सीएए का विरोध करने वाले हर्ष मंदर ने कसाब को बचाने की लगाई थी गुहार, जानें उनके बारे में
सीएए का विरोध करने और तीन भाजपा नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और उनपर एफआईदर्ज करने की मांग करने वाले हर्ष पूर्व में अजमल कसाब को बचाने के लिए कोर्ट गए थे।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 05 Mar 2020 05:42 PM (IST)
नई दिल्ली। हर्ष मंदर को लेकर देश का सियासी पारा अचानक काफी बढ़ गया है। इसकी वजह उनका वो बयान है जिसमें उन्होंने न्यायपालिका पर ही सवाल उठाए हैं। इसके अलावा उन्होंने भाजपा के तीन नेताओं के खिलाफ विवादित बयान देने और उनपर एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार भी लगाई थी। हालांकि यह उनके ऊपर ही भारी पड़ गई। भाजपा के जिन तीन नेताओं का जिक्र उन्होंने किया है उसमें कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा का नाम शामिल है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद बाद से ही वो सुर्खियों में हैं।
सीएए के खिलाफ जामिया के प्रदर्शन में हुए थे शामिल हालांकि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि मंदर ने जामिया में हुए धरना प्रदर्शन में न सिर्फ भाग लिया बल्कि वहां पर विवादित बयान भी दिया था। आपको बता दें कि हर्ष मंदर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हैं। पिछले वर्ष 19 दिसंबर को उन्हें आईटीओ पर हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने हिरासत में लिया गया था।
न्यायपालिका पर सवाल इसके अलावा केंद्र की तरफ से बताया गया कि मंदर ने न्यायपालिका के खिलाफ भी विवादित बयान दिए हैं।इन बयानों की एक ट्रांसक्रिप्ट कॉपी भी केंद्र की तरफ से कोर्ट के समक्ष पेश की गई थी। इस पर कोर्ट का कहना था कि मंदर पर लगे आरोप काफी गंभीर है। इन आरोपों पर कोर्ट ने मंदर के वकील से जवाब भी मांगा है। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र से हर उस व्यक्ति की भी जानकारी मांगी है जिसने न्यायपालिका पर सवाल खड़ा किया है।
कसाब को बचाने के लिए लगाई थी याचिका आपको बता दें कि हर्ष मंदर एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। मंदर एक एक्शन एड के नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं। कर्ता हैं। मंदर को कई बड़े कांग्रेसी नेताओं का करीबी माना जाता है। वे मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। सोनिया गांधी इसकी अध्यक्ष थीं। इतना ही नहीं उन्हें यूपीए के दौरान लाए गए विवादित कम्युनल वायलेंस बिलक चीफ आर्किटेक्ट भी कहा जाता है। मंदर की पहचान सिर्फ यहीं पर आकर खत्म नहीं हो जाती है। 2008 में मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी अजमल कसाब और 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी रोकने की मांग की थी। ये मांग उस वक्त की गई थी जब पूरा देश आंतकी कसाब को जल्द से जल्द फांसी होने की राह देख रहा था।
जानें मंदर ने सीएए पर क्या कहा थाहर्ष मंदर का एक वीडियो @JammuKashmirNow के ट्विटर हैंडल पर देखा जा सकता है। 54 सैकेंड के इस वीडियो में हर्ष मंदर कहते दिख रहे हैं, ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं जीती जाएगी। क्योंकि हमने सुप्रीम कोर्ट को देखा है, एनआरसी के मामले में, अयोध्या के मामले में, कश्मीर के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने इंसानियत, समानता और सेक्युरलिज्म की रक्षा नहीं की है। वहां हम कोशिश जरूर करेंगे, हमारा सुप्रीम कोर्ट हैं लेकिन फैसला ना संसद ना सुप्रीम कोर्ट में होगा। इस देश का क्या भविष्य होगा, आप लोग सब नौजवान है, आप अपने बच्चों को किस तरह का देश देना चाहते हैं, ये फैसला कहां होगा। एक सड़कों पर होगा, और हम सब सड़कों पर निकले हैं। आपको बता दें कि इस वीडियो को 16 दिसंबर का बताया जा रहा है। 19 दिसंबर को उन्हें विवादित बयान देने पर हिरासत में लिया गया था।
इसी ट्विटर हैंडल पर एक और वीडियो भी है जिसमें हर्ष मंदर को ये कहते सुना जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट अल्पसंख्यकों के मामले में विफल रहा है। इसको कश्मीर, जामिया, अलीगढ़ पर आए फैसलों से भी देखा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि वह नहीं मानते हैं कि कोर्ट इसका फैसला कर सकता है। ये वीडियो करीब 56 सैकेंड का है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इसमें जो वो कहते सुनाई दे रहे हैं वो काफी कुछ वही है जो दूसरे वीडियो का भी हिस्सा है। फर्क सिर्फ इतना ही है कि इसमें वो इंग्लिश में कह रहे हैं और दूसरे वाले में वो हिंदी में बोल रहे हैं। इस ट्विटर हैंडल पर ये दोनों ही वीडियो 3 मार्च की तारीख में डाले गए हैं।
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