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Parliament Session: राजनीतिक कुशन मिलने के बावजूद बड़े आर्थिक फैसले अभी नहीं, अंतरिम बजट में मिलेगा संकेत

पांच राज्यों में से तीन के विधानसभा चुनाव में विजय पताका लहराने से भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को मजबूत राजनीतिक कुशन मिल गया। बहुत संभव है कि एक फरवरी 2024 को पेश होने वाले बजट में इन सभी वर्गों को आगामी नई सरकार की तरफ से दी जाने वाली राहतों का पूरा लेखा-जोखा हो। उधर वित्त मंत्रालय में अगले अंतरिम बजट को लेकर गतिविधियां तेज होने जा रही हैं।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Mon, 04 Dec 2023 10:07 PM (IST)
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (बाएं) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद (दाएं) (फोटो: एएनआई)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पांच राज्यों में से तीन बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में विजय पताका लहराने से भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को मजबूत राजनीतिक कुशन मिल गया है, लेकिन इसके बावजूद वह उन आर्थिक मुद्दों को अभी छूने नहीं जा रही जो उसके विजय रथ में किसी तरह की रुकावट बनने की क्षमता रखते हों। ऐसे में अगले आम चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले ना तो सार्वजनिक उपक्रमों की सुस्त पड़ी विनिवेश प्रक्रिया को लेकर कोई तेजी दिखाई जाएगी और ना ही सरकारी बैंकों व बीमा कंपनियों के निजीकरण को लेकर पूर्व में किये गये फैसलों को अमली जामा पहनाने की कोशिश की जाएगी।

इन लोगों को राहत देने पर रहेगा फोकस

दूसरी तरफ, पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने भी यह संकेत दे दिया है कि महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों को राहत देना केंद्र सरकार की प्रमुख वरीयता अभी बनी रहेगी। बहुत संभव है कि एक फरवरी, 2024 को पेश होने वाले बजट में इन सभी वर्गों को आगामी नई सरकार की तरफ से दी जाने वाली राहतों का पूरा लेखा-जोखा हो। उधर, वित्त मंत्रालय में अगले अंतरिम बजट को लेकर गतिविधियां तेज होने जा रही हैं।

आम तौर पर सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष का बजट सीमित होता है जिसमें सिर्फ अगले कुछ महीनों के वैधानिक खर्चों के लिए संसद से लेखानुदान की मंजूरी ली जाती है, लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा में काफी बदलाव किया है। वर्ष 2019 के अंतरिम बजट में बहुत सारी घोषणाएं थी जिसे बाद में सत्ता में वापस आने के बाद अमल में लाया गया।

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रविवार को राज्य विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद पीएम मोदी ने भाजपा मुख्यालय में कहा था कि उनकी सरकार महिलाओं, किसानों और गरीबों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी। इस बयान को आगामी बजट में इन चार वर्गों को दी जा रही राहत स्कीमों को आगे बढ़ाने और कुछ नई घोषणाओं से जोड़ कर देखा जा रहा है।

PM गरीब कल्याण अन्न योजना को आगे बढ़ाकर प्रधानमंत्री ने साफ की मंशा

वैसे इसी पखवाड़े केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गरीब वर्ग को मुफ्त में अनाज देने की पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को पांच वर्षों के लिए बढ़ा कर अपनी मंशा साफ कर दी है। उक्त वर्गों के लिए सरकार की तरफ से नया क्या दिया जाएगा, यह तो बाद में साफ होगा, लेकिन इतना स्पष्ट है कि इस बारे में खजाने के स्तर पर कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि, राजकोषीय घाटे का पूरी तरह से लक्ष्य के मुताबिक रहना और अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा तेजी की रफ्तार तीन ऐसे कारक हैं जिससे वित्त मंत्रालय कुछ वर्गों को अतिरिक्त संसाधन देने में सक्षम नजर आता है।

उम्‍मीदों के अनुरूप है GST संग्रह

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान जीएसटी संग्रह औसतन 1.66 लाख करोड़ रुपये का रहा है। यह वर्ष 2022-23 के अप्रैल-नवंबर के मुकाबले 11.9 फीसद ज्यादा है। वर्ष 2023-24 के शुरुआत में माना गया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें खजाना प्रबंधन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ महीनों को छोड़ दें तो क्रूड 80-85 डॉलर प्रति बैरल या इससे भी नीचे रही है। प्रत्यक्ष कर संग्रह की स्थिति भी सरकार की उम्मीदों से बेहतर है।

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पूरे वित्त वर्ष राजस्व संग्रह की स्थिति रह सकती है उम्मीद से बेहतर

पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.7 फीसद रहने के बाद उम्मीद है कि पूरे वित्त वर्ष राजस्व संग्रह की स्थिति भी उम्मीद से बेहतर रहेगी। ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर सरकार क्या फैसला करती है, इस पर भी सभी की नजर रहेगी। पूर्व में हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर कांग्रेस ने इसे एक चुनावी मुद्दा बना दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम (NPS) को और ज्यादा आकर्षक बनाने पर सुझाव देने के लिए एक समिति गठित की है। वित्त सचिव टी वी सोमानाथन की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र की तरफ से पेंशन योजनाओं पर कुछ नई घोषणा होने की संभावना है।