पीएम मोदी के कायल हुए ब्लादिमीर पुतिन, कहा- स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने वाले चुनिंदा वैश्विक नेता
पीएम मोदी विश्व के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिसके पास यह क्षमता है कि वह अपने देश के हितों को देखते हुए एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाते हैं। उन पर चाहे जितना भी बाहरी दबाव हो।
By Jagran NewsEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Fri, 28 Oct 2022 10:21 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन संकट के बाद अमेरिका व पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भी भारत ने जिस तरह से रूस के साथ अपने रिश्तों पर कोई आंच आने नहीं दी है, इससे राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन खासे प्रभावित हैं। उन्होंने एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी की भूरि-भूरि प्रशंसा की है और यह भी कहा है कि भारत का भविष्य बहुत उज्जवल है। पुतिन ने यह भी कहा है कि भारत और रूस के संबंध काफी खास हैं और दोनों एक दूसरे की मदद करते हैं।
भारत-रूस कृषि कारोबार दोगुना हुआ
पुतिन मास्को के एक थिंक टैंक वालदाई इंटरनेशनल क्लब की तरफ से आयोजित सार्वजनिक समारोह में बोल रहे थे। इसी बैठक में पुतिन ने यह कहा है कि रूस यूक्रेन पर कोई परमाणु हमला करने नहीं जा रहा। पुतिन से जब भारत के साथ संबंधों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे आर्थिक सहयोग लगातार बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी ने मुझसे उर्वरक की आपूर्ति बढ़ाने को कहा था। यह भारत की कृषि के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हमारा उर्वरक निर्यात भारत को 7.6 गुना बढ़ चुका है। द्विपक्षीय कृषि कारोबार दोगुना हो गया है। हम रक्षा व तकनीक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाये हुए हैं।बहुत उज्जवल है भारत का भविष्य
पीएम मोदी विश्व के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जिसके पास यह क्षमता है कि वह अपने देश के हितों को देखते हुए एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाते हैं। उन पर चाहे जितना भी बाहरी दबाव हो। मुझे भरोसा है कि भारत का भविष्य बहुत उज्जवल है और वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका बढ़ेगी। बढ़ते कारोबार के पुतिन के उक्त दावे का समर्थन भारत सरकार के आंकड़े भी करते हैं। अप्रैल से अगस्त, 2022 के दौरान भारत-रूस का द्विपक्षीय कारोबार 18.29 अरब डॉलर का रहा है, जबकि वर्ष 2021-22 का कुल द्विपक्षीय कारोबार ही 13.15 अरब डॉलर का रहा था। इस दौरान रूस भारत का सातवां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश बन गया है।इसे भी पढ़ें: पीएम मोदी के लिए पुतिन की टिप्पणी को पूर्व राजदूतों ने बताया भारतीय कूटनीति के लिए गर्व का क्षण