बार-बार बनती और टूटती रहीं मोसुल में लापता हुए 39 भारतीयों की उम्मीद
ईराक के मोसुल में 2014 से लापता 39 भारतीयों को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी रही, जिसका आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पटाक्षेप कर दिया।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। ईराक के मोसुल में 2014 से लापता 39 भारतीयों के मारे जाने की घोषणा के बाद उनके परिवार में मातम का माहौल है। करीब चार साल तक इन भारतीयों को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी रही, जिसका आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पटाक्षेप कर दिया। इन भारतीयों के शवों का डीएनए फिलहाल मैच हो गया है। इनके पार्थिव शरीर को वापस भारत लाया जा रहा है। मोसुल में जो भारतीय आतंकी संगठन आईएस के हाथों अगवा किए गए थे वह पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पटना और कोलकाता के थे। जिस विमान से इनके पार्थिव शरीर को लाया जा रहा है वह भी पहले अमृतसर, फिर पटना और इसके बाद कोलकाता जाएगा। जहां उनके पार्थिव शरीर को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि सभी 39 भारतीयों को इराक ले जाने वाले हरजीत मसीह ने पहले ही इस बात का दावा किया था कि उन सभी को उसके सामने ही आतंकियों ने मार दिया था।
खुदाई के दौरान मिले शव
सुषमा स्वराज ने राज्य सभा में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह सभी शव मोसुल में एक ऊंचे टीले में खुदाई के बाद निकाले गए जिसके बाद इनकी शिनाख्त के लिए इन सभी का डीएनए टेस्ट किया गया था। 39 में से 38 का डीएनए पूरी तरह से मैच हो गया था जबकि एक का 70 फीसद डीएनए मैच हुआ था।
सरकार बनने के 20 दिन बाद सामने आया मामला
आपको यहां पर बता दें कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के 20 दिन बाद सामने आया यह सबसे बड़ा मुद्दा था। इसको लेकर उस वक्त भारत सरकार ने ईराकी सरकार से संपर्क भी साधा था, लेकिन लापता भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी। इसके बाद विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने इराक का दौरा भी किया था। उन्होंने उस वक्त इराक के एनएसए से मिली जानकारी के आधार पर आशंका जताई थी कि सभी लापता भारतीय नागरिक आईएस की जेल में कैद हो सकते हैं। उस वक्त इन सभी भारतीयों के जिंदा होने की बात कही गई थी।
मोसुल फतह के बाद वीके सिंह ने किया था इराक का दौरा
जुलाई 2017 में जब इराकी फौज ने मोसुल पर फतह हासिल की थी, तब विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह लापता भारतीयों की जानकारी लेने ईराक भी गए थे। उस वक्त उन्होंने सदन को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि पूर्वी मोसुल को पूरी तरह आईएस से आजाद करवाने के बाद भी वहां सुरक्षा कारणों से इलाके में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसकी वहज से लापता भारतीयों के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है। इसी दौरान वीके सिंह ने लापता भारतीयों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन भी दिया था।
नहीं होगी फाइल बंद
इसके बाद 6 जुलाई को सुषमा स्वराज ने भी सदन में कहा था कि उनके लिए यह कहना बेहद आसान है कि सभी भारतीय मारे जा चुके हैं। लेकिन हकीकत ये है कि उन्हें इस बारे में अभी कोई पुख्ता सूचना नहीं है। लिहाजा भारत सरकार सभी भारतीयों को जिंदा मानते हुए आगे बढ़ रही है। जब तक इस बारे में कोई पुख्ता सूचना नहीं मिलती है तब तक सरकार इस फाइल को बंद नहीं करने वाली है।
जुलाई 2017 में दिया सुषमा ने बयान
26 जुलाई को भी सुषमा ने अपने इसी बयान को सदन में दोहराया था और कहा था कि भारतीयों के मोसुल में न तो मारे जाने की कोई खबर है और न ही जिंदा होने की। गौरतलब है कि साल 2014 में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इराक के मोसुल पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद वहां काम कर रहे करीब 39 भारतीयों के लापता होने की जानकारी सामने आई थी। इनमें से ज्यादातर पंजाब के रहने वाले थे। जुलाई 2017 में ही इराक के विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आए थे। उस वक्त उन्होंने लापता भारतीयों की जानकारी के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया था।
तीन दिन पहले एमजे अकबर का बयान
सुषमा द्वारा मंगलवार को सदन में दिए गए बयान से तीन दिन पहले 15 मार्च 218 को विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने राज्यसभा में नारायण लाल पंचारिया के एक सवाल के लिखित जवाब में बताया था कि 39 भारतीय कामगारों का पता लगाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उनका कहना था कि फिलहाल इन भारतीय कामगारों के जीवित होने या मृत होने के सबूत जुटाने की कोशिश की जा रही है। इस कोशिश में इराक में कब्रों में बड़ी संख्या में पाए गए पार्थिव शरीरों के डीएनए का मिलान उनके निकटतम संबंधियों के डीएनए से करने में इराकी प्राधिकारियों की मदद शामिल है।
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