देश के 16 क्षेत्रीय दलों ने बिना पैन विवरण के लिया 24.779 करोड़ रुपए का चंदा, एडीआर ने दी जानकारी
एडीआर (Association for Democratic Reforms ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक देश में लगभग 16 क्षेत्रीय पार्टियों ने पैन संबंधी विवरण के बिना चंदे के तौर पर 24.779 करोड़ रुपये प्राप्त करने की जानकारी दी है। जानें पूरी डिटेल...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 29 Oct 2021 07:58 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। चुनाव के क्षेत्र में सुधार की दिशा में काम करने वाले समूह एडीआर (Association for Democratic Reforms, ADR) की मानें तो देश में लगभग 16 क्षेत्रीय पार्टियों ने पैन संबंधी विवरण के बिना चंदे के तौर पर 24.779 करोड़ रुपये प्राप्त करने की जानकारी दी है। निर्वाचन आयोग (Election Commission of India, ECI) को पार्टियों की ओर से मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक इन क्षेत्रीय दलों ने वर्ष 2019-20 के दौरान 1,026 चंदों से यह रकम ली।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) को चंदे से मिलने वाली रकम में सर्वाधिक बढोतरी दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2019-20 में सबसे ज्यादा चंदे की जानकारी देने वाले प्रमुख पांच दलों में शिवसेना, अन्नाद्रमुक, आप, बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर-कांग्रेस शामिल हैं। इन पार्टियों में अन्नाद्रमुक और आप ने वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में अपने चंदे में बढ़ोतरी की घोषणा की।
वहीं शिवसेना, बीजद और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी ने वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में अपने चंदे में कमी आने की जानकारी दी। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने नकद में सबसे ज्यादा चंदा मिलने की जानकारी दी। इस पार्टी ने 4.63 करोड़ रुपये का चंदा जुटाया। इसके बाद तमिलनाडु की पट्टाली मक्कल काची ने 52.20 लाख रुपये, लोजपा ने छह लाख रुपये, एनपीएफ (Naga People's Front, NPF) ने 3.92 लाख रुपये और द्रमुक (Dravida Munnetra Kazhagam, DMK) ने 29 हजार रुपये चंदा जुटाने की जानकारी दी।
रिपोर्ट के मुताबिक 16 क्षेत्रीय दलों ने पैन के विवरण के बिना 1,026 चंदों के जरिए 24.779 करोड़ रुपये हासिल किए। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक एडीआर ने 53 क्षेत्रीय दलों की ओर से दिए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया। इनमें से केवल दो पार्टियों ने चुनाव आयोग को निर्धारित समय में चंदे संबंधी जानकारी मुहैया कराई थी। अन्य 28 दलों ने कम से कम छह से 320 दिनों की देरी से अपनी रिपोर्ट मुहैया कराई। इतना ही नहीं 23 क्षेत्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान अपनी रिपोर्ट जमा नहीं कराई।