अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने दिया भरोसा, चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत की हर संभव मदद करेगा अमेरिका
अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने भरोसा दिया है कि चीनी आक्रामकता के खिलाफ अमेरिका भारत की हर संभव मदद करेगा। यूक्रेन संकट के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री की ओर से दिया गया यह बयान बेहत अहम माना जा रहा है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 11 Apr 2022 10:30 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सोमवार देर शाम (भारतीय समयानुसार) भारत और अमेरिका के बीच लंबी वार्ताओं का दौर शुरू हो गया है। चार चरणों में तकरीबन छह घंटे चलने वाली इस वार्ता को दोनो देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के संदर्भ में काफी अहमियत दी जा रही है। वार्ता के पहले चरण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन के बीच बातचीत हुई जिसमें अमेरिका ने भारत को आश्वस्त किया है कि चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये के खिलाफ वह पूरा मदद करेगा।
राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार बनने के बाद पहली बार उनके कैबिनेट के वरिष्ठ सहयोगी ने भारतीय सीमा में चीन के अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया और चीन की तरफ से बनाये जा रहे ढांचागत सुविधाओं का जिक्र किया। रक्षा मंत्री सिंह वाशिंगटन गए हैं जहां वो टू-प्लस-टू वार्ता में भाग लेंगे। उनके साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अमेरिका गये हैं।पहले दोंनो देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच इंडिया-यूएस डिफेंस डायलाग हुआ और उसके साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ अलग द्विपक्षीय वार्ता हुई। इन बैठकों के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की एक वर्चुअल बैठक होगी जिसमें दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों के अलावा कुछ दूसरे अधिकारी भी शामिल होंगे। इस बैठक के संपन्न होने के बाद चौथी बैठक टू प्लस टू वार्ता के रूप में होगी।
इस वार्ता के बाद दो अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है। माना जा रहा कि टू प्लस टू वार्ता के बाद जारी होने वाला संयुक्त बयान दोनो देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के अगले कुछ वर्षों का एक एजेंडा होगा। भारत और अमेरिका के बीच पहली बार एक दिन में चार स्तर की इस तरह की शीर्षस्तरीय वार्ता हुई है। यह इस बात का उदाहरण भी है कि भारत सभी वैश्विक शक्तियों के साथ अपने हितों को लेकर संबंधों को प्रगाढ़ कर रहा है।
हाल के दिनों में भारत व अमेरिका के रिश्तों में कुछ तनाव की खबरें लगातार आ रही हैं। खास तौर पर जिस तरह से यूक्रेन पर हमले को लेकर भारत ने रूस को संयुक्त राष्ट्र में परोक्ष तौर पर मदद पहुंचाया है उसको लेकर अमेरिका की तरफ से कई सारे बयान आये हैं। संभवत: यही वजह है कि दोनों देशों के शीर्ष नेताओं को रिश्तों की गाड़ी को दिशा देने के लिए आगे आने पड़ा है।
इन वार्ताओं के बारे में आधिकारिक तौर पर विस्तृत जानकारी मंगलवार सुबह तक ही आ सकेगी लेकिन दोनो रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता को लेकर जो शुरुआती जानकारी आई है उससे साफ है कि रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करने में कोई कोताही नहीं होने वाली। हाल के दिनो में अमेरिका ने रूस के साथ भारत के सैन्य रिश्तों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह भारत की सैन्य जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है।
पिछले एक दशक में अमेरिका भारत का एक अहम सैन्य साझेदार के तौर पर स्थापित हो चुका है। भारत उसके हथियारों का ना सिर्फ एक बड़ा खरीददार देश है बल्कि सरकार के स्तर पर दोनो देशों की सेनाओं के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के लिए चार स्तर के समझौते हो चुके हैं।