाए और संबंधों को सही दिशा प्रदान की जाए।

जानकारों की राय

अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के काल में शीर्ष अधिकारियों में शामिल डेनियल रसेल का कहना है कि इस बैठक का मकसद शी और बाइडन के बीच भविष्‍य में होने वाली मुलाकात की संभावनाएं तलाशना रहा है। अमेरिका के पूर्वी एशिया के शीर्ष अधिकारी डेनियल क्रिटेनब्रिक का कहना है कि अमेरिका चीन को अपना सबसे बड़ा कूटनीतिक विरोधी मानता है। इसके अलावा वो ये भी कहना आया है कि चीन ताइवान को अपने में शामिल कर उस पर राज करना चाहता है। इसके लिए वो कहीं तक भी जा सकता है। ये ठीक इसी तरह से है जैसे रूस ने यूक्रेन पर हमला कर किया है।